पंचतंत्र की कहानियाँ (Panchatantra Stories In Hindi) भाग 4
Panchatantra Stories In Hindi || सम्पूर्ण पंचतंत्र की कहानियाँ :- पंचतंत्र की कहानियों को संस्कृत के नीतिकथाओं मैं सबसे पहला और उँदा स्थान दिया जाता है। पर इस पुस्तक का मूल संस्करण जो की अब मौजूद नहीं है, लेकिन इसकी सामग्री की पहचान मौजूदा अनुवादों के आधार पर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास की गई थी।
इस पुस्तक के लेखक पं. विष्णु शर्मा हैं। पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में विभाजित किया गया है और यह पोस्ट पंचतंत्र के चौथा तंत्र – लब्धप्रणाश (हाथ लगी चीज का हाथ से निकल जाना) मैं रहे सभी कहानियों को वहन कर रहा हैं।
चौथा तंत्र – लब्धप्रणाश (हाथ लगी चीज का हाथ से निकल जाना) :-
1) बंदर और मगरमच्छ की काहानी :-
एक नदी के किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक बन्दर रहता था। उस पेड़ पर बहुत ही मीठे-मीठे जामुन लगते थे। एक दिन एक मगरमच्छ खाना तलाशते हुए पेड़ के पास आया। बन्दर ने उससे पूछा तो उसने अपने आने की वजह बताई। panchatantra stories for kids in hindi
बन्दर ने बताया की यहाँ बहुत ही मीठे जामुन लगते हैं और उसने वो जामुन मगरमछ को दिए। उसकी मित्रता नदी में रहने वाले मगरमच्छ के साथ हो गयी। वह बन्दर उस मगरमच्छ को रोज़ खाने के लिए जामुन देता रहता था। Panchatantra Stories In Hindi
एकदिन उस मगरमच्छ ने कुछ जामुन अपनी पत्नी को भी खिलाये। स्वादिष्ट जामुन खाने के बाद उसने यह सोचकर कि रोज़ाना ऐसे मीठे फल खाने वाले का दिल भी खूब मीठा होगा, उसने अपने पति से कहा कि उसे उस बन्दर का दिल चाहिए और वो इसी ज़िद पर अड़ गई। उसने बीमारी का बहाना बनाया और कहा कि जब तक बन्दर का कलेजा उसे मिलेगा वो पायेगी। panchatantra stories for kids in hindi
पत्नी कि ज़िद से मजबूर हुए मगरमच्छ ने एक चाल चली और बन्दर से कहा कि उसकी भाभी उसे मिलना चाहती है। बन्दर ने कहा कि वो भला नदी में कैसे जायेगा? मगरमच्छ ने उपाय सुझाया कि वह उसकी पीठ पर बैठ जाये, ताकि सुरक्षित उसके घर पहुँच जाए। Panchatantra Stories In Hindi
बन्दर भी अपने मित्र की बात का भरोसा कर, पेड़ से नदी में कूदा और उसकी पीठ पर सवार हो गया। जब वे नदी के बीचों-बीच पहुंचे, मगरमच्छ ने सोचा कि अब बन्दर को सही बात बताने में कोई हानि नहीं और उसने भेद खोल दिया कि उसकी पत्नी उसका दिल खाना चाहती है। बन्दर का दिल टूट गया, उसको धक्का तो लगा, लेकिन उसने अपना धैर्य नहीं खोया। panchatantra stories for kids in hindi
बन्दर तपाक से बोला “ओह मेरे मित्र तुमने, यह बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई क्योंकि मैंने तो अपना दिल जामुन के पेड़ में सम्भाल कर रखा है। अब जल्दी से मुझे वापस नदी के किनारे ले चलो ताकि मैं अपना दिल लाकर अपनी भाभी को उपहार में देकर उसे खुश कर सकूं।” Panchatantra Stories In Hindi
मूर्ख मगरमच्छ बन्दर को जैसे ही नदी-किनारे ले कर आया बन्दर ने ज़ोर से जामुन के पेड़ पर छलांग लगाई और क्रोध में भरकर बोला, “मूर्ख, दिल के बिना भी क्या कोई ज़िन्दा रह सकता है ? जा, आज से तेरी-मेरी दोस्ती समाप्त।” panchatantra stories for kids in hindi
सीख – Moral
यह छोटी सी नैतिक कहानी हमे सिखाती है की मुसीबत के क्षणों में धैर्य नहीं खोना चाहिए, अनजान से दोस्ती सोच समझकर करनी चाहिए और मित्रता का सदैव सम्मान करना चाहिए ।
Panchatantra Stories In Hindi-पहला तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 1
2) मेंढकराज और नागराज की काहानी :-
एक कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे। उनके राजा का नाम था गंगदत्त। गंगदत्त बहुत झगड़ालू स्वभाव का था। आसपास दो-तीन और भी कुएं थे। उनमें भी मेंढक रहते थे। हर कुएं के मेंढकों का अपना राजा था।
हर राजा से किसी न किसी बात पर गंगदत्त का झगड़ा चलता ही रहता था। वह अपनी मूर्खता से कोई गलत काम करने लगता और बुद्धिमान मेंढक रोकने की कोशिश करता तो मौका मिलते ही अपने पाले गुंडे मेंढकों से पिटवा देता। कुएं के मेंढकों के भीतर गंगदत्त के प्रति रोष बढ़ता जा रहा था। घर में भी झगड़ों से चैन न था। अपनी हर मुसीबत के लिए दोष देता। hindi short stories for kids panchatantra
