5+ Best Long Story In Hindi 2023|| Motivational Long Story In Hindi

Best Long Story In Hindi :-

Best Long Story In Hindi :-

विशालाक्षी की विचित्र कहानी (long motivational story in hindi) :-

विशालाक्षी काशी राज्य के राजा की इकलौती बेटी थी। सौंदर्य में उसके बराबर की तुलना किसी से नहीं कर सकते थे। सौंदर्य के साथ-साथ विद्या भी हो तो सोने में सुगंध के जैसा और भी अच्छा होगा, यों सोचकर राजा ने उसे गुरुओं से शिक्षा दिलवाई। शिक्षा पूरी होते ही वह विवाह के योग्य वयवाली हो गई। “तुम किस प्रकार के वर को चाह रही हो।” पिता ने उससे पूछा।

तब उसने यों कहा, “वर के लिए विद्या, चरित्र एवं रूप तीनों आवश्यक हैं? विद्याहीन पुरुष विचित्र पशु के बराबर है, वैसे ही बुद्धिहीन के पास जितनी संपत्ति भी हो, वह नष्ट हो जाती है। विद्याहीन के रूप में प्रकाश नहीं होता। वह कितना भी सुंदर क्यों न हो, शिक्षित न हो तो उस सौंदर्य की कोई महत्ता नहीं रहेगी। विद्याहीन के हाथ में ‘वित्त’ भी शीध्र ही नष्ट होता है, इसलिए वर के लिए प्राथमिक योग्यता शिक्षा है।

चरित्रहीन व्यक्ति पढ़ा-लिखा सुंदर और धनवान होने पर भी बेकार है। चरित्र पर ही व्यक्ति का मान-सम्मान निर्भर रहता है। अतः चरित्र के लिए द्वितीय स्थान दिया जाता है। मनुष्य को देखते ही आकर्षित करनेवाला अंश, सौंदर्य है। long motivational story in hindi

Long Story In Hindi
Long Story In Hindi

आर्योक्ति है कि जहाँ सौंदर्य होगा, वहाँ गुण भी होगा, इसलिए रूप के लिए तृतीय स्थान है। चौथा है संपत्ति। कहा जाता है कि ‘धनं मूलम इदंम् जगत्’ ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा, जिसने यह कहावत सुनी नहीं होगी। चाहे अच्छा काम हो या बुरा काम, आज के संसार में धन ही प्रधान अंश है। यह आप भलीभाँति जानते हैं। motivational long story in hindi

मैं आपसे क्या कह रही हूँ? पिताजी! मैं चाहती हूँ कि वर संपत्तिवान भी हो। आपका निर्धन दामाद होना आपके लिए शोभादायक नहीं है न! वैसे ही कहा जाता है कि ‘कन्या वरते रूपय’ अतः वर सुंदर भी होना चाहिए। मेरे मन में जो बात है, उसे मैंने कह दी, बाकी आपकी मरजी।” विशालाक्षी ने कहा।

राजा को उसकी बातें काफी अच्छी लगीं। लगा कि वे कठोर सत्य है। पहले से ही लड़की के प्रति उसके हृदय में असीम प्रेम एवं आसक्ति थी, ऊपर से वह खूब पढ़ी-लिखी सौंदर्यवती है। पिता ने निर्णय लिया कि उसके लिए योग्य वर को ढूँढ़ना है। long story in hindi

लेकिन उसके मन में शंका भरी हुई है। स्त्रियाँ सर्वगुण संपन्न होती हैं, लेकिन पुरुषों में वैसे बहुत कम होते हैं। उसमें भी अविवाहितों में और भी कम होते हैं। विशालाक्षी के लिए क्या मैं योग्य वर को ढूँढ़ सकता हूँ?

फिर भी खुद मुझे अपना प्रयास जारी रखना है। प्रयास में तनिक भी कमी नहीं होनी चाहिए। यों सोचकर अपने दूतों को विविध देश भेज दिया। राजा प्रयासरत थे, इतने में, एक शाम राजकुमारी अपनी सखियों को साथ लेकर पालकी में बैठकर के केदारेश्वर की पूजा करने निकली थी। long story in hindi

