IGNOU MHD 15 Free Solved Assignment 2024

IGNOU MHD 15 Free Solved Assignment 2024 (For Jan and Dec 2024)

Contents

MHD – 15 (हिंदी उपन्यास-1)

सूचना  :-

MHD 15 free solved assignment मैं आप सभी प्रश्नों  का उत्तर पाएंगे, पर आप सभी लोगों को उत्तर की पूरी नकल नही उतरना है, क्यूँ की इससे काफी लोगों के उत्तर एक साथ मिल जाएगी। कृपया उत्तर मैं कुछ अपने निजी शब्दों का प्रयोग करें। अगर किसी प्रश्न का उत्तर Update नही किया गया है, तो कृपया कुछ समय के उपरांत आकर फिर से Check करें। अगर आपको कुछ भी परेशानियों का सामना करना पड रहा है, About Us पेज मैं जाकर हमें  Contact जरूर करें। धन्यवाद 

MHD 15 Free solved assignment (Hindisikhya) :-

Mhd 15

1. (क) दौलू मामा, तुम लाहौर की कितनी गलियों के कितने ब्ों के मामा थे। तुम उम्र भर रोजाना सैकडों बच्चों को हैँसा हँसा कर आज उन्हें फूट -फूट कर रोते छोड़ गये हो। इन भोले बर्थों का खिलौना किस जालिम ने छीन लिया? मामा किसका दुश्मन था? मामा न यूनियनिस्ट मंत्रिमंडल से मतलब रखता था, न लीग की वजारत से वह तो मानव था, केवल निरीह मानव उसका खून मानवता का खून है मानवता के खून की इस प्यास को कौन भड़का रहा है?

उत्तर –

इस गद्यांश में दौलू मामा के विषय में बात की गई है, जो लाहौर के एक गॉव के निवासी थे। वे बर्यों के मामा थे और रोजाना सैकड़ों बर्चों को हँसाते थे। लेकिन एक दिन उनके ये खुशी के दिन खत्म हो गए, व्योंकि किसी जालिम ने उन बचों के खिलौने छीन लिए। यहां मामा का दुश्मन उन बच्चों के खिलौनों को छीनने वाला व्यक्ति है।

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मामा के दुःख का कारण यह भी बताया गया है कि वे किसी राजनैतिक दल या मंत्रिमंडल से जुड़े नहीं थे। वे न किसी यूनियनिस्ट मंत्रिमंडल के समर्थक थे, न लीग की वजारत से। वे बस एक साधारण मानव थे, जिन्हें बस मानवता का खून भाता था। उन्हें बस अपने सामाजिक दायित्वों और नैतिकता के प्रति विश्षास था।

दौलू मामा, जि्हें विशेष रूप से उनके प्यारे बच्चों के साथ जूड़ा जाता था, उनकी कहानी एक दर्दनाक समय की है। इस गद्यांश में हम उनके मानवता के साथ जुड़े अहम विचार और पृष्ठभूमि के संदर्भ में विचार करेंगे। IGNOU MHD solved assignment

दौलू मामा का वर्णन हमें एक गरीब और निरीह व्यक्ति के रूप में मिलता है, जो लाहौर के छोटे से गाँव में रहते थे। उनकी आदत थी कि वे रोजाना गाँव के बच्चों के साथ समय गुजाते।थे और उन्हें हँसा- हँसा कर हंसाते थे। इससे स्पष्ट होता है कि वे एक आदर्श मानविक थे।और बच्चों के साथ अपने जीवन को खुशियों से भर देते थे।

कहानी में एक परिपूर्ण द्विस्ट है, जब उन भीले बच्चों का खिलौना चुरा लिया जाता है। इस घटना के बाद, दौलू मामा बच्चों के साथ रोते रहते हैं, क्योंकि वे उनके पास उनके खोए हुए खिलौने की जगह नहीं थे। यह घटना हमें यह दिखाती है कि मानवता का एक महत्वपूर्ण।हिस्सा, यानी आपसी संबंध और सहयोग, कैसे अचानक बिगाड़ सकता है। IGNOU MHD solved assignment

मामा का दुश्मन न किसी राजनेतिक या सामाजिक समूह से था, बल्कि वे इंसानियत के खिलौने के चोर से लड़ने का संकल्प लेते हैं। वे मानवता के प्रति अपने प्रतिबद्ध और सामर् का प्रतीक थे।

इस गद्यांश के माध्यम से, हमें यह संदेश मिलता है कि हमें अपने आस-पास के लोगों के साथ मानवता और सहयोग की मूल मूल्यों को सदा महत्वपूर्ण रखना चाहिए। दौलू मामा के कथन “मानवता के खून की इस प्यास को कौन भड़का रहा है?” हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपने सामाजिक और मानविक दायरे में और भी सशक्त हो सकते हैं और विश्व में अधिक सहयोग और मानवता बढ़ा सकते हैं।

इस तरह, यह गद्यांश हमें मानवता के मूल मूल्यों के प्रति हमारे सच्चे कर्तव्य का आलंब।दिखाता है और हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने समाज के हर व्यक्ति के साथ मिलकर और साथीता दिखाकर एक बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। IGNOU MHD solved assignment

इस गद्यांश में एक उदासी भरी वात्सल्यपूर्ण भावना दिखती है जो दौलू मामा के चरित्र को विशेष बनाती है। वे बचों के साथ खिलौने से लेकर उनके सुख-द्खों तक के साथ सहयोग करते थे, लेकिन उन्हें दिल छू लिया गया जब उन्हें अपने प्रिय खिलौनों के चोरी होने का पता चला। वे मानवता और सामाजिक न्याय के अधीन अपने दायित्वों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध थे और उन्हें समाज में सुधार के लिए एक सकारात्मक संदेश प्रस्तुत करते हैं।

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IGNOU MHD ALL FREE SOLVED ASSIGNMENT (2023-2024) 

(ख) मत देखो / दौड़ चलो / छोड़ चलो इस पानी को/ इस धरती को जिसने हर मौसम / हर बहार में सूरमाओं की पनीरी उगाई थी जिसने / हाड मांस के इंसानों में मेहनत करने / और जिंदगी कोजी भर कर प्यार करने की ललक जगाई थी/ लौ लगाई थी।

उत्तर –

यह गद्यांश एक साहित्यिक कविता की तरह लगता है, जिसमें लेखक ने प्रकृति और मानवीयता के बीच एक संवेदनशील सम्बन्ध को व्यक्त किया है। यह गद्यांश विशेष रूप से प्रकृति और मानय के नाते में एक सम्बन्ध को व्यक्त करने के लिए उठाए गए विचारों को संख्यात्मक रूप से सारगभित करता है।

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इस गद्यांश में लेखक ने प्रकृति और मानवीयता के बीच संबंध को संख्यात्मक रूप से व्यक्त किया है, जिससे यह सार्थक और समझने योग्य होता है तथा यह गद्यांश एक गहरे संदेश के साथ है, जो हमें हमारे पर्यावरण के महत्व को समझाता है और।हमें इसकी सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी का आदर्श देता है। इसे निम्नलिखित प्रकार से व्याख्या किया जा सकता है:

पहले पंक्ति में, लेखक कहता है, “मत देखो / दौड़ चलो / छोड़ घलो इस पानी को / इस धरती को”, जो देखने के लिए प्रेरित करता है कि मानवीयता को प्राकृतिक सुंदरता से अलग न करें। लेखक यहां प्रकृति को मानय के जीवन के साथ संबंधित रूप में देखने का अनुरोध कर रहा है। टूसरी पंक्ति में, उसने प्रकृति के साथ लगाव को य्यक्त किया है जो “हर मौसम / हर बहार में सूरमाओं की पनीरी उगाई थी

जिसने”, जिससे यह सुझाता है कि प्रकृति हर मौसम और हर समय में अपनी सुंदरता को विभिन्न रूपों में प्रकट करती है। तीसरी पंक्ति में, लेखक प्रकृति की कठिनाइयों और परिवर्तनों को व्यक्त करते हैं, जिन्हें वे “हाड मांस के इंसानों में मेहनत करने/ और जिंदगी कोजी भर कर प्यार करने की ललक जगाई थी/ लौ लगाई थी।” इसमें संधर्ष, समर्पण अर उत्साह की भावना दिखती है जो मानव जीवन की भूमिका में समाविष्ट होती है। IGNOU MHD solved assignment

