Panchatantra Stories In Hindi-दूसरा तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 2

पंचतंत्र की कहानियाँ (Panchatantra Stories In Hindi) भाग 2

Panchatantra Stories In Hindi || सम्पूर्ण पंचतंत्र की कहानियाँ :- पंचतंत्र को संस्कृत के नीतिकथाओं मैं सबसे पहले स्थान दिया जाता है। हालाँकि पुस्तक का मूल संस्करण जो की अब मौजूद नहीं है, लेकिन इसकी सामग्री की पहचान मौजूदा अनुवादों के आधार पर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास की गई थी।

इस पुस्तक के लेखक पं. विष्णु शर्मा हैं। पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में विभाजित किया गया है और यह पोस्ट पंचतंत्र के दूसरे तंत्र मित्रसंप्राप्ति या मित्रलाभ (मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ) मैं रहे सभी कहानियों को वहन कर रहा हैं।

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दूसरा तंत्र – मित्रसंप्राप्ति या मित्रलाभ (मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ) :-

1) साधु और चूहा :-

महिलरोपयम नामक एक दक्षिणी शहर के पास भगवान शिव का एक मंदिर था। वहां एक पवित्र ऋषि रहते थे और मंदिर की देखभाल करते थे। वे भिक्षा के लिए शहर में हर रोज जाते थे, और भोजन के लिए शाम को वापस आते थे। Panchatantra Stories In Hindi

वे अपनी आवश्यकता से अधिक एकत्र कर लेते थे और बाकि का बर्तन में डाल कर गरीब मजदूरों में बाँट देते थे जो बदले में मंदिर की सफाई करते थे और उसे सजावट का काम किया करते थे। उसी आश्रम में एक चूहा भी अपने बिल में रहता था और हर रोज कटोरे में से कुछ न कुछ भोजन चुरा लेता था। hindi short stories for kids panchatantra

जब साधु को एहसास हुआ कि एक चूहा भोजन चोरी करता है तो उन्होंने इसे रोकने के लिए सभी तरह की कोशिशें की। उन्होंने कटोरे को काफी उचाई पर रखा ताकि चूहा वहां तक पहुँच न सके, और यहां तक कि एक छड़ी के साथ चूहे को मार भगाने की भी कोशिश की, लेकिन चूहा किसी भी तरह कटोरे तक पहुंचने का रास्ता ढूंढ लेता और कुछ भोजन चुरा लेता था।

एक दिन, एक भिक्षुक मंदिर की यात्रा करने के लिए आये थे। लेकिन साधु का ध्यान तो चूहे को डंडे से मारने में था और वे भिक्षुक से मिल भी नहीं पाए, इसे अपना अपमान समझ भिक्षुक क्रोधित होकर बोले “आपके आश्रम में फिर कभी नहीं आऊंगा क्योंकि लगता है मुझसे बात करने के अलावा आपको अन्य काम ज्यादा महत्वपूर्ण लग रहा है।”

साधु विनम्रतापूर्वक चूहे से जुडी अपनी परेशानियों के बारे में भिक्षुक को बताते हैं, कि कैसे चूहा उनके पास से भोजन किसी न किसी तरह से चुरा ही लेता है, “यह चूहा किसी भी बिल्ली या बन्दर को हरा सकता है अगर बात मेरे कटोरे तक पहुंचने कि हो तो! मैंने हर कोशिशें की हैं लेकिन वो हर बार किसी न किसी तरीके से भोजन चुरा ही लेता है।” hindi short stories for kids panchatantra

भिक्षुक ने साधु की परेशानियों को समझा, और सलाह दी, “चूहे में इतनी शक्ति, आत्मविश्वास और चंचलता के पीछे अवश्य ही कुछ न कुछ कारण होगा”। मुझे यकीन है कि इसने बहुत सारा भोजन जमा कर रखा होगा और यही कारण है कि चूहा अपने आप को बड़ा महसूस करता है और इसी से उसे ऊँचा कूदने कि शक्ति मिलती है। चूहा जानता है कि उसके पास कुछ खोने के लिए नहीं है इसलिए वो डरता नहीं है।” panchatantra stories for kids in hindi

इस प्रकार, साधू और भिक्षुक निष्कर्ष निकालते है कि अगर वे चूहे के बिल तक पहुंचने में सफल होते है तो वे चूहे के भोजन के भंडार तक पहुंचने में सक्षम हो जाएंगे। उन्होंने फैसला किया कि अगली सुबह वो चूहे का पीछा करेंगे और उसके बिल तक पहुंच जाएंगे। panchatantra stories for kids in hindi

अगली सुबह वो चूहे का पीछा करते हैं और उसके बिल के प्रवेश द्वार तक पहुंच जाते है। जब वो खुदाई शुरू करते है तो देखते हैं की चूहे ने अनाज का एक विशाल भंडार बना रखा है, फ़ौरन ही साधु ने सारा चुराया गया भोजन एकत्र करके मंदिर में लिवा ले जाते है। hindi short stories for kids panchatantra

वापस आने पर अपना सारा अनाज गायब देख चूहा बहुत दुखी हुआ और उसे इस बात से गहरा झटका लगा और उसने सारा आत्मविश्वास खो दिया।

अब चूहे के पास भोजन का भंडार नहीं था, फिर भी उसने फैसला किया कि वो फिर से रात को कटोरे से भोजन चुराएगा। लेकिन जब उसने कटोरे तक पहुँचने की कोशिश की, तब वह धड़ाम से नीच गिर गया और उसे यह एहसास हुआ कि अब न तो उसके पर शक्ति है, और न ही आत्मविश्वास।