पालकी गंगा के तट पर पहुँची। वहाँ के सोपानों पर कुछ विद्वान् शास्त्रवाद कर रहे थे। उनकी बातें उसके कानों में पड़ी, उसने असीम खुशी का अनुभव किया। पढ़ी-लिखी वह उन बातों को सुनकर अपने आपको भूल गई थी। इतने में उन पंडितों के बीच में से एक युवक उसे दिखाई पड़ा। उसे देखकर वह असीम आनंद के साथ आश्चर्यचकित हुई थी।

वह उन पंडितों के बीच में से तारों के बीच में चंद्रमा के जैसे प्रकाशित हो रहा था। वह इतना सुंदर दिख रहा था कि मानो मन्मथ हो। पंडित के जोर-जोर से शास्त्रों पर तर्क करते रहने पर भी वह भरे घड़े के समान छलके बिना गंभीर बैठा था। long story in hindi

विशालाक्षी ने उससे विवाह करना चाहा। उस युवक के बारे में पूरी जानकारी लेने के लिए सखी से कहा। उसने केदारेश्वर का दर्शन किए और भगवान् से प्रार्थना की कि उस युवक से उसका विवाह हो जाए। यों भगवान् से प्रार्थना कर वह घर वापस लौट गई। तब तक सखी उसके बारे में जानकारी लेकर आई।

“मैं वहाँ काफी देर तक खड़ी थी, लेकिन उसने मुँह नहीं खोला।” सखी ने कहा। “जो सबकुछ जानते हैं, वे अनावश्यक बकते नहीं हैं न।” उसका समर्थन विशालाक्षी ने किया। “मैंने उसका आवास स्थान पूछा, ‘उसने मालूम नहीं है’ कहा।” “पंडित के लिए अमुख जगह नहीं होती है न। सारा संसार पंडित का ही है,” विशालाक्षी ने समर्थन दिया। पूछा था, “क्या पढ़ा है, उसने कहा था—मालूम नहीं।”

“तुझे भटकाने के लिए ही ऐसा कहा होगा।” वह हँस दी। आखिर में प्रश्न किया, “आपका नाम क्या है?” “हमारे गुरुजी हमें ‘शास्त्री’ पुकारते हैं”। उन्होंने कहा। motivational long story in hindi

“ओ, हो तदनंतर वह आगे और कुछ पूछने का अवसर नहीं देते हुए उठकर चले गए।” “बड़े लोग उनके बराबर के लोगों के अलावा और किसी से खुलकर बात नहीं करते। तुम यह समझे बिना उसे पागल समझ रही हो।” यों कहकर विशालाक्षी ने उसे भेज दिया।

हमारी बेटी किसी से प्रेम करती, उससे विवाह करना चाह रही है, यह बात उसकी सखी के द्वारा उसके माता-पिता को पता चली। पिताजी ने पूछा—उसमें विशेष क्या है? विशालाक्षी ने उसे देखकर उसके रूप की काफी प्रशंसा की। long story in hindi

‘इतने दिन मैंने अनावश्यक श्रम किया। विश्वनाथजी ने मुझ पर दया करके इन्हें दिखाया। गाँव के पास में वर को रखकर दूतों को कितनी दूर भेजा था।’ यों सोच रहे थे।

अब और देरी न करते हुए, जल्दी ही उन्होंने अपनी बेटी का विवाह उससे संपन्न किया। विवाह होने के बाद विशालाक्षी को अपने पति के बारे में कई विषयों की जानकारी हुई। वह देखने में सुंदर ही है, लेकिन बुद्धिहीन है। कल जो पढ़ा था, उसकी याद आज नहीं रहती। संसार का ज्ञान बिल्कुल शून्य है। विवाह क्यों, किसलिए, वह बिल्कुल नहीं जानता था। long story in hindi

बुद्धिमान और अकलवाले भी गलतियाँ करते हैं, यह बात सच निकली। विशालाक्षी के भाग्य को कौन बदल सकता है? भविष्य में कुछ भला ही होगा, इसी आशा से उसने परिस्थितियों से समझौता कर लिया। जीवन का सामना करने का निर्णय लिया। अपने पति की कमजोरियों को माता-पिता न जानें, इसका बखूबी प्रबंध किया। motivational long story in hindi

थोड़े समय के बाद पिता गुजर गए थे। उन्हें पुत्र संतान न होने के कारण और विशालाक्षी इकलौती बेटी होने के कारण, किंशुक शास्त्री को राजा बना दिया गया, लेकिन थोड़े समय में ही उसकी बुद्धिहीनता के बारे में मंत्रियों एवं प्रजा को मालूम पड़ा। वे सोचने लगे कि ऐसा व्यक्ति राजा बनकर बैठने योग्य नहीं है। इतने में शत्रु राजाओं ने युद्ध की घोषणा कर दी। वे सभी पहले विशालाक्षी को चाहकर वंचित हुए राजा थे।