यह गद्यांश एक प्रकृति प्रेमी या वातावरण प्रेमी की आवाज़ से आवाज़ दिलाने का प्रयास है, जो।हमें याद दिलाता है कि हमारी प्रकृति कितनी महत्वपूर्ण है और हमें इसका सही तरीके से
संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है।

“इस पानी को इस धरती को” – यह लाइन प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाती है। पानी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारे पर्याविरण के रूप में महत्वपूर्ण है। हमें पानी के सही तरीके से उपयोग करने का सावधानी से ध्यान देना चाहिए और इसकी सुरक्षा करनी।चाहिए ताकि हमारी पीढियां भी इसका लाभ उठा सकें। MHD 15 free solved assignment

“जिसने हर मौसम / हर बहार में सूरमाओं की पनीरी उगाई थी” – इस लाइन के माध्यम से।हमें यह याद दिलाया जाता है कि हमें प्रकृति का सही तरीके से देखभाल करना चाहिए और
उसकी सुरक्षा करना चाहिए। प्रकृति हमें हर मौसम में अनगिनत सौंदर्य और आनंद का अनुभव कराती है, और हमें इसका सही तरीके से देखभाल करना चाहिए।

“जिसने हाड़ मांस के इंसानों में मेहनत करने/ और जिंदगी को जी भर कर प्यार करने की।ललक जगाई थी / लो लगाई थी” – यह लाइन हमें यह सिखाती है कि हमें मेहनत करने की।और जीवन का आनंद लेने की ललक जगानी चाहिए, और हमें अपने काम को सिर्फ एक।जिम्मेदारी के रूप में नहीं बल्कि एक आनंद के स्रोत के रूप में देखना चाहिए । हमें प्रकृति के।साथ मेल-जोल का आनंद लेने की ललक रखनी चाहिए और उसका साथ देना चाहिए।

इस गद्यांश के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमारा पर्यावरण हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और हमें इसका सही तरीके से संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है। हमें अपने पर्यावरण की सुरक्षा करने के लिए सही तरीके से प्रबंधन करना चाहिए ताकि हम और हमारे आने वाले पीढ़ियां इसका लाभ उठा सकें। इसके साथ ही, हमें अपने काम को सिर्फ जिम्मेदारी के रूप में नहीं बल्कि एक आनंद के स्रोत के रूप में देखना चाहिए, और हमें प्रकृति के साथ मेल-जोल का आनंद लेने की ललक रखनी चाहिए। MHD 15 free solved assignment

यहां प्रकृति को संघर्ष, समर्पण, और सुंदरता के संदर्भ में व्यक्त किया गया है, जो मानवीयता में भी उपस्थित होते हैं। इससे यह संदेश मिलता है कि हमें प्रकृति की समृद्धि और संबंधों के साथ एकता को बनाए रखने की आवश्यकता हैहै और हमें उसकी सुंदरता को सराहना करने की क्षमता होनी चाहिए।

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(ग) बस, माणिक मुल्ञा भी तुम्हारो ध्यान उस अथाह पानी की ओर दिला रहे हैं जहाँ मौत है, अंधेरा है, कीचड़ है, गन्दगी है या तो दूसरा रास्ता बनाओ नही तो डूब जाओ। लेकिन आधी इंच ऊपर जमी बरफ कुछ काम न देगी। एक ओर नने लोगों का यह रोमानी दृष्टिकोण, यह भावुकता, दूसरी ओर बू़ों का यह थोथा आदर्श और झूठी अवैज्ञानिक मर्यादा सिर्फ आधी इंच बरफ है. जिसने पानी की खुँखार गहराई को छिपा रखा है।

उत्तर –

यह गद्यांश एक व्याख्यात्मक रूप से अपनी दृष्टिकोण और भायना को व्यक्त करता है जो असल जीवन में होने वाले सचे परिस्थितियों को दर्शने का प्रयास करता है। इस गद्यांश में एक गहरा संदेश छिपा हुआ है जो माणिक मुल्ला के मन में उठ रहा है, और। इसका सन्दर्भ यहाँ पर व्याख्या किया जा रहा है:

“बस, माणिक मुल्ला भी तुम्हारा ध्यान उस अथाह पानी की ओर दिला रहे हैं जहाँ मौत है,।अँधेरा है, कीचड़ है, गन्दगी है” – यह लाइन हमें दिखाती है कि बस और माणिक मुल्ला दोनों पानी के प्रति सावधान हैं और इस पर ध्यान दे रहे हैं। यह पानी एक प्रकार के संकट और आपदा का प्रतीक हो सकता है, जो मौत, अंधेरा, कीचड़, और गंदगी का प्रतीक है। इसका संदर्भ प्राकृतिक संकटों, प्रदूषण, और वातावरणीय संरक्षण की महत्वपूर्ण आवश्यकता को दर्शाता है। MHD 15 free solved assignment

“या तो दूसरा रास्ता बनाओ नही तो डूब जाओ” – इस लाइन से हमें यह सिखने को मिलता हैकि समस्याओं के समाधान के लिए उपाय ढूंढना महत्वपूर्ण है। अगर हम किसी समस्या का समाधान नहीं निकल सकते हैं, तो हमें एक नया रास्ता ढूंढना चाहिए, जिससे हम समस्या से बच सकें। यह भी हमारे संकटों का समाधान करने के लिए क्रियाशीलता और सक्षमता की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।

“लेकिन आधी इंच ऊपर जमी बरफ कुछ काम न देगी” – इस लाइन से हमें यह सिखने को मिलता है कि समस्याओं के समाधान के लिए सकारात्मक और साहसी कदम उठाने की आवश्यकता है। किसी समस्या को हल करने के लिए हमें संकट के सामने उच्चाधिकारी और प्राकृतिक चुनौतियों को पार करने की क्षमता और साहस दिखाने की आवश्यकता होती है। MHD 15 free solved assignment

अगर हम आधी इंच ऊपर की दिशा में कदम उठाते हैं, तो हमारे उपाय समस्या को हल नहीं कर सकेंगे।”एक ओर नने लोगों का यह रोमानी दष्टिकोण, यह भावुकता, द्ूसरी ओर बूढ़ों का यह थोथा आदर्श और झूठी अवैज्ञानिक मर्यादा” – इस लाइन से हमें यह सिखने को मिलता है कि समस्या के समाधान के लिए सही दृष्टिकोण और आदर्श बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

हमें अपनी सोच और द्ष्टिकोण को प्राकृतिक संकटों के समाधान के लिए सकारात्मक बनाना चाहिए, और उम्रदराजों के साथ आदर्श और विश्वास को बदलने की आवश्यकता होती है। MHD 15 free solved assignment

यहां पर यह भी दिखाया जा रहा है कि समस्याओं के समाधान के लिए भावुकता और आदर्श समाधान
की मर्यादा को पार कर सकते हैं, जबकि झूठी और अवैज्ञानिक तरीकों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

एक बस में सफर कर रहे लोगों के मन की भावना को व्यक्त किया गया है। माणिक मुझ्ला ने उन्हें उस समय के वासताबिकता से भरी ज़िंदगी का सामना करने के लिए प्रेरित किया है जिसमें मौत, अंधेरा, और कीचड है। उन्हें यह समझाने का प्रयास किया गया है कि जीवन में कई बार हमें कठिनाईयों से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और समस्याओं का सामना करना होता है।

इसमें दो अलग-अलग दृष्टकोणों को भी दिखाया गया है। एक ओर रोमानी दृष्टिकोण और भादुकता जो जीवन को सहज बना देती है, जबकि दूसरी ओर बूढे लोगों के थोथे आदर्श जो वास्तविकता से दूर है और उन्हें सथे समस्याओं का सामना नहीं करने देता है।