उसी समय साधु ने भी छड़ी से उसपर हमला किया। किसी तरह चूहे ने अपनी जान बचायी और भागने में कामयाब रहा और फिर वापस मंदिर कभी नहीं आया।

सीख – Moral

यह छोटी सी नैतिक कहानी हमे सिखाती है की यदि हमारे पास भी संसाधनों की कमी न हो तो हम मे भी अद्भुत शक्तियां और आत्मविश्वास की कमी कभी नहीं आ सकती।

Panchatantra Stories In Hindi-पहला तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 1

2) गजराज और मूषकराज :-

प्राचीन काल में एक नदी के किनारे बसा नगर व्यापार का केन्द्र था। फिर आए उस नगर के बुरे दिन, जब एक वर्ष भारी वर्षा हुई। नदी ने अपना रास्ता बदल दिया। लोगों के लिए पीने का पानी न रहा और देखते ही देखते नगर वीरान हो गया अब वह जगह केवल चूहों के लायक रह गई। चारों ओर चूहे ही चूहे नजर आने लगे। चूहो का पूरा साम्राज्य ही स्थापित हो गया। चूहों के उस साम्राज्य का राजा बना मूषकराज चूहा। Panchatantra Stories In Hindi

चूहों का भाग्य देखो, उनके बसने के बाद नगर के बाहर जमीन से एक पानी का स्त्रोत फूट पड़ा और वह एक बड़ा जलाशय बन गया। नगर से कुछ ही दूर एक घना जंगल था। जंगल में अनगिनत हाथी रहते थे। उनका राजा गजराज नामक एक विशाल हाथी था। उस जंगल क्षेत्र में भयानक सूखा पड़ा। जीव-जन्तु पानी की तलाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरने लगे। भारी भरकम शरीर वाले हाथियों की तो दुर्दशा हो गई। panchatantra stories for kids in hindi

हाथियों के बच्चे प्यास से व्याकुल होकर चिल्लाने व दम तोड़ने लगे। गजराज खुद सूखे की समस्या से चिंतित था और हाथियों का कष्ट जानता था। एक दिन गजराज की मित्र चील ने आकर खबर दी कि खंडहर बने नगर के दूसरी ओर एक जलाशय हैं। hindi short stories for kids panchatantra

गजराज ने सबको तुरंत उस जलाशय की ओर चलने का आदेश दिया। सैकड़ों हाथी प्यास बुझाने ड़ोलते हुए चल पड़े। जलाशय तक पहुंचने के लिए उन्हें खंडहर बने नगर के बीच से गुजरना पड़ा। हाथियों के हजारों पैर चूहों को रौंदते हुए निकल गए। हजारों चूहे मारे गए। panchatantra stories for kids in hindi

खंडहर नगर की सड़कें चूहों के खून-मांस के कीचड़ से लथपथ हो गई। मुसीबत यहीं खत्म नहीं हुई। हाथियों का दल फिर उसी रास्ते से लौटा। हाथी रोज उसी मार्ग से पानी पीने जाने लगे। Panchatantra Stories In Hindi

काफी सोचने-विचारने के बाद मूषकराज के मंत्रियों ने कहा “महाराज, आपको ही जाकर गजराज से बात करनी चाहिए। वह दयालु हाथी हैं।” मूषकराज हाथियों के वन में गया। एक बड़े पेड़ के नीचे गजराज खड़ा था। panchatantra stories for kids in hindi

मूषकराज उसके सामने के बड़े पत्थर के ऊपर चढा और गजराज को नमस्कार करके बोला
“गजराज को मूषकराज का नमस्कार। हे महान हाथी, मैं एक निवेदन करना चाहता हूं।”
आवाज गजराज के कानों तक नहीं पहुंच रही थी। दयालु गजराज उसकी बात सुनने के लिए नीचे बैठ गया और अपना एक कान पत्थर पर चढे मूषकराज के निकट ले जाकर बोला “नन्हें मियां, आप कुछ कह रहे थे। कॄपया फिर से कहिए।”

मूषकराज बोला “हे गजराज, मुझे चूहा कहते हैं। हम बड़ी संख्या में खंडहर बनी नगरी में रहते हैं। मैं उनका मूषकराज हूं। आपके हाथी रोज जलाशय तक जाने के लिए नगरी के बीच से गुजरते हैं। हर बार उनके पैरों तले कुचले जाकर हजारों चूहे मरते हैं।

यह मूषक संहार बंद न हुआ तो हम नष्ट हो जाएंगे।” गजराज ने दुख भरे स्वर में कहा “मूषकराज, आपकी बात सुन मुझे बहुत शोक हुआ। हमें ज्ञान ही नहीं था कि हम इतना अनर्थ कर रहे हैं। हम नया रास्ता ढूढ लेंगे।”

मूषकराज कॄतज्ञता भरे स्वर में बोला “गजराज, आपने मुझ जैसे छोटे जीव की बात ध्यान से सुनी। आपका धन्यवाद। गजराज, कभी हमारी जरुरत पड़े तो याद जरुर कीजिएगा।” गजराज ने सोचा कि यह नन्हा जीव हमारे किसी काम क्या आएगा। सो उसने केवल मुस्कुराकर मूषकराज को विदा किया। hindi short stories for kids panchatantra

Panchatantra Stories In Hindi-पहला तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 1

कुछ दिन बाद पड़ौसी देश के राजा ने सेना को मजबूत बनाने के लिए उसमें हाथी शामिल करने का निर्णय लिया। राजा के लोग हाथी पकड़ने आए।