वे सभी एकत्रित हुए थे। भानुमति उन पर विजयी होना असंभव मानकर पति को साथ लेकर शत्रुओं से बचकर भागना चाह रही थी। किले के रहस्य जानने के लिए विशालाक्षी ने पुस्तकें मँगवाई थीं। उसको काम आनेवाला ग्रंथ शीघ्र ही मिल गया, उसमें जो बात लिखी हुई है, उसके अनुसार किले से भागने का जो गुप्त द्वार है, उसे पहचानकर घोड़े, मूल्यवान रत्नों एवं पति को साथ में लेकर विशालाक्षी निकली थी।

पति में सौंदर्य एवं शुभ लक्षण तो है, लेकिन इसके अलावा वह संसार के बारे में कुछ नहीं जानता था। घोड़े पर सवार करना तो अलग बात है, घोड़े पर बैठने के लिए भी वह डरता था। घोड़े को धीमी से चलाने पर भी वह डर के मारे चिल्लाते था। उसे धीरज बँधाते हुए, किसी-न-किसी प्रकार गुफा को पार कर उसने जंगल में प्रवेश किया। वे आटे में चीनी मिलाकर खाते थे। motivational long story in hindi

वे एक पर्वत के शिखर पर पहुँच गए। घोड़े से उतरने पर रात में हिंसक जानवरों से खतरा मोल लेना पड़ेगा, यों सोचकर वह घोड़े से उतरे बिना धीरे से चलाते हुए सफर करने लगे। इतने में सिंह की चिंघाड़ सुनाई पड़ी। घोड़ा डर गया। विशालाक्षी के लगाम को काफी कसकर खींचने पर भी वह रुके बिना अत्यंत तेजी से दौड़ने लगा। उसका पति घोड़े पर से नीचे गिर गया।

विशालाक्षी काफी प्रयास करने पर भी घोड़े को रोक नहीं पाई। आँखों के सामने ही भयंकर दुर्घटना घटने पर भी पति को पारकर काफी दूर दौड़ने के उपरांत घोड़ा रुक गया। long story in hindi

वह दुःखित हुई थी। वह पति की मारी हुई अभागिनी है। बाकी विषयों को छोड़े तो वह काफी भला मानस था। सोचने लगी कि वह पापिन है। पहली बार जब देखा था, तब विविध प्रकार के ऊहा-पोह में रहकर उसे विवाह करने तक सो नहीं पाई। motivational long story in hindi

उस शादी की वजह से ही उसे इस प्रकार की मृत्यु प्राप्त हुई। स्वयं की वजह से उनका निधन हुआ। इस जन्म में उसे सुख का अनुभव करने का भाग्य नहीं है। जीना किसलिए? इससे मरना भला है, यों निर्णय लेकर फाँसी तैयार कर सिर को घुसाया, लेकिन विचित्र है कि विश्वास नहीं कर पाने के जैसे उस क्षण में उसे जबरदस्त नींद आ गई। उस नींद में ऐसा स्वप्न देखा था, जो सच सा लगा। long story in hindi

उस स्वप्न में एक स्त्री दिखाई पड़ी और कहा, “बेटी मरो मत। तेरी भलाई इसी में होगी। मेरी बातों पर विश्वास रखो। आत्महत्या का प्रयत्न छोड़ दो।” यों कहते हुए उसकी ओर काफी दया की दृष्टि से देखा।

इतने में वह जग गई। स्वप्न में दिखाई पड़ी देवी को ढूँढ़ने लगी, लेकिन वह कहीं भी नहीं दिखाई दी। ठीक ही है। मैं इस प्रकार के स्वप्न अकसर देखती ही रहती हूँ। शुभ हो या अशुभ हो, समय ही निर्णय करेगा। फिलहाल आत्महत्या का प्रयत्न छोड़ दूँगी। यों सोचकर वह फिर घोड़े पर चढ़कर जो मार्ग दिखाई पड़ा, उस मार्ग पर चलने लगी। वह मार्ग कहाँ जाएगा, वह नहीं जानती थी। long story in hindi