गद्यांश के अंत में व्यक्त किया गया बर्फ का मामूला उपयोग एक प्रतीक के रूप में है जो समस्याओं को छिपा देता है। यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि वास्तविक समस्याओं का सामना करने के लिए अक्सर हमें अपने मन की गहराई को खोजने और उसके साथ सामना करने की आवश्यकता होती है।

समग्र रूप से, यह गद्यांश वास्तविक जीवन के असलीता और सचाई को समझाने का प्रयास करता है और भावनाएं, भावुकता और समस्याओं को उजागर करने के लिए एक सुंदर तरीके से शब्दों का उपयोग किया गया है। MHD 15 free solved assignment

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(घ) हमारे इतिहास में चाहे युद्धकाल रहा हो, या शांतिकाल राजमहलों से लेकर खलिहानों तक गुटबंदी द्वारा में को तू और तू को मैं बनाने की शानदार परंपरा रही है। अंग्रजी राज में अंग्रेजों को बाहर भगाने के झंझट में कुछ दिनों के लिए हम उसे भूल गए थे। आजादी मिलने के बाद अपनी और परंपराओं के साथ इसको भी हमने बढ़ावा दिया है अब हमारे गुटबंटी को तू-तू मैं-मैं लात-जूता, साहित्य और कला आदि सभी पद्धतियों से आरगे बढ़ा रहे हैं। यह हमारी सांस्कृतिक आस्था है

उत्तर –

यह गद्यांश भारतीय समाज की सांस्कृतिक आस्था और रूढ़िवादी परंपरा को बयां करता है। यह एक संक्षेप चित्रण है जो भारतीय इतिहास में विभिन्न कालों के समयांतर में गुटबंदी और तू-तू मैंमैं की परंपरा की चर्चा करता है। इस गद्यांश में हमारे इतिहास और सांस्कृतिक परंपराओं के महत्व को दर्शाया गया है, जो हमारे समाज के विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका संदर्भ निम्नलिखित रूप में व्याख्या
किया जा सकता है:

“हमारे इतिहास में – चाहे युद्धकाल रहा हो, या शांतिकाल – राजमहलों से लेकर खलिहानों तक गुटबंदी द्वारा ‘में को तू’ और ‘तू’ को मैं बनाने की शोनदारे परंपरा रही है” – यह लाइन।हमें यह दिखाती है कि हमारी समाज में गुटबंदी और समाज में संवाद की महत्वपूर्ण परंपरा रही है।

इसका संदर्भ इतिहासिक और सांस्कृतिक प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें राजमहलों और खलिहानों में गुटबंदी के माध्यम से व्यक्ति के समाज में अपनी भूमिका और स्थान को समझाया जाता था। यह एक प्रकार की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना का।हिस्सा था और व्यक्ति की पहचान को दर्शनि का माध्यम था। MHD 15 free solved assignment

“अंग्रेजी राज में अंग्रेजों को बाहर भगाने के झंझट में कुछ दिनों के लिए हम उसे भूल गए थे। आजादी मिलने के बाद अपनी और परंपराओं के साथ इसको भी हमने बढ़ावा दिया है” – इस लाइन से हमें यह दिखाता है कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम के बाद, हमने अपनी समाज की और हमारी सांस्कृतिक परंपराओं की मूल्यवादी प्रतिष्ठा को महत्वपूर्ण बनाया। हमने अंग्रेजी शासन के बाद अपनी अपनी भाषा, संस्कृति, और अपनी परंपराओं के साथ अपनी आधिकारिक और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा दिया।

अब हम गुटबंटी को तू-तू. मैं मैं, लात-जूता, साहित्य और कला आदि सभी पद्धतियों से आगे बढ़ा रहे हैं। यह हमारी सांस्कृतिक आस्था है” -इस लाइन से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमारी समाज में गुटबंदी को तोड़कर हम सभी के बीच बराबरता और भाईचारे की ओर बढ़ रहे हैं।

हम विभिन्न पद्धतियों, भाषाओं, और कलाओं के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध कर रहे हैं, और इससे हमारी सांस्कृतिक आस्था में विकास हो रहा है।

यहां प्रस्तुत गद्यांश में, लेखक ने विभिन्न समयांतरों में भारतीय समाज में गुटबंदी और तू-तू मैंमैं के प्रकारों को उदाहरणों के साथ उभारा है। उन्होंने युद्धकाल, शांतिकाल, अंग्रेजी राज, और आजादी के बाद के समय के समाज के प्रमुख परिवर्तनों के साथ गुटबंदी और तू-तू मैंमैं के परिणाम और सम्बन्ध का संक्षेत्त वर्णन किया है। MHD 15 free solved assignment

इस गद्धयांश में लेखक ने समाज के बिभिन्न पहलुओं को समझाने के लिए एक दृढ़ धार्मिक अनुषान, संस्कृति और रूढ़िवादी विचारधारा के बारे में बताया है। इससे हम यह समझ सकते हैं कि भारतीय समाज में अपनी रूचि और परंपराओं को सम्मान देने और उन्हें बनाए रखने का एक गहरा संबंध है।

इस गद्यांश का प्रतिसाद हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि सांस्कृतिक आस्था, रूद़िवादी परंपरा के मध्य संघर्ष और विरोधाभास भी हैं। इसमें भारतीय समाज की विशेषता और विविधता का संक्षेप विवरण दिखता है। इस गद्यरांश में भारतीय समाज के सांस्कृतिक अनुष्ठान और धार्मिकता की अद्धुतता का प्रतिबिंब् भी प्रकट होता है। MHD 15 free solved assignment

इस गद्यांश से हमें हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं की महत्वपूर्ण भूमिका का बोझ और महत्व समझ में आता है, जो हमारे समाज के संरचने में महत्वपूर्ण हैं।

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2- झूठा सच के आधार पर जयदेव पुरी का चरित्र -चित्रण कीजिए।

उत्तर –

झूठा सच’ यशपाल जी के उपन्यासों में सर्वश्रेष्ठ है। उसकी गिनती हिन्दी के नये पुराने श्रेष्ठ उपन्यासों में होगी-यह निश्चित है। यह उपन्यास हमारे सामाजिक जीवन का एक विशद् चित्र उपस्थित करता है। इस उपन्यास में यथेष्ट करुणा है, भयानक और वीभत्स दृश्यों की कोई कमी नहीं। यह उपन्यास भारतीय समाज के एक व्यापक समस्या को उजागर करती है जो जिंदगी के विभिन्न पहलूुओं को प्रभावित करती है।

इस उपन्यास में झूठ और सच के मध्य संघर्ष को विवेचनीय तरीके से दर्शाया गया है। श्रृंगार रस को यथासम्भव मूल कथा-वस्तु की सीमाओं में बाँध कर रखा गया है। हास्य और व्यंग्य ने कथा को रोचक बनाया है और उपन्यासकार के उद्देश्य को निखारा है। MHD 15 free solved assignment

यह उपन्यास देश विभाजन और उसके परिणाम के चित्रण की काफ़ी ईमानदारी से लिखी गई कहानी है। पर यह उपन्यास इसी कहानी तक ही सीमित नहीं है। देश-विभाजन की सिहरन उत्पन्न करने वाली इस कहानी में स्नेह, मानसिक और शारीरिक आकर्षण, महात्वाकांक्षा, घृणा, प्रतिहिंसा आदि की अत्यंत सहज प्रवाह से बढ़ने वाली मानवता पूर्ण कहानी भी यहां देखने को काफी मिलता है।

प्रथम भाग में भारत-पाकिस्तान विभाजन भारतीय राज्य के इतिहास का वह अध्याय हैं जो एक विराट त्रासदी के रूप में अनेक भारतीयों के मन पर आज भी अग्नि की तस अंकित है अपनी जमीनों घरों से विस्थापित स्तंभ लोग जब नक्शे में खींची गई एक रेखा के इधर और उधर की यात्रा पर निकल पड़े हैं।