एक दिन गंगदत्त पड़ोसी मेंढक राजा से खूब झगड़ा। खूब तू-तू, मैं-मैं हुई। गंगदत्त ने अपने कुएं में आकर बताया कि पड़ोसी राजा ने उसका अपमान किया है। अपमान का बदला लेने के लिए उसने अपने मेंढकों को आदेश दिया कि पड़ोसी कुएं पर हमला करें सब जानते थे कि झगड़ा गंगदत्त ने ही शुरू किया होगा।
कुछ सयाने मेंढकों तथा बुद्धिमानों ने एकजुट होकर एक स्वर में कहा, ‘राजन, पड़ोसी कुएं में हमसे दुगने मेंढक हैं। वे स्वस्थ व हमसे अधिक ताकतवर हैं। हम यह लड़ाई नहीं लड़ेंगे।’
गंगदत्त सन्न रह गया और बुरी तरह तिलमिला गया। मन ही मन उसने ठान ली कि इन गद्दारों को भी सबक सिखाना होगा। गंगदत्त ने अपने बेटों को बुलाकर भड़काया, ‘बेटा, पड़ोसी राजा ने तुम्हारे पिताश्री का घोर अपमान किया है। जाओ, पड़ोसी राजा के बेटों की ऐसी पिटाई करो कि वे पानी मांगने लग जाएं।’
गंगदत्त के बेटे एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। आखिर बड़े बेटे ने कहा, ‘पिताश्री, आपने कभी हमें टर्राने की इजाजत नहीं दी। टर्राने से ही मेंढकों में बल आता है, हौसला आता है और जोश आता है। आप ही बताइए कि बिना हौसले और जोश के हम किसी की क्या पिटाई कर पाएंगे?’ Panchatantra Stories In Hindi
अब गंगदत्त सबसे चिढ़ गया। एक दिन वह कुढ़ता और बड़बड़ाता कुएं से बाहर निकल इधर-उधर घूमने लगा। उसे एक भयंकर नाग पास ही बने अपने बिल में घुसता नजर आया। उसकी आंखें चमकीं। जब अपने दुश्मन बन गए हों तो दुश्मन को अपना बनाना चाहिए। यह सोच वह बिल के पास जाकर बोला, ‘नागदेव, मेरा प्रणाम।’
नागदेव पुकारा , ‘अरे मेंढक मैं तुम्हारा बैरी हूं। तुम्हें खा जाता हूं और तू मेरे बिल के आगे आकर मुझे आवाज दे रहा है।‘ panchatantra stories for kids in hindi
गंगदत्त टर्राया, ‘हे नाग, कभी-कभी शत्रुओं से ज्यादा अपने दुख देने लगते हैं। मेरा अपनी जाति वालों और सगों ने इतना घोर अपमान किया है कि उन्हें सबक सिखाने के लिए मुझे तुम जैसे शत्रु के पास सहायता मांगने आना पड़ा है। तुम मेरी दोस्ती स्वीकार करो और मजे करो।’
नाग ने बिल से अपना सिर बाहर निकाला और बोला, ‘मजे, कैसे मजे?’
गंगदत्त ने कहा, ‘मैं तुम्हें इतने मेंढक खिलाऊंगा कि तुम मोटाते-मोटाते अजगर बन जाओगे।’
नाग ने शंका व्यक्त की, ‘पानी में मैं जा नहीं सकता। कैसे पकडूंगा मेंढक?’
गंगदत्त ने ताली बजाई, ‘नाग भाई, यहीं तो मेरी दोस्ती तुम्हारे काम आएगी। मैंने पड़ोसी राजाओं के कुओं पर नजर रखने के लिए अपने जासूस मेंढकों से गुप्त सुरंगें खुदवा रखीं हैं। हर कुएं तक उनका रास्ता जाता है। सुरंगें जहां मिलती हैं, वहां एक कक्ष है। तुम वहां रहना और जिस-जिस मेंढक को खाने के लिए कहूं, उन्हें खाते जाना।’ panchatantra stories for kids in hindi
नाग गंगदत्त से दोस्ती के लिए तैयार हो गया। क्योंकि उसमें उसका लाभ ही लाभ था। एक मूर्ख बदले की भावना में अंधे होकर अपनों को दुश्मन के पेट के हवाले करने को तैयार हो तो दुश्मन क्यों न इसका लाभ उठाए? hindi short stories for kids panchatantra
नाग गंगदत्त के साथ सुरंग कक्ष में जाकर बैठ गया। गंगदत्त ने पहले सारे पड़ोसी मेंढक राजाओं और उनकी प्रजाओं को खाने के लिए कहा। नाग कुछ सप्ताहों में सारे दूसरे कुओं के मेंढकों को सुरंगों के रास्ते जा-जाकर खा गया। जब सब समाप्त हो गए तो नाग गंगदत्त से बोला, ‘अब किसे खाऊं? जल्दी बता। चौबीस घंटे पेट फुल रखने की आदत पड़ गई है।’ Panchatantra Stories In Hindi
गंगदत्त ने कहा, ‘अब मेरे कुएं के सभी सयाने और बुद्धिमान मेंढकों को खाओ।’
वह खाए जा चुके तो प्रजा की बारी आई। गंगदत्त ने सोचा, ‘प्रजा की ऐसी की तैसी। हर समय कुछ न कुछ शिकायत करती रहती है। उनको खाने के बाद नाग ने खाना मांगा तो गंगदत्त बोला, ‘नाग मित्र, अब केवल मेरा कुनबा और मेरे मित्र बचे हैं। खेल खत्म और मेंढक हजम।’
नाग ने फन फैलाया और फुफकारने लगा, ‘मेंढक, मैं अब कहीं नहीं जाने का। तू अब खाने का इंतजाम कर वर्ना।’ panchatantra stories for kids in hindi
गंगदत्त की बोलती बंद हो गई। उसने नाग को अपने मित्र खिलाए फिर उसके बेटे नाग के पेट में गए। गंगदत्त ने सोचा कि मैं और मेंढकी जिंदा रहे तो बेटे और पैदा कर लेंगे। बेटे खाने के बाद नाग फुफकारा, ‘और खाना कहां है? गंगदत्त ने डरकर मेंढकी की ओर इशार किया। गंगदत्त ने स्वयं के मन को समझाया, ‘चलो बूढ़ी मेंढकी से छुटकारा मिला। नई जवान मेंढकी से विवाह कर नया संसार बसाऊंगा।’