जंगल में आकर वे चुपचाप कई प्रकार के जाल बिछाकर चले जाते हैं। सैकड़ों हाथी पकड़ लिए गए। एक रात हाथियों के पकड़े जाने से चिंतित गजराज जंगल में घूम रहे थे कि उनका पैर सूखी पत्तियों के नीचे छल से दबाकर रखे रस्सी के फंदे में फंस जाता हैं।

वहीं जैसे ही गजराज ने पैर आगे बढाया रस्सा कस गया। रस्से का दूसरा सिरा एक पेड़ के मोटे तने से मजबूती से बंधा था। गजराज चिंघाड़ने लगा। उसने अपने सेवकों को पुकारा, लेकिन कोई नहीं आया।कौन फंदे में फंसे हाथी के निकट आएगा? panchatantra stories for kids in hindi

एक युवा जंगली भैंसा गजराज का बहुत आदर करता था। जब वह भैंसा छोटा था तो एक बार वह एक गड्ढे में जा गिरा था। उसकी चिल्लाहट सुनकर गजराज ने उसकी जाअन बचाई थी। चिंघाड़ सुनकर वह दौड़ा और फंदे में फंसे गजराज के पास पहुंचा। गजराज की हालत देख उसे बहुत धक्का लगा।

वह चीखा “यह कैसा अन्याय हैं? गजराज, बताइए क्या करुं? मैं आपको छुड़ाने के लिए अपनी जान भी दे सकता हूं।”

गजराज बोले “बेटा, तुम बस दौड़कर खंडहर नगरी जाओ और चूहों के राजा मूषकराजा को सारा हाल बताना। उससे कहना कि मेरी सारी आस टूट चुकी हैं।” panchatantra stories for kids in hindi

भैंसा अपनी पूरी शक्ति से दौड़ा-दौड़ा मूषकराज के पास गया और सारी बात बताई। मूषकराज तुरंत अपने बीस-तीस सैनिकों के साथ भैंसे की पीठ पर बैठा और वो शीघ्र ही गजराज के पास पहुंचे। चूहे भैंसे की पीठ पर से कूदकर फंदे की रस्सी कुतरने लगे। कुछ ही देर में फंदे की रस्सी कट गई व गजराज आजाद हो गए। Panchatantra Stories In Hindi

सीख – Moral

यह छोटी सी नैतिक कहानी हमे सिखाती है की आपसी सदभाव व प्रेम सदा एक दूसरे के कष्टों को हर लेते हैं।

3) ब्राह्मणी और तिल के बीज :-

एक बार की बात है एक निर्धन ब्राह्मण परिवार रहता था, एक समय उनके यहाँ कुछ अतिथि आये, घर में खाने पीने का सारा सामान ख़त्म हो चुका था, इसी बात को लेकर ब्राह्मण और ब्राह्मण-पत्‍नी में यह बातचीत हो रही थी: ब्राह्मण—-“कल सुबह कर्क-संक्रान्ति है, भिक्षा के लिये मैं दूसरे गाँव जाऊँगा । वहाँ एक ब्राह्मण सूर्यदेव की तृप्ति के लिए कुछ दान करना चाहता है ।” hindi short stories for kids panchatantra

पत्‍नी–-“तुझे तो भोजन योग्य अन्न कमाना भी नहीं आता । तेरी प‍त्‍नी होकर मैंने कभी सुख नहीं भोगा, मिष्टान्न नहीं खाये, वस्त्र और आभूषणों को तो बात ही क्या कहनी ?”

ब्राह्मण—-“देवी ! तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए। अपनी इच्छा के अनुरुप धन किसी को नहीं मिलता । पेट भरने योग्य अन्न तो मैं भी ले ही आता हूँ । इससे अधिक की तृष्णा का त्याग कर दो । अति तृष्णा के चक्कर में मनुष्य के माथे पर शिखा हो जाती है ।” panchatantra stories for kids in hindi

ब्राह्मणी ने पूछा—-“यह कैसे ?”
तब ब्राह्मण ने सूअर—शिकारी और गीदड़ की यह कथा सुनाई—-

क दिन एक शिकारी शिकार की खोज में जंगल की ओर गया । जाते-जाते उसे वन में काले अंजन के पहाड़ जैसा काला बड़ा सूअर दिखाई दिया । उसे देखकर उसने अपने धनुष की प्रत्यंचा को कानों तक खींचकर निशाना मारा । hindi short stories for kids panchatantra

निशाना ठीक स्थान पर लगा । सूअर घायल होकर शिकारी की ओर दौड़ा । शिकारी भी तीखे दाँतों वाले सूअर के हमले से गिरकर घायल होगया । उसका पेट फट गया । शिकारी और शिकार दोनों का अन्त हो गया ।

इस बीच एक भटकता और भूख से तड़पता गीदड़ वहाँ आ निकला । वहाँ सूअर और शिकारी, दोनों को मरा देखकर वह सोचने लगा, “आज दैववश बड़ा अच्छा भोजन मिला है । कई बार बिना विशेष उद्यम के ही अच्छा भोजन मिल जाता है । इसे पूर्वजन्मों का फल ही कहना चाहिए ।” hindi short stories for kids panchatantra

यह सोचकर वह मृत लाशों के पास जाकर पहले छोटी चीजें खाने लगा । उसे याद आगया कि अपने धन का उपयोग मनुष्य को धीरे-धीरे ही करना चाहिये; इसका प्रयोग रसायन के प्रयोग की तरह करना उचित है । इस तरह अल्प से अल्प धन भी बहुत काल तक काम देता है । अतः इनका भोग मैं इस रीतिसे करुँगा कि बहुत दिन तक इनके उपभोग से ही मेरी प्राणयात्रा चलती रहे । panchatantra stories for kids in hindi