वहीं दूसरे भाग में दिखाया गया है कि विभाजन के बाद भारत की क्या राजनीतिक,सामाजिक व आर्थिक दशा रही थी। उपन्यास का केंद्र पाकिस्तान के लाहौर का भोला पांधे की गली का एक मध्यवर्गीय हिन्दू परिवार है, लेकिन आगे चलकर यह उपन्यास पूरे लाहौर, पंजाब और फिर पूरे भारत की तत्कालीन गतिविधियों के साथ-साथ लेकर चलता है। MHD 15 free solved assignment

झूठा सच के प्रमुख पात्र हैं जयदेव पुरी, उसकी बहन तारा और जयदेव पुरी की पत्नी कनक। तारा और जयदेव पुरी का एक परिवार है, कनक का दूसरा परिवार है। इन दोनों परिवार की कहानियों के माध्यम से उपन्यास की कहानी आगे बढ़ती है और अत्यधिक विस्तार में जाकर बहुआयामी हो जाती है। इन सब में से जयदेव पूरी ही उपन्यास के प्रमुख पात्र हैं।

पूरी मध्यवर्ग का प्रतिनिधि पात्र है, जो अपनी सारी कमजोरियों के साथ उपन्यास में मौजूद है। विभाजन से पहले वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पत्रकारिता के जरिए राजनेताओं द्वारा फैलाए जा रहे द्वेष को देश के आम जनता के सामने उजागर करता है। MHD 15 free solved assignment

और अंतत: अपने सिद्धांतों के कारण नौकरी से निकाल दिया जाता है। वह एक प्रगतिशील,समझदार और थाम्मिक सद्धाव में विश्वास रखने वाला पात्र है। लेकिन नौकरी से निकाल दिए जाने और विभाजन के कारण परिस्थितियां बदलने के बाद उसे दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है।

विभाजन के समय पुरी और उसके परिवार को लाहौर छोड़ना पड़ता है और पुरी काफी संघर्षों के बाद भारत में एक पत्रकार संपादक बन जाता है आगे चलकर प्रगति करते हुए फिर विधायक और कई सरकारी कमेटियों में मेंबर भी बनता है और इस तरह पूरी का रूपांतरण हो जाता है एक सिद्धांत वादी आम इंसान से अवसरवादी राजनेता में, जिसे अपनी बहन पर अत्याचार करने वाला आदमी भी बुरा नहीं लगता क्योंकि उसमें पूरी का काम निकलता है। MHD 15 free solved assignment

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3- “जिन्दगीनामा की भाषा और शैली की विशेषताएँ बताइए

उत्तर –

उपन्यास एक ऐसी साहित्यक विधा है, जिसमें एक विशेष समाज व उसके तत्कालीन परिवेश को उजागर करने पर रचनाकार का ध्यान केन्द्रित होता है। उपन्यास चाहे ऐतिहासिक हो या सामाजिक, राजनीतिक हो या सांस्कृतिक, यहाँ तक कि मनोवैज्ञानिक या व्यक्तितवादी उपन्यास तक में लेखक एक विशेष परिवेश के चित्रण की उपेक्षा नहीं कर सकता।

मनोवैज्ञानिक उपन्यास में बाह्य परिवेश के साथ-साथ चरित्रों के आंतरिक परिवेश या उनकी मनोभूमि के रहस्य को उद्घाटित करने का भी प्रयास किया जाता है। आंचलिक उपन्यास की तो पूरी अवधारणा ही परिवेश-चित्रण पर आधारित है। MHD 15 free solved assignment

फणीश्वरनाथ रेणु के मैला औँचल’ या परती परिकथा’ में चित्रित मिथिला अंचल हो या जगदीश चंद्र, बलबंत सिंह व कृष्णा सोबती द्वारा चित्रित पंजाबी जन-जीवन के विभिन्न पक्षों का चित्रण हो या फिर नागार्जून व रागेय राघव द्वारा चित्रित विशिष्ट परिवेिश हों, आंचलिक उपन्यास की आधारभूमि परिवेश-चित्रण ही है।

जिन्दगीनामा’ को व्यापक रूप से आंचलिक उपन्यास भी कहा जा सकता है और सांस्कृतिक भी। दोनों ही रूपों में परिवेश-चित्रण का विशेष महत्व है। आंचलिक व सांस्कृतिक-दोनों प्रकार की रचनाओं में परिवेश के अत्यधिक व्यापक रूपों की प्रस्तुति रचनाकार के लिए एक चुनौती होती है और रचना की सफलता-असफलता का आधार इस चुनौती का सामना करने की क्षमता में होती है ।

जिन्दगीनामा’ की लेखिका कृष्णा सोबती ने अपनी इस महाकाव्यात्मक कृति में इस चुनौती के समक्ष कहों तक सफलता प्राप्त की है, यह तो इकाई के अगले हिस्से में स्पष्ट किया जाएगा,
लेकिन यहों इतना कहा जा सकता है कि परिवेश-चित्रण जितना अधिक जीवंत व विविध होगा, आंचलिक रचना उतनी ही रोचक, आकर्षक व सफल होगी। MHD 15 free solved assignment

जिन्दगीनामा’ एक विशिष्ट परिवेश को प्रस्तुत करने वाला उपन्यास है, इसलिए इसकी भाषा-शैली में भी परिवेशगत विशिष्टता होनी स्वाभाविक है। अंचल विशेष की संस्कृति को अभिव्यक्त करने वाली विशिष्ट सृजनात्मक भाषा का समावेश ऐसी रचनो के लिए आवश्यक है।

‘जिन्दगीनामा’ में इसकी लेखिका कृषणा सोबती ऐसी ही भाषा का सृजन करने में पूर्णतया सफल रही हैं। इस उपन्यास की भाषा अत्यधिक पंजाबी की रंगत के कारण गैर पंजाबी पाठकों के लिए गंभीर समस्या बन जाती है, बावजूद इसके लेखिका की भाषा-सृजन क्षमता को यह पूरी तरह उद्धरित करती है।

क्योंकी एक उपन्यास, बल्कि एक सफल उपन्यास लिखने के लिए कितने अन्य बस्तियों की आवश्यकता हैं, उतने ही अंतर्वस्तु के परिवेश चित्रण भी आवश्यकता रखती है, और परिवेश चित्रण मैं सबसे ज्यादा मैने रखता हैं, उस परिवेश चित्रण मैं व्यवहृत भाषा।

इसीलिए अपने उपन्यास जिंदेगीनामा में परिवेश को ययार्थ और जीवन्त रूप में प्रस्तुत करने के लिए लेखिका ने भाषा का जो सूजनात्मक उपयोग किया है, वह काफी देखा जा सकता हैं।

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सांस्कृतिक परिवेश को अत्यधिक सघन और सार्थक रूप से प्रस्तुत करने के लिए कृष्णा सोबती ने मुहावरों, लोकोक्तियों, लोकगीतों, लोककथाओं का अत्यन्त कौशल के साथ उपयोग किया है। मैला ऑँचल की तरह इस उपन्यास में भी भाषा-प्रयोग में आंचलिकता का पुट अत्यधिक होने से कुछ पाठकों के लिए भाव एवं अर्थ-ग्रहण संबंधी कठिनाइयों की ओर संकेत भी इस इकाई में किया गया है।

इसके लिए रेणु और कृष्णा सोबती के भाषा प्रयोग संबंधी साम्य ओर वैषम्य पर विचार करते हुए जिन्दगीनामा’ की क्षमता अक्षमता को भी यथोचित रूप से स्पष्ट किया गया है।

यह पूरा उपन्यास दृश्यों व बिंबों की एक लड़ी की तरह संगुम्फित हुआ है। दृरश्यों व बिंबों की लड़ी के सूजन में भाषा द्वारा स्थानीय स्पर्श और रंगत को अत्यंत मार्मिक ढंग से उभारा गया है। इस लोकरंग को उभारने में पंजाबी भाषा का अत्यधिक गाढ़ा रंग हिन्दी भाषा के सौन्दर्यमूलक रूप को बढ़ाने के लिए प्रयुक्त किया गया है। MHD 15 free solved assignment

इस उपन्यास में विभाजनपूर्व पंजाब के ग्रामीण जीवन सांस्कृतिक परिदृश्य का पुन:सृजन कुछ इसी प्रकार हुआ है कि पुन:सजन अपने मौलिक रूप से संभवतः अधिक सौन्दर्यपूर्ण व आकर्षक बन गया है।