मेंढकी को खाने के बाद नाग ने मुंह फाड़ा, ‘खाना।’
गंगदत्त ने हाथ जोड़े, ‘अब तो केवल मैं बचा हूं। तुम्हारा दोस्त गंगदत्त। अब लौट जाओ।’
नाग बोला, ‘तू कौन-सा मेरा मामा लगता है और उसे हड़प गया।
सीख – Moral
यह छोटी सी नैतिक कहानी हमे सिखाती है की अपनो से बदला लेने के लिए जो शत्रु का साथ लेता है, उसका अंत निश्चित है।
Panchatantra Stories In Hindi-दूसरा तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 2
3) शेर, गीदड़ और एक मूर्ख गधे की काहानी :-
एक घने जङगल में करालकेसर नाम का शेर रहता था । उसके साथ धूसरक नाम का गीदड़ भी सदा सेवाकार्य के लिए रहा करता था । शेर को एक बार एक मत्त हाथी से लड़ना पड़ा था, तब से उसके शरीर पर कई घाव हो गये थे । panchatantra stories for kids in hindi
एक टाँग भी इस लड़ाई में टूट गई थी । उसके लिये एक क़दम चलना भी कठिन हो गया था । जङगल में पशुओं का शिकार करना उसकी शक्ति से बाहर था । शिकार के बिना पेट नहीं भरता था । शेर और गीदड़ दोनों भूख से व्याकुल थे । एक दिन शेर ने गीदड़ से कहा— “तू किसी शिकार की खोज कर के यहाँ ले आ; मैं पास में आए पशु की मार डालूँगा, फिर हम दोनों भर-पेट खाना खायेंगे ।”
गीदड़ शिकार की खोज में पास के गाँव में गया । वहाँ उसने तालाब के किनारे लम्बकर्ण नाम के गधे को हरी-हरी घास की कोमल कोंपलें खाते देखा । उसके पास जाकर बोला- “मामा ! नमस्कार । बड़े दिनों बाद दिखाई दिये हो । इतने दुबले कैसे हो गये ?” hindi short stories for kids panchatantra
गधे ने उत्तर दिया – “भगिनीपुत्र ! क्या कहूँ ? धोबी बड़ी निर्दयता से मेरी पीठ पर बोझा रख देता है और एक कदम भी ढीला पड़ने पर लाठियों से मारता है । घास मुठ्ठीभर भी नहीं देता । स्वयं मुझे यहाँ आकर मिट्टी-मिली घास के तिनके खाने पड़ते हैं । इसीलिये दुबला होता जा रहा हूँ ।”
गीदड़ बोला- “मामा ! यही बात है तो मैं तुझे एक जगह ऐसी बतलाता हूँ, जहां मरकत-मणि के समान स्वच्छ हरी घास के मैदान हैं, निर्मल जल का जलाशय भी पास ही है । वहां आओ और हँसते-गाते जीवन व्यतीत करो ।” hindi short stories for kids panchatantra
लम्बकर्ण ने कहा- “बात तो ठीक है भगिनीपुत्र ! किन्तु हम देहाती पशु हैं, वन में जङगली जानवर मार कर खा जायेंगे । इसीलिये हम वन के हरे मैदानों का उपभोग नहीं कर सकते ।”
गीदड़ – “मामा ! ऐसा न कहो । वहाँ मेरा शासन है । मेरे रहते कोई तुम्हारा बाल भी बाँका नहीं कर सकता । तुम्हारी तरह कई गधों को मैंने धोबियों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई है । इस समय भी वहाँ तीन गर्दभ-कन्यायें रहती हैं, जो अब जवान हो चुकी हैं । उन्होंने आते हुए मुझे कहा था कि तुम हमारी सच्ची माँ हो तो गाँव में जाकर हमारे लिये किसी गर्दभपति को लाओ । इसीलिए तो मैं तुम्हारे पास आया हूँ।” hindi short stories for kids panchatantra
गीदड़ की बात सुनकर लम्बकर्ण ने गीदड़ के साथ चलने का निश्चय कर लिया । गीदड़ के पीछे-पीछे चलता हुआ वहु उसी वनप्रदेश में आ पहुँचा जहाँ कई दिनों का भूखा शेर भोजन की प्रतीक्षा मैं बैठा था ।
शेर के उठते ही लम्बकर्ण ने भागना शुरु कर दिया । उसके भागते-भागते भी शेर ने पंजा लगा दिया । लेकिन लम्बकर्ण शेर के पंजे में नहीं फँसा, भाग ही गया ।
तब, गीदड़ ने शेर से कहा- “तुम्हारा पंजा बिल्कुल बेकार हो गया है । गधा भी उसके फन्दे से बच भागता है । क्या इसी बल पर तुम हाथी से लड़ते हो ?”hindi short stories for kids panchatantra
शेर ने जरा लज्जित होते हुए उत्तर दिया- ” अभी मैंने अपना पंजा तैयार भी नहीं किया था । वह अचानक ही भाग गया । अन्यथा हाथी भी इस पंजे की मार से घायल हुए बिना भाग नहीं सकता ।”
गीदड़ बोला- “अच्छा ! तो अब एक बार और यत्न करके उसे तुम्हारे पास लाता हूँ । यह प्रहार खाली न जाये ।” hindi short stories for kids panchatantra
शेर – “जो गधा मुझे अपनी आँखों देख कर भागा है, वह अब कैसे आयगा ? किसी और पर घात लगाओ।”
गीदड़- “इन बातों में तुम दखल मत दो । तुम तो केवल तैयार होकर बैठ रहो ।”
गीदड़ ने देखा कि गधा उसी स्थान पर फिर घास चर रहा है ।