यह सोचकर उसने निश्चय किया कि वह पहले धनुष की डोरी को खायगा । उस समय धनुष की प्रत्यंचा चढ़ी हुई थी; उसकी डोरी कमान के दोनों सिरों पर कसकर बँधी हुई थी । गीदड़ ने डोरी को मुख में लेकर चबाया । चबाते ही वह डोरी बहुत वेग से टूट गई; और धनुष के कोने का एक सिरा उसके माथे को भेद कर ऊपर निकला आया, मानो माथे पर शिखा निकल आई हो । इस प्रकार घायल होकर वह गीदड़ भी वहीं मर गया । panchatantra stories for kids in hindi

ब्राह्मण ने कहा—“इसीलिये मैं कहता हूँ कि अतिशय लोभ से माथे पर शिखा हो जाती है ।”
ब्राह्मणी ने ब्राह्मण की यह कहानी सुनने के बाद कहा—-“यदि यही बात है तो मेरे घर में थोड़े से तिल पड़े हैं । उनका शोधन करके कूट छाँटकर अतिथि को खिला देती हूँ ।”

ब्राह्मण उसकी बात से सन्तुष्ट होकर भिक्षा के लिये दूसरे गाँव की ओर चल दिया । ब्राह्मणी ने भी अपने वचनानुसार घर में पड़े तिलों को छाँटना शुरु कर दिया । छाँट-पछोड़ कर जब उसने तिलों को सुखाने के लिये धूप में फैलाया तो एक कुत्ते ने उन तिलों को मूत्र-विष्ठा से खराब कर दिया । Panchatantra Stories In Hindi

ब्राह्मणी बड़ी चिन्ता में पड़ गई । यही तिल थे, जिन्हें पकाकर उसने अतिथि को भोजन देना था । बहुत विचार के बाद उसने सोचा कि अगर वह इन शोधित तिलों के बदले अशोधित तिल माँगेगी तो कोई भी दे देगा । इनके उच्छिष्ट होने का किसी को पता ही नहीं लगेगा । Panchatantra Stories In Hindi

यह सोचकर वह उन तिलों को छाज में रखकर घर-घर घूमने लगी और कहने लगी—-“कोई इन छँटे हुए तिलों के स्थान पर बिना छँटे तिल देदे ।” अचानक यह हुआ कि ब्राह्मणी तिलों को बेचने एक घर में पहुँच गई, और कहने लगी कि—“बिना छँटे हुए तिलों के स्थान पर छँटे हुए तिलों को ले लो ।” panchatantra stories for kids in hindi

उस घर की गृहपत्‍नी जब यह सौदा करने जा रही थी तब उसके लड़के ने, जो अर्थशास्त्र पढ़ा हुआ था, कहा: “माता ! इन तिलों को मत लो। कौन पागल होगा जो बिना छँटे तिलों को लेकर छँटे हुए तिल देगा । यह बात निष्कारण नहीं हो सकती । अवश्यमेव इन छँटे तिलों में कोई दोष होगा ।” पुत्र के कहने से माता ने यह सौदा नहीं किया । hindi short stories for kids panchatantra

सीख – Moral

यह छोटी सी नैतिक कहानी हमे सिखाती है की बिन कारण कोई भी कार्य नहीं होता है, सब के पीछे कुछ न कुछ कारण छिपा रहता हैं ।

Panchatantra Stories In Hindi-पहला तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 1

4) व्यापारी के पुत्र की कहानी :-

किसी नगर में सागर दत्त नाम का एक व्यापारी रहता था। उसके लड़के ने एक बार सौ रुपए में बिकने वाली एक पुस्तक खरीदी। उस पुस्तक में केवल एक श्लोक लिखा था – “जो वस्तु जिसको मिलने वाली होती है, वह उसे अवश्य मिलती है। उस वस्तु की प्राप्ति को विधाता भी नहीं रोक सकता।”

अतएव मैं किसी वस्तु के विनष्ट हो जाने पर न दुखी होता हूं और न किसी वस्तु के अनायास मिल जाने पर आश्चर्य ही करता हूं। क्योंकि जो वस्तु दूसरों को मिलने वाली होगी, वह हमें नहीं मिल सकती और जो हमें मिलने वाली है, वह दूसरों को नहीं मिल सकती। Panchatantra Stories In Hindi

उस पुस्तक को देखकर सागर दत्त ने अपने पुत्र से पूछा – ‘तुमने इस पुस्तक को कितने में खरीदा है ?’ पुत्र ने उत्तर दिया- ‘एक सौ रुपए में।’ hindi short stories for kids panchatantra

अपने पुत्र से पुस्तक का मूल्य जानकर सागर दत्त कुपित हो गया। वह क्रोध से बोला – ‘अरे मूर्ख ! जब तुम लिखे हुए एक श्लोक को एक सौ रुपए में खरीदते हो तो तुम अपनी बुद्धि से क्या धन कमाओगे ? तुम जैसे मूर्ख को मैं अब अपने घर में नहीं रखूंगा।’ panchatantra stories for kids in hindi

सागर दत्त का पुत्र अपमानित होकर घर से निकल पड़ा। वह एक नगर में पहुंचा। लोग जब उसका नाम पूछते तो वह अपना नाम प्राप्तव्य – अर्थ ही बतलाता। इस प्रकार वह ‘प्राप्तव्य-अर्थ’ के नाम से पहचाना जाने लगा। कुछ दिनों बाद नगर में एक उत्सव मनाया गया। Panchatantra Stories In Hindi