एक बड़े कलाकार या रचनाकार की पहचान ही कला की इस ताकत तथा उसके अधिग्रहण में होती है। विशेषत: उपन्यास में परिवेशगत चित्रण व भाषागत सृजन में इस ताकत की अभिव्यक्ति की परीक्षा होती है। इस इकाई के अगले भाग में कला की इस ताकत के पहलुओं पर आपका ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। MHD 15 free solved assignment

गाँव को पिण्ड, चाँदनी को चांदनी’, वृक्ष को वृक्ष’, मनुष्यों को मानुक्खों’ के रूप में पढ़ने पर हो सकता है कि पंजाबी से अनजान पाठकों को कुछ दिक्कत लगे, लेकिन हिन्दी की ‘हिन्दुस्तानी’ या उर्दूनुमा शैली से परिचित पाठकों को ऐसे शब्दों से ज्यादा दिक्कत महसूस नहीं होगी।

दूसरे, क्योंकि उपन्यास के आरंभ से ही भाषा-सृजन का ऐसा समा लेखिका ने बॉधा है कि धीरे-धीरे पंजाबी से अभिज्ञ पाठक भी इसके रस में भीगने लगता है और संदर्भ से भी शब्दों के अर्थ्थ ग्रहण करने लगता है। MHD 15 free solved assignment

इसमें कोई संदेह नहीं है कि लेखिका ने ‘जिन्दगीनामा’ उपन्यास में पंजाबी भाषा का अत्यधिक प्रयोग किया है, जो की संभवत: रेणु जी के मैला आँचल’ में प्रयुक्त मैथिली रंग से भी अधिक। यह भी सही है कि जो समस्या मैथिली भाषा से अपरिचित पाठकों को मैला आँचल’ पढ़ने में आती है, लगभग वैसी ही समस्या जिन्दगीनामा’ पढ़ने वाले पंजाबी से अपरिचित पाठकों को भी आती है, किंतु जिस भाषा का प्रयोग रेणु व कृष्णा सोबती ने अपनी-अपनी औपन्यासिक कृतियों में किया है, वह प्रयोग इन रचनाओं की आंतरिक कलात्मक माँग थी।

ये दोनों रचनाएँ यदि हिन्दी के खड़ी बोली गद्य के साधारण पारंपरिक रूप में लिखी जातीं तो शायद इनहें वह प्रतिष्ठा न मिलती, जो इन रचनाओं को इस भाषायी रंगत के कारण प्राप्त हुई है।

दोनों ही रचनाएँ एक अंचल विशेष के ग्रामीण परिवेश के गहरे सांस्कृतिक परिवेश को अभिव्यक्त करने वाली रचनाएँ हैं। अंचल विशेष के इस सांस्कृतिक परिवेश को अभिव्यक्त करने वाली भाषा भी साधारण गद्य की भाषा नहीं हो सकती। उस भाषा में लोकरंगत की अभिव्यक्ति- क्षमता होनी अनिवार्य है। लोकरंगत की अभिव्यक्ति की इसी अनिवार्यता से ज़िन्दगीनामा’ की भाषा ने यह रूप ग्रहण किया है।

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4- सूरज का सातवाँ घोड़ा के औपन्यासिक शिल्प पर प्रकाश डालिए।

उत्तर –

उपन्यास का शिल्प उसके कथ्य से अलग नहीं कया जा सकता। संवेदना अपने को व्यक्त करने के लए जो रुप ग्रहण करती है, से शल्प कहा जाता है। उपन्यास में शल्प भाषा वे दवारा गढ़ा जाता है। उपन्यास के व भिन्न घटकों की आंतरिक संगति से उसका शिल्प आकार पाता है। “सूरज का सातवाँ घोड़ा’ में लेखक उपन्यास की विलक्षण तकनीक का उपयोग करते हुए कहानी के परंपरागत ढॉचे या तकनीक का मखौल उड़ाता है। MHD 15 free solved assignment

..इसका कारण यह है क कलाकार मानता है क उसके पास जीवनानुभव को देखने की मौ लक दृष्टि हो और संप्रेषण के उत्पादनों पर अच्छी पकड़ हो, तो तकनीकी उपादान(नए हो या पुराने), शैली विषयक संकेत, शिल्प विषयक स्वीकृत अवधारणाएँ ओर समीक्षात्मक संकल्पनाएँ – ये सब कलंदर कलाकार के सामने हाथ जोड़कर खड़े होते हैं”।

कहने का अर्थ यह क मौ लक संवेदना अपने शल्प का आ वष्कार खुद-ब-खुद कर लेती है। इसे एक
सामान्य किस्म के उदाहरण से भी समझा जा सकता है। जब हम क्रोध, भय, प्रेम आदि भावदशाओं से गुजरते हैं तो हमारी भाषा, वाक्य संरचना और शैली भिन्न- भिन्न रूप धारण कर प्रकट होती है। इसी प्रकार रचनाकार जब कसी विषय-वस्तु को उभारना चाहता है तो उसका शिल्प स्वतः भी वक सत होता चलता है लैकिन रचनाकार के लिए शिल्प साधना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

शिल्प गठन एक सचेत उदयम भी है। उपरोक्त वश्लेषण यह स्पष्ट करता है की कथ्य और शिल्प एक दूसरे से जुदा न होकर एक दूसरे के पूरक और सहयात्री हैं। इसे ‘सूरज का सातवों घोड़ा’ में भी साफ तौर पर देखा जा सकता है। MHD 15 free solved assignment

इस उपन्यास की शिल्पगत चुनौतियों की ओर संकेत करते हुए भारती ने स्वयं लखा है-” कथा शैली भी कुछ अनोखे ढंग की है, जो है तो वास्तव में पुरानी ही, पर इतनी पुरानी की आज के पाठक को थोड़ी नयी या अपरिचित सी लग सकती है।

बहुत छोटे से चौखटे में काफी लंबा घटनाक्रम काफी विस्तृत क्षेत्र का चित्रण करने की विवशता के कारण यह ढंग अपनाना पड़ा”। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सबसे पहले मा णक के बारे में सूचनाएं-उपोदघात में दी जाती है। इससे दो बातें साफ हो जाती हैं, एक तो यह क मा णक मुल्ला की जिंदगी, विचार, आचरण आदि कैसा था और दूसरा यह की वे किन मनुष्यों, परिस्थितियों और सामाजिक आवश्यक व्यवस्ता से घिरे थे।

“सूरज का सातवाँ घोड़ा” भारतीय उपन्यास साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे उपन्यासिक शिल्प की एक उत्कृष्ट मिसाल माना जाता है। यह कहानी नहीं सिर्फ एक रुचिकर और मनोहारी कथा है, बल्कि इसमें उपन्यासिक शिल्य के कई महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रस्तुतान है।

1. व्यक्तिगत चरित्रों का विकास: “सूरज का सातवाँ घोड़ा” में व्यक्तिगत चरित्रों का विकास मुख्य धारा होता है। इस कथा में सिद्धान्त, अखिल, विनय, रजनी, और बाकी कई चरित्र होते हैं, और उनके व्यक्तिगत यात्रा और विकास को दिखाया जाता है। इन चरित्रों की व्यक्तिगतियों और संघर्षों का परिचय कराने से पढ़कर वाचकों को व्यक्तिगत संवाद में जुड़ाव और गहराई की अनुभूति होती है।

2. पर्यावरण का चित्रण: इस उपन्यास में पर्यावरण का विस्तारपूर्ण चित्रण किया गया है। बिहार के गाँवों और शहरों की चित्रण से उपन्यास में एक विशेष प्रकार की प्राकृतिकता और वातावरणिक रंग बिखेरता है। पर्यावरण का चित्रण चरित्रों की यात्रा को और भी रिच और साहि्यिक बनाता है।

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3. समाजिक संरचना का प्रस्तुतान: उपन्यास में समाजिक संरचना का अद्वितीय प्रस्तुतान किया गया है। यह दिखाता है कि गाँव और शहर के अंतर, जाति और वर्ण के विवाद, और समाज में किस तरह की समस्याएँ मौजूद हैं। इसके माध्यम से समाज में विभिन्न वर्गों और समुदायों के बीच व्यक्तिगत संघर्षों का भी विवरण दिया जाता है।