गीदड़ को देखकर गधे ने कहा- “भगिनीसुत ! तू भी मुझे खूब अच्छी़ जगह ले गया । एक क्षण और हो जाता तो जीवन से हाथ धोना पड़ता । भला, वह कौन सा जानवर था जो मुझे देख कर उठा था, और जिसका वज्रसमान हाथ मेरी पीठ पर पड़ा था ?” panchatantra stories for kids in hindi
तब हँसते हुए गीदड़ ने कहा- “मामा ! तुम भी विचित्र हो, गर्दभी तुम्हें देख कर आलिङगन करने उठी और तुम वहाँ से भाग आये । उसने तो तुम से प्रेम करने को हाथ उठाया था । वह तुम्हारे बिना जीवित नहीं रहेगी । भूखी-प्यासी मर जायगी । वह कहती है, यदि लम्बकर्ण मेरा पति नहीं होगा तो मैं आग में कूद पडूंगी ।” hindi short stories for kids panchatantra
इसलिए अब उसे अधिक मत सताओ । अन्यथा स्त्री-हत्या का पाप तुम्हारे सिर लगेगा । चलो, मेरे साथ चलो ।” panchatantra stories for kids in hindi
गीदड़ की बात सुन कर गधा उसके साथ फिर जङगल की ओर चल दिया । वहाँ पहुँचते ही शेर उस पर टूट पडा़ । उसे मार कर शेर तालाब में स्नान करने गया । गीदड़ रखवाली करता रहा । शेर को जरा देर हो गई । भूख से व्याकुल गीदड़ ने गधे के कान और दिल के हिस्से काट कर खा लिये ।
शेर जब भजन-पूजन से वापस आया तो उसने देखा कि गधे के कान नहीं थे, और दिल भी निकला हुआ था । क्रोधित होकर उसने गीदड़ से कहा- “पापी ! तूने इसके कान और दिल खा कर इसे जूठा क्यों किया?” hindi short stories for kids panchatantra
गीदड़ बोला- “स्वामी ! ऐसा न कहो । इसके कान और दिल थे ही नहीं, तभी तो यह एक बार जाकर भी वापस आ गया था ।” panchatantra stories for kids in hindi
शेर को गीदड़ की बात पर विश्वास हो गया । दोनों ने बाँट कर गधे का भोजन किया ।
4) एक कुम्हार की कहानी :-
युधिष्ठिर नाम का कुम्हार एक बार टूटे हुए घड़े के नुकीले ठीकरे से टकरा कर गिर गया । गिरते ही वह ठीकरा उसके माथे में घुस गया । खून बहने लगा । घाव गहरा था, दवा-दारु से भी ठीक न हुआ । घाव बढ़ता ही गया । कई महीने ठीक होने में लग गये । ठीक होने पर भी उसका निशान माथे पर रह गया ।
कुछ दिन बाद अपने देश में दुर्भिक्ष पड़ने पर वह एक दूसरे देश में चला गया । वहाँ वह राजा के सेवकों में भर्ती हो गया । राजा ने एक दिन उसके माथे पर घाव के निशान देखे तो समझा कि यह अवश्य कोई वीर पुरुष होगा , जो लड़ाई में शत्रु का सामने से मुक़ाबिला करते हुए घायल हो गया होगा । panchatantra stories for kids in hindi
यह समझ उसने उसे अपनी सेना में ऊँचा पद दे दिया । राजा के पुत्र व अन्य सेनापति इस सम्मान को देखकर जलते थे, लेकिन राजभय से कुछ कह नहीं सकते थे । panchatantra stories for kids in hindi
कुछ दिन बाद उस राजा को युद्ध-भूमि में जाना पड़ा । वहाँ जब लड़ाई की तैयारियाँ हो रही थीं, हाथियों पर हौदे डाले जा रहे थे, घोड़ों पर काठियां चढा़ई जा रही थीं, युद्ध का बिगुल सैनिकों को युद्ध-भूमि के लिये तैयार होने का संदेश दे रहा था —
राजा ने प्रसंगवश युधिष्ठिर कुंभकार से पूछा—-“वीर ! तेरे माथे पर यह गहरा घाव किस संग्राम में कौन से शत्रु का सामना करते हुए लगा था ?” Panchatantra Stories In Hindi
कुंभकार ने सोचा कि अब राजा और उसमें इतनी निकटता हो चुकी है कि राजा सचाई जानने के बाद भी उसे मानता रहेगा । यह सोच उसने सच बात कह दी कि—“यह घाव हथियार का घाव नहीं है । मैं तो कुंभकार हूं । एक दिन शराब पीकर लड़खड़ाता हुआ जब मैं घर से निकला तो घर में बिखरे पड़े घड़ों के ठीकरों से टकरा कर गिर पड़ा । एक नुकीला ठीकरा माथे में गड़ गया । यह निशान उसका ही है ।”
राजा यह बात सुनकर बहुत लज्जित हुआ, और क्रोध से कांपते हुए बोला “तूने मुझे ठगकर इतना ऊँचा पद पा लिया । अभी मेरे राज्य से निकल जा ।” hindi short stories for kids panchatantra
कुंभकार ने बहुत अनुनय विनय की, “मैं युद्ध के मैदान में तुम्हारे लिये प्राण दे दूंगा, मेरा युद्ध-कौशल तो देख लो ।” Panchatantra Stories In Hindi
किन्तु, राजा ने एक बात न सुनी । उसने कहा कि भले ही तुम सर्वगुणसम्पन्न हो, शूर हो, पराक्रमी हो, किन्तु हो तो कुंभकार ही । जिस कुल में तेरा जन्म हुआ है वह शूरवीरों का नहीं है । तेरी अवस्था उस गीदड़ की तरह है, जो शेरों के बच्चों में पलकर भी हाथी से लड़ने को तैयार न हुआ था ।”