Panchatantra Stories In Hindi-पहला तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 1

नगर की राजकुमारी चंद्रावती अपनी सहेली के साथ उत्सव की शोभा देखने निकली। इस प्रकार जब वह नगर का भ्रमण कर रही थी तो किसी देश का राजकुमार उसकी दृष्टि में आ गया। वह उस पर मुग्ध हो गई और अपनी सहेली से बोली – ‘सखि ! जिस प्रकार भी हो सके, इस राजकुमार से मेरा समागम कराने का प्रयास करो।’ hindi short stories for kids panchatantra

राजकुमारी की सहेली तत्काल उस राजकुमार के पास पहुंची और उससे बोली – मुझे राजकुमारी चंद्रावती ने आपके पास भेजा है। उनका कहना है कि आपको देखकर उनकी दशा बहुत शोचनीय हो गई है।

आप तुरंत उनके पास न गए तो मरने के अतिरिक्त उनके लिए अन्य कोई मार्ग नहीं रह जाएगा।’ इस पर उस राजपुत्र ने कहा- “यदि ऐसा है तो बताओ कि मैं उनके पास किस समय और किस प्रकार पहुंच सकता हूं ?’ panchatantra stories for kids in hindi

राजकुमारी की सहेली बोली –“रात्रि के समय उसके शयनकक्ष में चमड़े की एक मजबूत रस्सी लटकी हुई मिलेगी, आप उस पर चढ़कर राजकुमारी के कक्ष में पहुंच जाना।” hindi short stories for kids panchatantra

इतना बताकर राजकुमारी की सहेली तो वापस लौट गई, और राजकुमार रात्रि के आगमन की प्रतीक्षा करने लगा। किंतु रात हो जाने पर कुछ सोचकर उस राजपुत्र ने राजकुमारी के कक्ष में जाना एकाएक स्थगित कर दिया। Panchatantra Stories In Hindi

संयोग की बात है कि व्यापारी पुत्र ‘प्रातव्य – अर्थ उधर से ही निकल रहा था। उसने रस्सी लटकी देखी तो वह उस पर चढ़कर राजकुमारी के कक्ष में पहुंच गया। राजपुत्री ने भी उसको राजकुमार समझ उसका खूब स्वागत – सत्कार किया, उसको स्वादिष्ट भोजन खिलाया और अपनी शय्या पर उसे लिटाकर स्वयं भी लेट गई। hindi short stories for kids panchatantra

व्यापारीपुत्र के स्पर्श से रोमांचित होकर उस राजकुमारी ने कहा – “मैं आपके दर्शनमात्र से ही अनुरक्त होकर आपको अपना हृदय दे बैठी हूं। अब आपको छोड़कर किसी और को पति रूप में वरण नहीं करूंगी।’ hindi short stories for kids panchatantra

व्यापारीपुत्र कुछ नहीं बोला। वह शांत पड़ा रहा। इस पर राजकुमारी ने कहा –‘‘आप मुझसे बोल क्यों नहीं रहे हैं, क्या बात है ?’ तब व्यापारीपुत्र बोला – ‘मनुष्य प्राप्तक वस्तु को प्राप्त कर ही लेता है।’ यह सुनकर राजपुत्री को संदेह हो गया। panchatantra stories for kids in hindi

उसने तत्काल उसे अपने शयनकक्ष से बाहर भगा दिया। व्यापारीपुत्र वहां से निकलकर एक जीर्ण – शीर्ण मंदिर में विश्राम करने चला गया। संयोग की बात है कि नगररक्षक अपनी प्रेमिका से मिलने उसी मंदिर में आया हुआ था। उसे देखकर उसने पूछा – “आप कौन हैं?’ व्यापारीपुत्र बोला – ‘मनुष्य अपने प्राप्तव्य अर्थ को ही प्राप्त करता है।’ नगररक्षक बोला- “यह तो निर्जन स्थान है। आप मेरे स्थान पर जाकर सो जाइए।’

व्यापारीपुत्र ने उसकी बात को स्वीकार तो कर लिया, किंतु अर्द्धनिद्रित होने के कारण भूल से वह उस स्थान पर न जाकर किसी अन्य स्थान पर जा पहुंचा। Panchatantra Stories In Hindi

उस नगररक्षक की कन्या विनयवती भी किसी पुरुष के प्रेम में फंसी हुई थी। उसने उस स्थान पर आने का अपने प्रेमी को संकेत दिया हुआ था, जहां कि प्रातव्य – अर्थ पहुंच गया था। विनयवती वहां सोई हुई थी। उसको आते देखकर विनयवती ने यही समझा कि उसका प्रेमी आ गया है। वह प्रसन्न होकर उसका स्वागत – सत्कार करने लगी। hindi short stories for kids panchatantra

जब वह व्यापारीपुत्र के साथ अपनी शैया पर सोई तो उसने पूछा – क्या बात है, आप अब भी मुझसे निश्चिंत होकर बातचीत नहीं कर रहे हैं?’ व्यापारीपुत्र ने वही वाक्य दोहरा दिया-‘मनुष्य अपने प्राप्तव्य – अर्थ को ही प्राप्त करता है।’ विनयवती समझ गई कि बिना विचारे करने का उसको यह फल मिल रहा है। उसने तुरंत उस व्यापारीपुत्र को घर से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया। panchatantra stories for kids in hindi

व्यापारीपुत्र एक बार फिर सड़क पर आ गया। तभी उसे सामने से आती एक बारात दिखाई दी। वरकीर्ति नामक वर बड़ी धूमधाम से अपनी बारात लेकर जा रहा था। वह भी उस बारात में शामिल होकर उनके साथ – साथ चलने लगा। बारात अपने स्थान पर पहुंची, उसका खूब स्वागत – सत्कार हुआ।