4. समाजशास्त्रिक दृष्टिकोण : “सूरज का सातवाँ घोड़ा” समाजशास्तिक दृष्टिकोण से भरपूर है। इसमें समाज में रूचि और संघर्ष के कारणों की गहरी जांच की जाती है, और यह समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को उजागर करता है। MHD 15 free solved assignment

5. राजनीतिक संघर्ष; कहानी में राजनीतिक संघर्ष भी प्रमुख भूमिका निभाता है। गवनमेंट और उसके निर्णयों के प्रति लोगों की आलोचना और राजनीतिक उ्देश्यों के लिए संघर्ष का विवरण दिया जाता है।

6. समस्याओं का समाधानः उपन्यास में समस्याओं के समाधान की कोशिश की गई है। चरित्रों का अपने जीवन के संघर्षों का समाधान खोजने के प्रयास दिखाता है और यह दिखाता है कि समस्याओं का समाधान व्यक्तिगत संघर्ष और सामाजिक संघर्ष के
माध्यम से संभव है।

7. संघर्ष और साहित्यः उपन्यास में संघर्ष का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके माध्यम से व्यक्तिगत और सामाजिक संघर्ष का सुंदर और गहरा विवराण दिया जाता है, जिससे पढ़कर वाचकों को संघर्षों के महत्व का समझ मिलता है और उन्हें साहित्यिक रूप से प्रेरित करता है। MHD 15 free solved assignment

৪. साहित्यिक मूल्य: “सरज का सातवाँ घोड़ा” को एक ब्रलियंट साहित्यिक कृति माना जाता है जिसमें रचनात्मक और व्यक्तिगत मूल्य होते हैं। इसका साहित्यिक मूल्य उसके विचारशीलता, व्यक्तिगतता, और सामाजिक संवाद में होता है जो पढ़कर वाचकों को विचार करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

“सूरज का सातवाँ घोड़ा” एक उत्कृष्ट उपन्यास है जो उपन्यासिक शिल्प के कई पहलुओं का प्रस्तुतान करता है। यह एक व्यक्तिगत और सामाजिक संघर्ष की कहानी है, जिसमें रचनात्मकता, भाषा, और समाजशास्तिक दृष्टिकोण का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसका पढ़ने से व्यक्तिगत और सामाजिक संघरषों के साथ साहित्य के महत्व को समझने में मदद मिलती है। MHD 15 free solved assignment

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5-राग दरबारी के विशिष्ट चरित्रों की चारित्रिक विशेषताओं की चर्चा कीजिए।

उत्तर –

उपन्यास जैसी विस्तृत कथात्मक रचना की सफलता का एक बहुत बड़ा आधार पात्रों के चरित्र-चित्रण की सहजता, स्वाभाविकता और प्रामाणिकता है। लेकिन किसी रचना की सफलता उसकी सार्थकता का स्थान नहीं ग्रहण कर सकती। अतः पात्र-रचना को लेकर, पात्रों के प्रति लेखकीय रुख रवैया को लेकर सार्थकता का प्रश्न अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि पात्र-रचना के पीछे निहित उद्दश्य लेखकीय दृष्टिकोण से भी जुड़ा रहता है।

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कुछ आलोचकों ने ‘राग दरबारी’ में पात्रों की भीड़ का उल्लेख करते हुए लेखक द्वारा उनके समूचित विकास को न दिखा पाने का आरोप लगाया है। लेकिन यहाँ यह ध्यान में रखने की बात है कि ‘राग दरबारी’ एक सामान्य चरित्रोपाख्यान है। इसमें आए चरित्रों के क्रिया-कलाप ही नहीं, उनकी कथाएँ और बहुत सारी उपकथाएँ मिलकर उसे उपन्यास विधा का रूप देती है।

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इसके साथ ही ‘राग दरबारी’ एक यथार्थवादी उपन्यास है। यथार्थवाद का तकाजा है कि विवरण की सच्चाई के साथ प्रतिनिधि परिस्थितियेों में प्रतिनिधि चरित्रों का भी सच्चा चित्र प्रस्तुत किया जाए।

इस दृष्ट से ‘राग दरबारी’ में स्वातंत्रोत्तर भारत के बीस-पच्चीस वर्षों के तथाकथित सामाजिक विकास की परिस्थितियों में जैद्य जी, रंगनाथ, रुप्पन, प्रिसिपल साहब आदि के साथ ही सनीचर, लंगड़, ग्राण्टखोर कालिका प्रसाद, झूठी गवाही में कभी न उखड़ने वाले गवाह पं. राधेलाल आदि जैसे पात्रों की प्रातिनिधिकता से इनकार नहीं किया जा सकता।

“राग दरबारी” नामक कथा हिन्दी साहित्य की महत्वपूर्ण उपन्यासिका है जिसमें विभिन्न प्रकार के चरिेत्र होते हैं, और इन चरित्रों की चारित्रिक विशेषताओं की चर्चा करने से हम इस कहानी के महत्पूर्ण पहलुओं को समझस सकते हैं।

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हाकीम (डॉक्टर साहब): हाकीम रागदरबारी की मुख्यर चरित्र हैं। उनका नाम नहीं पता चलता है, लेकिन वे गाँव के हीरो होते हैं। हाकीम की चारित्रिक विशेषताएँ निम्रलिखित हैं:

  1. निस्वार्थ सेवा भावनाः हाकीम एक निस्वार्थ और समर्पित व्यक्ति हैं। व गरीबों और बेहद कमजोर लोगों के इलाज करते हैं और किसी भी प्रकार की वसूली नहीं करते। उनका मुख्य उद्देश्य लोगों की मदद करना है और उनके दर्द को दूर करना है।
  2. सादगी और सहजता: हाकीम की सोच सादगी और सहजता से भरपूर होती है। वे अपने जीवन को बहुत ही सरलता से जीते हैं और लोगों के साथ खुले दिल से बात करते हैं।
  3. मानवीय सहानुभूति: हाकीम में मानवीय सहानुभूति की गहरी भावना होती है। वे लोगों के दर्द और संघर्ष को समझते हैं और उनके साथ खड़े होते हैं।

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उद्धारण साहब (नवाब साहब): उद्धारण साहब नामक चरित्र गाँव के नवाब होते हैं। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्मलिखित हैं:

  1. समाज में उच्च दर्जा: उद्धारण साहब गाँव के उच्च वर्ग के होते हैं और उनका समाज में महत्वपूर्ण स्थान होता है।
  2. सख्तता और अधिकारपूर्णताः उद्धारण साहब का चरित्र सख्त और अधिकारपूर्ण होता है। वे अपने स्थान की सुरक्षा और अधिकार के लिए कठिनाइयों का सामना करते हैं।
  3. अत्यधिक और व्यापारिक दृष्टिकोण: उद्द्वारण साहब अपने व्यापारिक हित के लिए किसी भी प्रकार के उपायों का सही रूप से इस्तेमाल करते हैं, चाहे वो धर्मिक हो या अधर्मिक।

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सुखियाः सुखिया हाकीम की पल्न होती हैं। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्रलिखित हैं.