इसी तरह राजा ने कुम्भकार से कहा, “तू भी, इससे पहले कि अन्य राजपुत्र तेरे कुम्हार होने का भेद जानें, और तुझे मार डालें, तू यहाँ से भागकर कुम्हारों में मिल जा ।” panchatantra stories for kids in hindi
अंत में कुम्हार वह राज्य छोड़कर चला गया।
5) गीदड़ गीदड़ है और शेर शेर :-
एक जंगल में शेर-शेरनी का युगल रहता था । शेरनी के दो बच्चे हुए । शेर प्रतिदिन हिरणों को मारकर शेरनी के लिये लाता था । दोनों मिलकर पेट भरते थे । एक दिन जंगल में बहुत घूमने के बाद भी शाम होने तक शेर के हाथ कोई शिकार न आया । खाली हाथ घर वापिस आ रहा था तो उसे रास्ते में गीदड़ का बच्चा मिला। hindi short stories for kids panchatantra
बच्चे को देखकर उसके मन में दया आ गई; उसे जीधित ही अपने मुख में सुरक्षा-पूर्वक लेकर वह घर आ गया और शेरनी के सामने उसे रखते हुए बोला- “प्रिये ! आज भोजन तो कुछ़ मिला नहीं । रास्ते में गीदड़ का यह बच्चा खेल रहा था । उसे जीवित ही ले आया हूँ । तुझे भूख लगी है तो इसे खाकर पेट भरले । कल दूसरा शिकार लाऊँगा ।” Panchatantra Stories In Hindi
शेरनी बोली- “प्रिय ! जिसे तुमने बालक जानकर नहीं मारा, उसे मारकर मैं कैसे पेट भर सकती हूँ ! मैं भी इसे बालक मानकर ही पाल लूँगी । समझ लूँगी कि यह मेरा तीसरा बच्चा है ।”
गीदड़ का बच्चा भी शेरनी का दूध पीकर खूब पुष्ट हो गया । और शेर के अन्य दो बच्चों के साथ खेलने लगा । शेर-शेरनी तीनों को प्रेम से एक समान रखते थे । hindi short stories for kids panchatantra
कुछ दिन बाद उस वन में एक मत्त हाथी आ गया । उसे देख कर शेर के दोनों बच्चे हाथी पर गुर्राते हुए उसकी ओर लपके । गीदड़ के बच्चे ने दोनों को ऐसा करने से मना करते हुए कहा- “यह हमारा कुलशत्रु है । उसके सामने नहीं जाना चाहिये । शत्रु से दूर रहना ही ठीक है ।” Panchatantra Stories In Hindi
यह कहकर वह घर की ओर भागा । शेर के बच्चे भी निरुत्साहित होकर पीछे़ लौट आये ।
Panchatantra Stories In Hindi पाँचवा तंत्र || Part 5
घर पहुँच कर शेर के दोनों बच्चों ने माँ-बाप से गीदड़ के बच्चे के भागने की शिकायत करते हुए उसकी कायरता का उपहास किया । गीदड़ का बच्चा इस उपहास से बहुत क्रोधित हो गया ।
लाल-लाल आंखें करके और होठों को फड़फड़ाते हुए वह उन दोनों को जली-कटी सुनाने लगा । तब, शेरनी ने उसे एकान्त में बुलाकर कहा कि- “इतना प्रलाप करना ठीक नहीं, वे तो तेरे छो़टे भाई हैं, उनकी बात को टाल देना ही अच्छा़ है ।” Panchatantra Stories In Hindi
गीदड़ का बच्चा शेरनी के समझाने-बुझाने पर और भी भड़क उठा और बोला- “मैं बहादुरी में, विद्या में या कौशल में उनसे किस बात में कम हूँ, जो वे मेरी हँसी उड़ाते हैं; मैं उन्हें इसका मजा़ चखाऊँगा, उन्हें मार डालूँगा ।” hindi short stories for kids panchatantra
यह सुनकर शेरनी ने हँसते-हँसते कहा- “तू बहादुर भी है, विद्वान् भी है, सुन्दर भी है, लेकिन जिस कुल में तेरा जन्म हुआ है उसमें हाथी नहीं मारे जाते । समय आ गया है कि तुझ से सच बात कह दी देनी चाहिये । तू वास्तव में गीदड़ का बच्चा है । मैंने तुझे अपना दूध देकर पाला है । अब इससे पहले कि तेरे भाई इस सचाई को जानें, तू यहाँ से भागकर अपने स्वजातियों से मिल जा । अन्यथा वह तुझे जीता नहीं छो़डेंगे ।”
यह सुनकर वह डर से काँपता हुआ अपने गीदड़ दल में आ मिला ।
6) शेर की खाल में गधा :-
एक शहर में शुद्धपट नाम का धोबी रहता था । उसके पास एक गधा भी था । घास न मिलने से वह बहुत दुबला हो गया । धोबी ने तब एक उपाय सोचा । कुछ दिन पहले जंगल में घूमते-घूमते उसे एक मरा हुआ शेर मिला था, उसकी खाल उसके पास थी ।
उसने सोचा यह खाल गधे को ओढ़ा कर खेत में भेज दूंगा, जिससे खेत के रखवाले इसे शेर समझकर डरेंगे और इसे मार कर भगाने की कोशिश नहीं करेंगे । hindi short stories for kids panchatantra
धोबी की चाल चल गई । हर रात वह गधे को शेर की खाल पहना कर खेत में भेज देता था । गधा भी रात भर खाने के बाद घर आ जाता था । Panchatantra Stories In Hindi
लेकिन एक दिन यह पोल खुल गई । गधे ने एक गधी की आवाज सुन कर खुद भी अरड़ाना शुरु कर दिया । रखवाले शेर की खाल ओढ़े गधे पर टूट पड़े, और उसे इतना मारा कि बिचारा मर ही गया । उसकी वाचालता ने उसकी जान ले ली । panchatantra stories for kids in hindi
7) घमंड का सिर हमेशा नीचा :-