विवाह का मुहूर्त होने पर सेठ की कन्या सज – धजकर विवाह -मंडप के समीप आई। उसी क्षण एक मदमस्त हाथी अपने महावत को मारकर भागता हुआ उधर आ पहुंचा। उसे देखकर भय के कारण सभी बाराती वर को लेकर वहां से भाग गए। hindi short stories for kids panchatantra

कन्या – पक्ष के लोग भी घबराकर घरों में घुस गए। कन्या उस स्थान पर अकेली रह गई। कन्या को भयभीत देखकर ‘प्राप्तव्य – अर्थ’ ने उसे सांत्वना दी –‘डरो मत। मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा।’

यह कहकर उसने एक हाथ से उस कन्या को संभाला और दूसरे हाथ में एक डंडा लेकर हाथी पर पिल पड़ा। डंडे की चोट से भयभीत होकर वह हाथी सहसा वहां से भाग निकला। Panchatantra Stories In Hindi

हाथी के चले जाने पर वरकीर्ति अपनी बारात के साथ वापस लौटा, किंतु तब तक विवाह का मुहूर्त निकल चुका था। उसने देखा कि उसकी वधूकिसी अन्य नौजवान के साथ सटकर खड़ी हुई है और नौजवान ने उसका हाथ थामा हुआ है। hindi short stories for kids panchatantra

यह देखकर उसे क्रोध आ गया और अपने ससुर से बोला – “आपने यह उचित नहीं किया। अपनी कन्या का हाथ मेरे हाथ में देने के स्थान पर किसी अन्य के हाथ में दे दिया है।” उसकी बात सुनकर सेठ बोला – ‘मुझे स्वयं भी नहीं मालूम कि यह घटना कैसे घटी। हाथी के डर से मैं भी तुम सब लोगों के साथ यहां से भाग गया था, अभी – अभी वापस लौटा हूं।’

सेठ की बेटी बोली- पिताजी। इन्होंने ही मुझे मृत्यु से बचाया है, अत: अब मैं इनको छोड़कर किसी अन्य के साथ विवाह नहीं करूंगी। इस प्रकार विवाद बढ़ गया, और रात्रि भी समाप्त हो गई। प्रात:काल वहां भीड़ इकट्टी हो गई।

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राजकुमारी भी वहां पहुंच गई थी। विनयवती ने सुना तो वह भी तमाशा देखने वहां जा पहुंची। स्वयं राजा भी इस विवाद की बात सुनकर वहां चला आया। उसने व्यापारीपुत्र से कहा –‘युवक ! तुम निश्चिंत होकर सारी घटना का विवरण मुझे सुनाओ|’ व्यापारीपुत्र ने उत्तर में यही कहा-‘मनुष्य प्राप्तव्य अर्थ को ही प्राप्त करता है।’ उसकी बात सुनकर राजपुत्री बोली-विधाता भी उसको नहीं रोक सकता।’

तब विनयवती कहने लगी-‘इसलिए मैं विगत बात पर पश्चाताप नहीं करती और मुझको उस पर कोई आश्चर्य नहीं होता।’ यह सुनकर विवाह-मंडप में आई सेठ की कन्या बोली – ‘जो वस्तु मेरी है, वह दूसरों की नहीं हो सकती।’ hindi short stories for kids panchatantra

राजा के लिए यह सब पहेली बन गया था। उसने सब कन्याओं से पृथक-पृथक सारी बात सुनी। और जब वह आश्वस्त हो गया तो उसने सबको अभयदान दिया। उसने अपनी कन्या को सम्पूर्ण अलंकारों से युक्त करके, एक हजार ग्रामों के साथ अत्यंत आदरपूर्वक ‘प्राप्तव्य – अर्थ को समर्पित कर दिया।

इतना ही नहीं उसने उसे अपना पुत्र भी मान लिया। इस प्रकार उसने उस व्यापारीपुत्र को युवराज पद पर प्रतिष्ठित कर दिया। नगररक्षक ने भी उसी प्रकार अपनी कन्या विनयवती उस व्यापारीपुत्र को सौंप दी। तीनों कन्याओं से विवाह कर व्यापारीपुत्र आनंदपूर्वक राजमहल में रहने लगा। बाद में उसने अपने समस्त परिवार को भी वहां बुला लिया। Panchatantra Stories In Hindi

सीख – Moral

यह छोटी सी नैतिक कहानी हमे सिखाती है की जो किस्मत पे लिखा होता है वो इंसान को अन्त मैं मिल ही जाता हैं।


यह कथा समाप्त कर हिरण्यक ने कहा-‘इसलिए मैं कहता हूं कि मनुष्य अपने प्रातव्य अर्थ को ही प्राप्त करता है। इस प्रकार अनुचरों से खिन्न होकर मैं आपके मित्र लघुपतनक के साथ यहां चला आया हूं। यही मेरे वैराग्य का कारण है।’ panchatantra stories for kids in hindi

हिरण्यक की बात सुनकर मंथरक कछुए ने कहा – मित्र हिरण्यक ! तुम नष्ट धन की चिंता मत करो ! जवानी और धन का उपयोग तो क्षणिक ही होता | पहले तो धन के अर्जन में ही कष्ट होता है और बाद में उसके संरक्षण में भी कष्ट होता है। panchatantra stories for kids in hindi