  1. समर्पणशीलता: सुखिया अपने पति, हाकीम, के साथ समर्पित और वफादार होती हैं। वे उनके साथ कठिनाइयों का सामना करती हैं और उनके साथ खड़ी रहती हैं।
  2. सादगी: सुखिया की सोच सादगी और आदश्शों में होती है। वे अपने जीवन को सरलता से जीती हैं और गरीब लोगों के साथ समझदारी से व्यवहार करती हैं।

अवसरी दरबारियों (गुज़िस्तान वालों): ये गुज़िस्तान के लोग हैं जो हाकीम के पास इलाज के लिए आते हैं। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. गरीबीः गु़िस्तान के लोग गरीब होते हैं, लेकिन उनमें आत्मविश्वास और स्वाभिमान होता है।
  2. सामाजिक संघर्ष: वे अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए उद्यमी होते हैं और अपनी गरीबी के बावजूद उच्च जाति के लोगों के सामने खड़े होते हैं।

ब्राह्मण पंडित: इस चरित्र का नाम नहीं है, लेकिन वे हाकीम के साथ विवादित रूप से एक दष्टिकोण रखते हैं। वे अपने व्यापारिक हित के लिए हाकीम के खिलाफ उनकी सेवाओं का विरोध करते हैं और उनका विरोध किसी ब्राह्ण या धार्मिक पंडित के साथ जोड़कर भी करते हैं ।

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बद्री पहलवान और छोटे पहलवान: ‘राग दरबारी’ के बद्री पहलवान वैद्य जी के बेटे हैं और छोटे पहलवान के गुरु हैं। उनके अखाड़े से निकले शिष्यों का एक बड़ा जाल आस -पास के गाँवों में फैला हुआ है। चोरी, डकैती, व्यभिचार आदि के मामलों में फँसे अपने गुण्डा-बदमाश शिप्यों के बचाव और जमानत के लिए उन्हें काफी श्रम करना पड़ता है। दुनिया में कल्ले के जोर (बाहबल) को ही वे सबसे बड़ी ताकत मानते हैं। नैतिकता उनके लिए कल्ले के जोर की कमी की द्यतक है। अपने पालक बालकों’ की रक्षा उनके लिए परम कर्तव्य था। MHD 15 free solved assignment

छोटे पहलवान बद्री के पालक-बालक’ हैं। किन्तु इसके साथ ही वे एक खानदानी आदमी (हरामी) हैं। उन्हीं की जबानी उपन्यास में उनके खानदान का ठोस इतिहास प्रस्तुत हुआ है। उनके परदादा भोलानाथ ने अपने पिता के साथ और फिर अपने पुत्र गंगादयाल के साथ एक ठोस परम्परा कायम कर दी थी, जिसका पालन गंगादयाल के पुत्र कसहर प्रसाद और उनके पूत्र छोटे पहलवान बड़ी ईमानदारी से कर रहे थे। MHD 15 free solved assignment

“उनके यहाँ बाप-बेटे में हमेशा से बड़ा घनिष्ट सम्बन्ध चला आ रहां था। प्रेम करना होता तो एक दुसरे से प्रेम करते, लाठी चलाना होता तो एक -दूसरे पर लाठी चलाते। जो भी अच्छा बुरा गुण उनके हाथ में था उसकी आजमाइश एक दूसरे पर ही किया करते। ” छौटे जब तक पहलवान नहीं बने थे, तब तक अपने बाप कुसहर प्रसाद की लाठी का जबाब पत्थर के टुकड़ों से देते रहे, लेकिन जवान हो जाने पर बाप-बेटों ने शब्दों का प्रयोग बन्द कर दिया।

“राग दरबारी” में चरित्रों की चारित्रिक विशेषताओं का महत्वपूर्ण भूमिका होता है, जो कहानी को दर्शाती हैं कि विभिन्न व्यक्तियों के बीच के सामाजिक, आर्थिक, और मानवीय विवादों का समाधान कैसे हो सकता है। इन चरित्रों की चारित्रिक विशेषताएँ उनके व्यक्तिगतता, समर्पणशीलता, और सामाजिक संघर्ष को प्रकट करती हैं, और यह कहानी को अधिक गहरा और रुचिकर बनाती है। MHD 15 free solved assignment

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6- क) ‘झूठा सच की भाषा:

उत्तर –

‘झूठा सघ’ एक उपन्यास है जिसका लेखक यशपाल है। इस उपन्यास में भाषा का उपयोग य्यापक और संवेदनशील है। लेखक ने भाषा के माध्यम से विभिन्न वरित्रों की भावनाओं और अनुभवों को समझाने में माहिरता से काम लिया है।

यहां भाषा के उपयोग से राजनीतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों को प्रकट किया गया है, जो पाठकों के दिल में समानुभूति का भाव उत्पन्न करते हैं। भाषा के माध्यम से उपन्यास में विभिन्न विषयों पर संवेदनशील टिप्पणियों का भी समावेश है, जो उपन्यास को एक सांस्कृतिक और सामाजिक रचना बनाते हैं। MHD 15 free solved assignment

“झूठा सच” एक महत्वपूर्ण हिन्दी उपन्यास है जो जयदेव का रचनात्मक कौशल और उनकी भाषा कौशल को प्रकट करता है। यह कहानी एक समाज के चारित्रिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को प्रस्तुत करती है, और इसमें जयदेव की भाषा का महत्वपूर्ण स्थान है।

भाषा कौशल: जयदेव का “झूठा सच”‘ उपन्यास भाषा कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने भाषा को सटीकता और भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त करने के लिए प्रयोग।किया है। उनके व्यक्तिगत अवगमन, वर्णन और चरित्रों की भाषा में विशेषज्ञता होती है, जिससे पाठकों को कहानी में खो जाने का अवसर मिलता है। MHD 15 free solved assignment

साहित्यिक श्रृंगार: “झूठा सच” में भाषा के माध्यम से साहित्यिक श्रृंगार का प्रयोग किया गया है। जयदेव ने प्रेम, प्रेमविवाद, और सम्बंधों के मामूले को बहुत ही सुन्दर और रोमांचक ढंग से
प्रस्तुत किया है। इसके परिणामस्वरूप, पाठक उनकी भाषा में डूब कर जाता है और उनके साथी चरित्रों की भावनाओं को समझता है।

समाजिक चिंतन: जयदेव का लेखन “इूठा सच” में समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करता है। वे सामाजिक न्याय, व्यक्तिगत आदर्श, और नैतिकता के मुदों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और उन्हें अपनी कथाओं के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। इससे पाठकों को समाज में हो रहे परिवर्तनों का अध्ययन करने का अवसर मिलता है।

उपयोगिताः “झूठा सच” की भाषा का उपयोग उपन्यास के मुख्य धारा को समझने और उसके चरित्रों की भावनाओं को समझने में मदद करता है। इसके अलावा, यह उपन्यास भाषा।कला के प्रति लोगों की रुचि को बढ़ावा देता है और भाषा कौशल में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

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(ख) जिन्दगीनामा की अंतर्वस्तुः

उत्तर –

जिन्दगीनामा’ को व्यापक रूप से आंचलिक उपन्यास भी कहा जा सकता है और सांस्कृतिक भी। दोनों ही रूपों में परिवेश-चित्रण का विशेष महत्व है। आंचलिक व सांस्कृतिक-दोनों प्रकार की रचनाओं में परिवेश के अत्यधिक व्यापक रूपों की प्रस्तुति रचनाकार के लिए एक चुनौती होती है और रचना की सफलता-असफलता का आधार इस चुनौती का सामना करने की क्षमता में होती है । MHD 15 free solved assignment

जिन्दगीनामा’ की लेखिका कृष्णा सोबती ने अपनी इस महाकाव्यात्मक कृति में इस चुनौती के समक्ष कहों तक सफलता प्राप्त की है, यह तो इकाई के अगले हिस्से में स्पष्ट किया जाएगा,
लेकिन यहों इतना कहा जा सकता है कि परिवेश-चित्रण जितना अधिक जीवंत व विविध होगा, आंचलिक रचना उतनी ही रोचक, आकर्षक व सफल होगी।

जिन्दगीनामा’ एक विशिष्ट परिवेश को प्रस्तुत करने वाला उपन्यास है, इसलिए इसकी भाषा-शैली में भी परिवेशगत विशिष्टता होनी स्वाभाविक है। अंचल विशेष की संस्कृति को अभिव्यक्त करने वाली विशिष्ट सृजनात्मक भाषा का समावेश ऐसी रचनो के लिए आवश्यक है। MHD 15 free solved assignment

‘जिन्दगीनामा’ में इसकी लेखिका कृषणा सोबती ऐसी ही भाषा का सृजन करने में पूर्णतया सफल रही हैं। इस उपन्यास की भाषा अत्यधिक पंजाबी की रंगत के कारण गैर पंजाबी पाठकों के लिए गंभीर समस्या बन जाती है, बावजूद इसके लेखिका की भाषा-सृजन क्षमता को यह पूरी तरह उद्धरित करती है।