एक गांव में उज्वलक नाम का बढ़ई रहता था । वह बहुत गरीब था । ग़रीबी से तंग आकर वह गांव छो़ड़कर दूसरे गांव के लिये चल पड़ा । रास्ते में घना जंगल पड़ता था । वहां उसने देखा कि एक ऊंटनी प्रसवपीड़ा से तड़फड़ा रही है । hindi short stories for kids panchatantra
ऊँटनी ने जब बच्चा दिया तो वह उँट के बच्चे और ऊँटनी को लेकर अपने घर आ गया । वहां घर के बाहर ऊँटनी को खूंटी से बांधकर वह उसके खाने के लिये पत्तों-भरी शाखायें काटने वन में गया । ऊँटनी ने हरी-हरी कोमल कोंपलें खाईं । hindi short stories for kids panchatantra
बहुत दिन इसी तरह हरे-हरे पत्ते खाकर ऊंटनी स्वस्थ और पुष्ट हो गई । ऊँट का बच्चा भी बढ़कर जवान हो गया । बढ़ई ने उसके गले में एक घंटा बांध दिया, जिससे वह कहीं खोया न जाय। panchatantra stories for kids in hindi
दूर से ही उसकी आवाज सुनकर बढ़ई उसे घर लिवा लाता था । ऊँटनी के दूध से बढ़ई के बाल-बच्चे भी पलते थे । ऊँट भार ढोने के भी काम आने लगा । Panchatantra Stories In Hindi
उस ऊँट-ऊँटनी से ही उसका व्यापर चलता था । यह देख उसने एक धनिक से कुछ रुपया उधार लिया और गुर्जर देश में जाकर वहां से एक और ऊँटनी ले आया । कुछ दिनों में उसके पास अनेक ऊँट-ऊँटनियां हो गईं । उनके लिये रखवाला भी रख लिया गया । बढ़ई का व्यापार चमक उठा । घर में दुधकी नदियाँ बहने लगीं । Panchatantra Stories In Hindi
शेष सब तो ठीक था—-किन्तु जिस ऊँट के गले में घंटा बंधा था, वह बहुत गर्वित हो गया था । वह अपने को दूसरों से विशेष समझता था । सब ऊँट वन में पत्ते खाने को जाते तो वह सबको छो़ड़कर अकेला ही जंगल में घूमा करता था । hindi short stories for kids panchatantra
उसके घंटे की आवाज़ से शेर को यह पता लग जाता था कि ऊँट किधर है । सबने उसे मना किया कि वह गले से घंटा उतार दे, लेकिन वह नहीं माना । hindi short stories for kids panchatantra
एक दिन जब सब ऊँट वन में पत्ते खाकर तालाब से पानी पीने के बाद गांव की ओर वापिस आ रहे थे, तब वह सब को छो़ड़कर जंगल की सैर करने अकेला चल दिया । शेर ने भी घंटे की आवाज सुनकर उसका पीछा़ किया । और जब वह पास आया तो उस पर झपट कर उसे मार दिया । panchatantra stories for kids in hindi
सीख – Moral
यह छोटी सी नैतिक कहानी हमे सिखाती है की घमंड का सिर नीचा ।
Panchatantra Stories In Hindi-पहला तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 1
8) सियार की रणनीति :-
एक जंगल में महाचतुरक नामक सियार रहता था। एक दिन जंगल में उसने एक मरा हुआ हाथी देखा। उसकी बांछे खिल गईं। उसने हाथी के मृत शरीर पर दांत गड़ाया पर चमड़ी मोटी होने की वजह से, वह हाथी को चीरने में नाकाम रहा। hindi short stories for kids panchatantra
वह कुछ उपाय सोच ही रहा था कि उसे सिंह आता हुआ दिखाई दिया। आगे बढ़कर उसने सिंह का स्वागत किया और हाथ जोड़कर कहा, “स्वामी आपके लिए ही मैंने इस हाथी को मारकर रखा है, आप इस हाथी का मांस खाकर मुझ पर उपकार कीजिए।” सिंह ने कहा, “मैं तो किसी के हाथों मारे गए जीव को खाता नहीं हूं, इसे तुम ही खाओ।” Panchatantra Stories In Hindi
सियार मन ही मन खुश तो हुआ पर उसकी हाथी की चमड़ी को चीरने की समस्या अब भी हल न हुई थी।थोड़ी देर में उस तरफ एक बाघ आ निकला। hindi short stories for kids panchatantra
Panchatantra Stories In Hindi-तीसरा तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 3
बाघ ने मरे हाथी को देखकर अपने होंठ पर जीभ फिराई। सियार ने उसकी मंशा भांपते हुए कहा, “मामा आप इस मृत्यु के मुंह में कैसे आ गए? सिंह ने इसे मारा है और मुझे इसकी रखवाली करने को कह गया है। एक बार किसी बाघ ने उनके शिकार को जूठा कर दिया था तब से आज तक वे बाघ जाति से नफरत करने लगे हैं। आज तो हाथी को खाने वाले बाघ को वह जरुर मार गिराएंगे।” hindi short stories for kids panchatantra
यह सुनते ही बाघ वहां से भाग खड़ा हुआ। पर तभी एक चीता आता हुआ दिखाई दिया। सियार ने सोचा चीते के दांत तेज होते हैं। कुछ ऐसा करूं कि यह हाथी की चमड़ी भी फाड़ दे और मांस भी न खाए। उसने चीते से कहा, “प्रिय भांजे, इधर कैसे निकले? कुछ भूखे भी दिखाई पड़ रहे हो।”
सिंह ने इसकी रखवाली मुझे सौंपी है, पर तुम इसमें से कुछ मांस खा सकते हो। मैं जैसे ही सिंह को आता हुआ देखूंगा, तुम्हें सूचना दे दूंगा, तुम सरपट भाग जाना”। hindi short stories for kids panchatantra