जितने कष्टों से मनुष्य धन का संचय करता है उसके शतांश कष्टों से भी यदि वह धर्म का संचय करे तो उसे मोक्ष मिल जाता है। तुम विदेश-प्रवास का भी दुख मत करो, क्योंकि व्यवसायी के लिए कोई स्थान दूर नहीं होता और विद्वान व्यक्ति के लिए कोई स्थान परदेश नहीं होता। साथ ही किसी प्रियवादी व्यक्ति के लिए कोई व्यक्ति पराया नहीं होता। hindi short stories for kids panchatantra

तुम निर्भय होकर यहां रहो। हम तीनों अच्छे मित्रों की भांति मिलकर जीवन-निर्वाह करेंगे। रही धन जाने की बात, तो धन कमाना तो भाग्य पर निर्भर करता है। भाग्य में न हो तो संचित धन भी नष्ट हो जाता है। अभागा आदमी तो धन को संचित करके भी उसका उपभोग उसी तरह नहीं कर पाता, जिस तरह सोमिलक नहीं कर पाया था। हिरण्यक ने पूछा – ‘यह सोमिलक कौन था ?’

तब मंथरक कछुए ने उसे यह कथा सुनाई।

Panchatantra Stories In Hindi-तीसरा तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 3

5) अभागा बुनकर :-

एक नगर में सोमिलक नाम का जुलाहा रहता था । विविध प्रकार के रंगीन और सुन्दर वस्त्र बनाने के बाद भी उसे भोजन-वस्त्र मात्र से अधिक धन कभी प्राप्त नहीं होता था । अन्य जुलाहे मोटा-सादा कपड़ा बुनते हुए धनी हो गये थे ।

उन्हें देखकर एक दिन सोमलिक ने अपनी पत्‍नी से कहा—“प्रिये ! देखो, मामूली कपड़ा बुनने वाले जुलाहों ने भी कितना धन-वैभव संचित कर लिया है और मैं इतन सुन्दर, उत्कृष्ट वस्त्र बनाते हुए भी आज तक निर्धन ही हूँ । प्रतीत होता है यह स्थान मेरे लिये भाग्यशाली नहीं है; अतः विदेश जाकर धनोपार्जन करुँगा ।” hindi short stories for kids panchatantra

सोमिलक-पत्‍नी ने कहा—“प्रियतम ! विदेश में धनोपार्जन की कल्पना मिथ्या स्वप्न से अधिक नहीं । धन की प्राप्ति होनी हो तो स्वदेश में ही हो जाती है । न होनी हो तो हथेली में आया धन भी नष्ट हो जाता है । अतः यहीं रहकर व्यवसाय करते रहो, भाग्य में लिखा होगा तो यहीं धन की वर्षा हो जायगी ।”

सोमिलक—“भाग्य-अभाग्य की बातें तो कायर लोग करते हैं । लक्ष्मी उद्योगी और पुरुषार्थी शेर-नर को ही प्राप्त होती है । शेर को भी अपने भोजन के लिये उद्यम करना पड़ता है । मैं भी उद्यम करुँगा; विदेश जाकर धन-संचय का यत्‍न करुँगा ।”

यह कहकर सोमिलक वर्धमानपुर चला गया । वहाँ तीन वर्षों में अपने कौशल से ३०० सोने की मुहरें लेकर वह घर की ओर चल दिया । रास्ता लम्बा था । आधे रास्ते में ही दिन ढल गया, शाम हो गई । आस-पास कोई घर नहीं था । Panchatantra Stories In Hindi

एक मोटे वृक्ष की शाखा के ऊपर चढ़कर रात बिताई । सोते-सोते स्वप्न आया कि दो भयंकर आकृति के पुरुष आपस में बात कर रहे हैं । एक ने कहा —-“हे पौरुष ! तुझे क्या मालूम नहीं है कि सोमिलक के पास भोजन-वस्त्र से अधिक धन नहीं रह सकता; तब तूने इसे ३०० मुहरें क्यों दीं ?” दूसरा बोला—-“हे भाग्य ! मैं तो प्रत्येक पुरुषार्थी को एक बार उसका फल दूंगा ही । उसे उसके पास रहने देना या नहीं रहने देना तेरे अधीन है ।” hindi short stories for kids panchatantra

स्वप्न के बाद सोमिलक की नींद खुली तो देखा कि मुहरों का पात्र खाली था । इतने कष्टों से संचित धन के इस तरह लुप्त हो जाने से सोमिलक बड़ा दुःखी हुआ, और सोचने लगा—“अपनी पत्‍नी को कौनसा मुख दिखाऊँगा, मित्र क्या कहेंगे ?” Panchatantra Stories In Hindi

यह सोचकर वह फिर वर्धमानपुर को ही वापिस आ गया । वहाँ दित-रात घोर परिश्रम करके उसने वर्ष भर में ही ५०० मुहरें जमा करलीं । उन्हें लेकर वह घर की ओर जा रहा था कि फिर आधे रास्ते में रात पड़ गई । इस बार वह सोने के लिये ठहरा नहीं; चलता ही गया । किन्तु चलते-चलते ही उसने फिर उन दोनों—पौरुष और भाग्य—को पहले की तरह बात-चीत करते सुना । hindi short stories for kids panchatantra

भाग्य ने फिर वही बात कही कि—-“हे पौरुष ! क्या तुझे मालूम नहीं कि सोमिलक के पास भोजन वस्त्र से अधिक धन नहीं रह सकता । तब, उसे तूने ५०० मुहरें क्यों दीं ?” पौरुष ने वही उत्तर दिया —-“हे भाग्य ! मैं तो प्रत्येक व्यवसायी को एक बार उसका फल दूंगा ही, इससे आगे तेरे अधीन है कि उसके पास रहने दे या छीन ले ।” इस बात-चीत के बाद सोमिलक ने जब अपनी मुहरों वाली गठरी देखी तो वह मुहरों से खाली थी । panchatantra stories for kids in hindi