क्योंकी एक उपन्यास, बल्कि एक सफल उपन्यास लिखने के लिए कितने अन्य बस्तियों की आवश्यकता हैं, उतने ही अंतर्वस्तु के परिवेश चित्रण भी आवश्यकता रखती है, और परिवेश चित्रण मैं सबसे ज्यादा मैने रखता हैं, उस परिवेश चित्रण मैं व्यवहृत भाषा। MHD 15 free solved assignment

इसीलिए अपने उपन्यास जिंदेगीनामा में परिवेश को ययार्थ और जीवन्त रूप में प्रस्तुत करने के लिए लेखिका ने भाषा का जो सूजनात्मक उपयोग किया है, वह काफी देखा जा सकता हैं।

ज़िन्दगीनामा का कथानक खेतों की तरह फैला, सीधा-सादा और धरती से जुड़ा हुआ। ज़िन्दगीनामा की मजलिसें भारतीय गाँव की उस जीवन्त परम्परा में हैं जहाँ भारतीय मानस का जीवन-दर्शन अपनी समग्रता में जीता चला जाता है। ज़िन्दगीनामा—कथ्य और शिल्प का नया प्रतिमान, जिसमें कथ्य और शिल्प हथियार डालकर ज़िन्दगी को आँकने की कोशिश करते हैं। MHD 15 free solved assignment

इस उपन्यास पर प्रकाश डालते हुए गोपाल राय लिखते हैं कि- “जिन्दगीनामा बीसवीं शताब्दी के प्रथम पन्द्रह वर्षों में पंजाब के किसानों-ग्रामीणों के जीवन का चित्रण है । यह जिन्दगी निखालिस यथार्थ के रूप में सामने आती है; पंजाबी किसानों की मेहनत-मशक्कत से भरी अक्खड़, सन्तुष्ट और मुक्त जिन्दगी, जिसमें महाजन का शोषण और पुलिस का आतंक भी कोई ज्यादा हलचल नहीं पैदा करता ।

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(ग) माणिक मुल्ञा का चरित्रः

उत्तर –

माणिक मुल्ला एक प्रसिद्ध चरित्र है जो हिंदी उपन्यास ‘नगरीक’ के लेखक हरिशंकर परसाई द्वारा रचित है। यह चरित्र समाज के एक आम व्यक्ति की अनूठी कहानी को दर्शाता है, जिसमें उनके लिए जीवन के विभिन्न पहलूओं का सामाजिक चित्रण किया गया है।

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माणिक मुल्ला के चरित्र में उत्साह, नायिका विश्वास, आत्म-विश्वास और संवेदनशीलता की विशेषताएं नजर आती हैँ। वे एक सामान्य गांव के निवासी हैँ, लेकिन उनकी दूढ़ इच्छा और परिश्रम से वे अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं।

माणिक मुल्ला, रवींद्रनाथ टैगोर के उपन्यास “घर-बाड़ी” में पाए जाने वाले एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं। वे एक अद्वितीय व्यक्त हैं जिनका चरित्र उनकी विशेषताओं, द्ढ़ आत्मविश्वास, और सामाजिक प्रतिस्पर्धा की भावना को प्रतिनिधित करता है।

महान संगीतकार: माणिक मुल्ला एक महान संगीतकार हैं, और उनका संगीत उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वे संगीत में अपना पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं और उनकी संगीत की महानता को पहचानने में उन्हें समय बीत जाता है। MHD 15 free solved assignment

साहसी और स्वाधीनता प्रेमीः माणिक मुल्ला एक साहसी और स्वाधीनता प्रेमी व्यक्ति हैं। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अवाज उठाई और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। वे स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपनी संगीत की शक्ति का उपयोग करते हैं और लोगों को उत्साहित करते हैं।

सामाजिक सदगुण: माणिक मुल्ला एक सामाजिक व्यक्ति हैं और उनके पास समाज में विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ अच्छे संबंध हैं उनकी मित्रता और उनका सहयोग उनके समाजिक चरित्र को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। MHD 15 free solved assignment

मानविकता का प्रेमः माणिक मुल्ला मानविकता के प्रति गहरा प्यार रखते हैं। उन्होंने जीवन के अलग-अलग पहलुओं के माध्यम से मानवता की महत्वपूर्ण बातें सिखी हैं और उन्हें अपने विचारों में प्रकट करते हैं।

माणिक मुल्ला का चरित्र “घर-बाड़ी” केि रचनात्मक कौशल के साथ दिखाया गया है, और वे इस कहानी के महत्वपूर्ण हिस्से हैं जो रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा बनाई गई है। उनका चरित्र संगीत, स्वतंत्रता संग्राम , सामाजिक सदगुण, और मानविकता के प्रति उनके आदर्शों को प्रकट करता है और इस कहानी को गहरा और सार्थक बनाता है। MHD 15 free solved assignment

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(घ) रागदरबारी में निहित जीवन-दृष्टि

उत्तर –

‘रागदरबारी’ एक उपन्यास है, जिसके लेखक श्रीलाल शुक हैं। इस उपन्यास में जीवन-दृष्टि का एक विशाल आयाम है। लेखक ने विभिन्न चरित्रों के माध्यम से समाज की विभिन्न पहलुओं को दर्शाया है। यहां जीवन की रूपरेखा को समझाने के लिए साहित्यिक और सामाजिक तत्वों का अद्धुत संगम दिखाया गया है।

‘रागदरबारी’ में जीवन के उथले-ढोले, खुशियों और दुखों को साहित्यिक रूप से व्यक्त किया गया है, जो पाठकों के दिल में अपनी जगह बना लेते हैं। इससे पाठक जीवन के मायने और उसके विभिन्न उद्दीपक आया्मों को समझते हैं और समाज के साथ अपना संबंध स्थापित करते हैं। MHD 15 free solved assignment

“रागदरबारी” एक प्रमुख हिन्दी काव्य उपन्यास है, जो श्रीलाल शुक्ल के द्वारा लिखा गया है। इस काळ्य उपन्यास में निहित जीवन-दष्टि कवि की अद्वितीय दृष्टिकोण को प्रकट करती है और समाज के विभिन्न पहलुओं के साथ उनके व्यक्तिगत जीवन को व्यक्त करती है।

गंभीर विचारधारा: “रागदरबारी” के कवि की जीवन-दृष्टि ंभीर और विचारशील है। उन्होंने समाज, राजनीति , और धर्म के प्रति अपने संवादों में गहरा और विचारशील दृष्टिकोण प्रकट
किया है। MHD 15 free solved assignment

मानविकता की महत्वपूर्ण भूमिका: कवि ने इस काव्य उपन्यास के माध्यम से मानविकता की महत्वपूर्ण भूमिका दी है। वे समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के जीवन में मानविकता के।महत्व को प्रमोट करते हैं और इसकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारतीय समाज के विकास की चिंता; “रागदरबारी” में निहित जीवन-दष्टि का एक महत्वपूर्ण पहलु भारतीय समाज के विकास की चिंता है। कवि ने भारतीय समाज केसामाजिक और आर्थिक सुधार के प्रति अपनी संवादों में गहरा विचार किया है और उन्होंने उसके लिए उपयुक्त मार्ग दिखाए हैं।

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स्वतंत्रता और स्वाधीनता: “रागदरबारी” में निहित जीवन-दृष्टि में स्वतंत्रता और स्वाधीनता की महत्वपूर्ण भूमिका है। कवि ने इस विचार को प्रमोट किया है कि एक व्यक्ति को अपने विचारों को खुद से स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का हक होना चाहिए और समाज के दबावों से मुक्त रहना चाहिए।

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आध्यात्मिकता की ओर : “रागदरबारी” में निहित जीवन-दृष्टि का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलु आध्यात्मिकता की ओर है। कवि ने आध्यात्मिक चिंतन को प्रमोट किया है ओर उन्होंने जीवन
के असली अर्थ और लक्ष्य को समझाने का प्रयास किया है।

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