पहले तो चीते ने डर से मांस खाने से मना कर दिया, पर सियार के विश्वास दिलाने पर राजी हो गया।चीते ने पलभर में हाथी की चमड़ी फाड़ दी। Panchatantra Stories In Hindi
जैसे ही उसने मांस खाना शुरू किया कि दूसरी तरफ देखते हुए सियार ने घबराकर कहा, “भागो सिंह आ रहा है”। hindi short stories for kids panchatantra
इतना सुनना था कि चीता सरपट भाग खड़ा हुआ। सियार बहुत खुश हुआ। उसने कई दिनों तक उस विशाल जानवर का मांस खाया।सिर्फ अपनी सूझ-बूझ से छोटे से सियार ने अपनी समस्या का हल निकाल लिया।
सीख – Moral
यह छोटी सी नैतिक कहानी हमे सिखाती है की बुद्धि के प्रयोग से कठिन से कठिन काम भी संभव हो जाता है।
9) कुत्ते का वैरी कुत्ता से :-
एक गाँव में चित्रांग नाम का कुत्ता रहता था । वहां दुर्भिक्ष पड़ गया । अन्न के अभाव में कई कुत्तों का वंशनाश हो गया । अन्न के अभाव में कई कुत्तों का वंशनाश हो गया । चित्रांग ने भी दुर्भिक्ष से बचने के लिये दूसरे गाँव की राह ली । hindi short stories for kids panchatantra
वहाँ पहुँच कर उसने एक घर में चोरी से जाकर भरपेट खाना खा लिया । जिसके घर खाना खाया था उसने तो कुछ़ नहीं कहा, लेकिन घर से बाहर निकला तो आसपास के सब कुत्तों ने उसे घेर लिया । भयङकर लड़ाई हुई । चित्रांग के शरीर पर कई घाव लग गये । चित्रांग ने सोचा- ‘इससे तो अपना गाँव ही अच्छा है, जहाँ केवल दुर्भिक्ष है, जान के दुश्मन कुत्ते तो नहीं हैं ।’ Panchatantra Stories In Hindi
यह सोच कर वह वापिस आ गया । अपने गाँव आने पर उससे सब कुत्तों ने पूछा- “चित्रांग ! दूसरे गाँव की बात सुना । वह गाँव कैसा है ? वहाँ के लोग कैसे हैं ? वहाँ खाने-पीने की चीजें कैसी हैं ?”
चित्रांग ने उत्तर दिया- “मित्रो, उस गाँव में खाने-पीने की चीजें तो बहुत अच्छी़ हैं, और गृह-पत्नियाँ भी नरम स्वभाव की हैं; किन्तु दूसरे गाँव में एक ही दोष है, अपनी जाति के ही कुत्ते बड़े खूंखार हैं ।”
Panchatantra Stories In Hindi-दूसरा तंत्र || पंचतंत्र की कहानियाँ || भाग 2
10) स्त्री का विश्वास :-
एक स्थान पर एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी बड़े प्रेम से रहते थे । किन्तु ब्राह्मणी का व्यवहार ब्राह्मण के कुटुम्बियों से अच्छा़ नहीं था । परिवार में कलह रहता था । प्रतिदिन के कलह से मुक्ति पाने के लिये ब्राह्मण ने मां-बाप, भाई-बहिन का साथ छो़ड़कर पत्नी को लेकर दूर देश में जाकर अकेले घर बसाकर रहने का निश्चय किया । hindi short stories for kids panchatantra
यात्रा लंबी थी । जंगल में पहुँचने पर ब्राह्मणी को बहुत प्यास लगी । ब्राह्मण पानी लेने गया । पानी दूर था, देर लग गई । पानी लेकर वापिस आया तो ब्राह्मणी को मरी पाया । ब्राह्मण बहुत व्याकुल होकर भगवान से प्रार्थना करने लगा । hindi short stories for kids panchatantra
उसी समय आकाशवाणी हुई कि—“ब्राह्मण ! यदि तू अपने प्राणों का आधा भाग इसे देना स्वीकार करे तो ब्राह्मनी जीवित हो जायगी ।” ब्राह्मण ने यह स्वीकार कर लिया । ब्राह्मणी फिर जीवित हो गई । दोनों ने यात्रा शुरु करदी । Panchatantra Stories In Hindi
वहाँ से बहुत दूर एक नगर था । नगर के बारा में पहुँचकर ब्राह्मण ने कहा – “प्रिये ! तुम यहीं ठहरो, मैं अभी भोजन लेकर आता हूँ ।” panchatantra stories for kids in hindi
ब्राह्मण के जाने के बाद ब्राह्मणी अकेली रह गई । उसी समय बारा के कूएं पर एक लंगड़ा, किन्तु सुन्दर जवान रहट चला रहा था । ब्राह्मणी उससे हँसकर बोली । वह भी हँसकर बोला । दोनों एक दूसरे को चाहने लगे । दोनों ने जीवन भर एक साथ रहने का प्रण कर लिया । Panchatantra Stories In Hindi
ब्राह्मण जब भोजन लेकर नगर से लौटा तो ब्राह्मणी ने कहा—“यह लँगड़ा व्यक्ति भी भूखा है, इसे भी अपने हिस्से में से दे दो ।” जब वहां से आगे प्रस्थान करने लगे तो ब्राह्मणी ने ब्राह्मण से अनुरोध किया कि- “इस लँगड़े व्यक्ति को भी साथ ले लो । रास्ता अच्छा़ कट जायगा । तुम जब कहीं जाते हो तो मैं अकेली रह जाती हूँ । बात करने को भी कोई नहीं होता । इसके साथ रहने से कोई बात करने वाला तो रहेगा ।”
ब्राह्मण ने कहा- “हमें अपना भार उठाना ही कठिन हो रहा है, इस लँगड़े का भार कैसे उठायेंगे ?”