इस तरह दो बार खाली हाथ होकर सोमिलक का मन बहुत दुःखी हुआ । उसने सोचा—-“इस धन-हीन जीवन से तो मृत्यु ही अच्छी है । आज इस वृक्ष की टहनी से रस्सी बाँधकर उस पर लटक जाता हूँ और यहीं प्राण दे देता हूँ ।” Panchatantra Stories In Hindi

गले में फन्दा लगा, उसे टहनी से बाँध कर जब वह लटकने ही वाला था कि उसे आकाश-वाणी हुई—“सौमिलक ! ऐसा दुःसाहस मत कर । मैंने ही तेरा धन चुराया है । तेरे भाग्य में भोजन-वस्त्र मात्र से अधिक धन का उपभोग नहीं लिखा । व्यर्थ के धन-संचय में अपनी शक्तियाँ नष्ट मत कर । घर जाकर सुख से रह । तेरे साहस से तो मैं प्रसन्न हूँ ; तू चाहे तो एक वरदान माँग ले । मैं तेरी इच्छा पूरी करुँगा ।”
सोमिलक ने कहा —-“मुझे वरदान में प्रचुर धन दे दो ।” hindi short stories for kids panchatantra

अदृष्ट देवता ने उत्तर दिया—-“धन का क्या उपयोग ? तेरे भाग्य में उसका उपभोग नहीं है । भोग-रहित धन को लेकर क्या करेगा ?” panchatantra stories for kids in hindi

सोमिलक तो धन का भूखा था, बोला—-“भोग हो या न हो, मुझे धन ही चाहिये । बिना उपयोग या उपभोग के भी धन कि बड़ी महिमा है । संसार में वही पूज्य माना जाता है, जिसके पास धन का संचय हो । कृपण और अकुलीन भी समाज में आदर पाते हैं ।

सोमिलक की बात सुनने के बाद देवता ने कहा —-“यदि यही बात है, धन की इच्छा इतनी ही प्रबल है तो तू फिर वर्धमानपुर चला जा । वहां दो बनियों के पुत्र हैं; एक गुप्तधन, दूसरा उपभुक्त धन । इन दोनों प्रकार के धनों का स्वरुप जानकर तू किसी एक का वरदान मांगना। panchatantra stories for kids in hindi

यदि तू उपभोग की योग्यता के बिना धन चाहेगा तो तुझे गुप्त धन दे दूंगा और यदि खर्च के लिये धन चाहेगा तो उपभुक्त धन दे दूंगा ।” यह कहकर वह देवता लुप्त हो गया । hindi short stories for kids panchatantra

सोमिलक उसके आदेशानुसार फिर वर्धमानपुर पहुँचा । शाम हो गई थी । पूछता-पूछता वह गुप्तधन के घर पर चला गया । घर पर उसका किसी ने सत्कार नहीं किया । इसके विपरीत उसे भला-बुरा कहकर गुप्तधन और उसकी पत्‍नी ने घर से बाहिर धकेलना चाहा।

किन्तु, सोमिलक भी अपने संकल्पा का पक्का था। सब के विरुद्ध होते हुए भी वह घर में घुसकर जा बैठा। भोजन के समय उसे गुप्तधन ने रुखीसूखी रोटी दे दी । उसे खाकर वह वहीं सो गया । Panchatantra Stories In Hindi

स्वप्न में उसने फिर वही दोनों देव देखे । वे बातें कर रहे थे । एक कह रहा था — “हे पौरुष ! तूने गुप्तधन को भोग्य से इतना अधिक धन क्यों दे दिया कि उसने सोमिलक को भी रोटी देदी ।” पौरुष ने उत्तर दिया—-“मेरा इसमें दोष नहीं । मुझे पुरुष के हाथों धर्म-पालन करवाना ही है, उसका फल देना तेरे अधीन है।”
दूसरे दिन गुप्तधन पेचिश से बीमार हो गया और उसे उपवास करना पड़ा । इस तरह उसकी क्षतिपूर्त्ति हो गई । hindi short stories for kids panchatantra

सोमिलक अगले दिन सुबह उपभुक्त धन के घर गया । वहां उसने भोजनादि द्वारा उसका सत्कार किया । सोने के लिये सुन्दर शय्या भी दी । सोते-सोते उसने फिर सुना; वही दोनों देव बातें कर रहे थे । एक कह रहा था —“हे पौरुष ! इसने सोमिलक का सत्कार करते हुए बहुत धन व्यय कर दिया है। अब इसकी क्षतिपूर्त्ति कैसे होगी ?” hindi short stories for kids panchatantra

दूसरे ने कहा —“हे भाग्य ! सत्कार के लिये धन व्यय करवाना मेरा धर्म था, इसका फल देना तेरे अधीन है।”
सुबह होने पर सोमिलक ने देखा कि राज-दरबार से एक राज-पुरुष राज-प्रसाद के रुप में धन की भेंट लाकर उपभुक्त धन को दे रहा था। panchatantra stories for kids in hindi

यह देखकर सोमिलक ने विचार किया कि “यह संचय-रहित उपभुक्त धन ही गुप्तधन से श्रेष्ठ है। जिस धन का दान कर दिया जाय या सत्कार्यों में व्यय कर दिया जाय वह धन संचित धन की अपेक्षा बहुत अच्छा होता है।”

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