ब्राह्मणी ने कहा- “हम इसे पिटारी में रख लेंगे ।” Panchatantra Stories In Hindi
ब्राह्मण को पत्नी की बात माननी पड़ी । कुछ़ दूर जाकर ब्राह्मणी और लँगडे़ ने मिलकर ब्राह्मण को धोखे से कूएँ में धकेल दिया । उसे मरा समझ कर वे दोनों आगे बढ़े । hindi short stories for kids panchatantra
नगर की सीमा पर राज्य-कर वसूल करने की चौकी थी । राजपुरुषों ने ब्राह्मणी की पटारी को जबर्दस्ती उसके हाथ से छी़न कर खोला तो उस में वह लँगड़ा छिपा था । panchatantra stories for kids in hindi
यह बात राज-दरबार तक पहुँची । राजा के पूछ़ने पर ब्राह्मणी ने कहा – “यह मेरा पति है । अपने बन्धु-बान्धवों से परेशान होकर हमने देस छो़ड़ दिया है ।” राजा ने उसे अपने देश में बसने की आज्ञा दे दी ।
कुछ़ दिन बाद, किसी साधु के हाथों कूएँ से निकाले जाने के उपरान्त ब्राह्मण भी उसी राज्य में पहुँच गया । ब्राह्मणी ने जब उसे वहाँ देखा तो राजा से कहा कि यह मेरे पति का पुराना वैरी है, इसे यहाँ से निकाल दिया जाये, या मरवा दिया जाये । राजा ने उसके वध की आज्ञा दे दी । hindi short stories for kids panchatantra
ब्राह्मण ने आज्ञा सुनकर कहा- “देव ! इस स्त्री ने मेरा कुछ लिया हुआ है । वह मुझे दिलवा दिया जाये ।” राजा ने ब्राह्मणी को कहा- “देवी ! तूने इसका जो कुछ लिया हुआ है, सब दे दे ।” ब्राह्मणी बोली- “मैंने कुछ भी नहीं लिया ।” panchatantra stories for kids in hindi
ब्राह्मण ने याद दिलाया कि – “तूने मेरे प्राणों का आधा भाग लिया हुआ है । सभी देवता इसके साक्षी हैं ।” ब्राह्मणी ने देवताओं के भय से वह भाग वापिस करने का वचन दे दिया । किन्तु वचन देने के साथ ही वह मर गई । ब्राह्मण ने सारा वृत्तान्त राजा को सुना दिया । hindi short stories for kids panchatantra
11) स्त्री-भक्त राजा की काहानी :-
एक राज्य में अतुलबल पराक्रमी राजा नन्द राज्य करता था । उसकी वीरता चारों दिशाओं में प्रसिद्ध थी । आसपास के सब राजा उसकी वन्दना करते थे । उसका राज्य समुद्र-तट तक फैला हुआ था । उसका मन्त्री वररुचि भी बड़ा विद्वान् और सब शास्त्रों में पारंगत था । Panchatantra Stories In Hindi
उसकी पत्नी का स्वभाव बड़ा तीखा था । एक दिन वह प्रणय-कलह में ही ऐसी रुठ गई कि अनेक प्रकार से मनाने पर भी न मानी । तब, वररुचि ने उससे पूछा़ – “प्रिये ! तेरी प्रसन्नता के लिये मैं सब कुछ़ करने को तैयार हूँ । जो तू आदेश करेगी, वही करुँगा ।” hindi short stories for kids panchatantra
पत्नी ने कहा – “अच्छी़ बात है । मेरा आदेश है कि तू अपना सिर मुंडाकर मेरे पैरों पर गिरकर मुझे मना, तब मैं मानूंगी ।” वररुचि ने वैसा ही किया । तब वह प्रसन्न हो गई । panchatantra stories for kids in hindi
उसी दिन राजा नन्द की स्त्री भी रुठ गई । नन्द ने भी कहा- “प्रिये ! तेरी अप्रसन्नता मेरी मृत्यु है । तेरी प्रसन्नता के लिये मैं सब कुछ़ करने के लिये तैयार हूँ । तू आदेश कर, मैं उसका पालन करुंगा ।”
नन्दपत्नी बोली- “मैं चाहती हूँ कि तेरे मुख में लगाम डालकर तुझपर सवार हो जाऊँ, और तू घोड़े की तरह हिनहिनाता हुआ दौडे़ । अपनी इस इच्छा़ के पूरी होने पर ही मैं प्रसन्न होऊँगी ।” राजा ने भी उसकी इच्छा़ पूरी करदी । hindi short stories for kids panchatantra
दूसरे दिन सुबह राज-दरबार में जब वररुचि आया तो राजा ने पूछा- “मन्त्री ! किस पुण्यकाल में तूने अपना सिर मुंडाया है ?” panchatantra stories for kids in hindi
वररुचि ने उत्तर दिया- “राजन् ! मैंने उस पुण्य काल में सिर मुँडाया है, जिस काल में पुरुष मुख में लगाम डालकर हिनहिनाते हुए दौड़ते हैं ।” hindi short stories for kids panchatantra
राजा यह सुनकर बड़ा लज्जित हुआ ।
>>>>>>>>>>पाँचवाँ तंत्र-अपरीक्षितकारकम् (बिना परखे काम न करें)>>>>>>>>
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