तेज धूप थी। शरीर से पसीना निकल रहा था। प्यास से गला सूख रहा था। विशालाक्षी तब पानी को उत्सुकता से ढूँढ़ने लगी। अमृत जैसे पानी से भरा हुआ एक सरोवर उसे दिखाई दिया। उसके किनारे पर शीतल छाया देनेवाले वृक्ष और उन पेड़ों पर मधुर गान कर रहे कोकिला और तोते थे।

वह घोड़े पर से उतरकर, सरोवर में कदम रखकर, पेट भर पानी पीकर, घोड़े को भी पानी पिलाकर किनारे पर पीपल पेड़ तक पहुँच गई। पेड़ के नीचे की शीतल छाया के कारण उसे गहरी नींद आ गई। उसे पता नहीं चला कि कब तक वह वैसे ही सोती रही। आँखें खोलकर देखने पर वह एक बगीचे में थी। उसके आश्चर्य की कोई ठिकाना नहीं रहा। motivational long story in hindi

पीपल के पेड़ के नीचे लेटी हुई, वह इस बगीचे में कैसे पहुँची, कौन उसे ले आया, क्या वह विशालाक्षी ही है? यह स्वप्न है या सच! स्वप्न नींद में आता है न? उसकी आँखें खुली हुई थीं!

यह दिन है या रात? सूर्य भी नहीं दिख रहा है, चंद्रमा भी दिख नहीं रहा है, लेकिन अच्छी रोशनी तो है। ठीक है, कुछ भी हो। इस फुलवाड़ी में टहलूँगी, यों सोचकर वह टहलने लगी।

मनोहर फूल के पौधे, फूलों की झाड़ियाँ, फलदार वृक्ष। वह फुलवारी काफी सुंदर एवं आह्लादयुक्त थी, लेकिन जिस मार्ग से वह आई, वह मार्ग दिखाई न दे रहा था। उस उपवन में जितना टहले, उतना आनंद-ही-आनंद है, न कि थकान। long story in hindi

एक पेड़ पर एक विचित्र फल दिखाई दिया। उसने उसे खा लिया। बस भूख और प्यास मिट गई। उसी प्रकार का और एक फल दिखाई दिया। उसे तोड़कर छुपा लिया और एक शाखा पर विचित्र फूल दिखाई दिया। एक ही फूल था।

उसकी महक इतनी नहीं थी। उसने उसे तोड़कर छुपा लिया। उसे और थोड़ी दूर चलने के उपरांत एक मंदिर दिखाई दिया। सोना, रत्न और मणियों से उसका निर्माण होने के कारण वह आभापूर्ण था। वह उधर चल पड़ी।

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30+ Best Short Motivational Story In Hindi || Motivational Short Story In Hindi

उस मंदिर के मंडप में वीणावादन करनेवाली एक स्त्री बैठी हुई थी। उसने विशालाक्षी को बैठने के लिए इशारा किया। विशालाक्षी उस देवी को नमस्कार कर बैठ गई।

उसने बहुत अच्छी तरह संगीत का आलाप किया। विशालाक्षी भी संगीत सीखी हुई थी, इसलिए उसके प्रति उसमें प्रेम उमड़ आया। यहीं नहीं, उसने जिन स्वरों का आलाप किया, वे अत्यंत अद्भुत स्वर हैं। संगीत की विदुषी कहलानेवाली विशालाक्षी को भी उसका संगीत अत्यंत अद्भुत लगा।

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उसका नाम वीणावती है। उसे पता चला कि उसने तुंबुर के पास संगीत सीखा था। हर दिन वह विशालाक्षी पर कृतियों का आलाप करती थी। उस गान-माधुर्य से परवश होकर विशालाक्षी नींद में डूब गई।

जब वह जागी, तब वह एक पीपल के पेड़ के नीचे लेटी थी और थोड़ी दूर पर घोड़ा। ओह यह सारा स्वप्न है, वह समझने लगी थी। इतने में साड़ी के पल्लू में बाँधे हुए फूल एवं फल देखे! उसे समझ में नहीं आया कि कौन सा सत्य है और कौन सा स्वप्न है। long story in hindi

उस फूल और फल को सामने रखकर उनकी सुगंध को सूँघती हुई, खुश होती हुई बैठी थी। वह उसी तरह बैठी रही कि क्या करना है, उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। सोचा था कि फल खाकर भूख और प्यास की पीड़ा से मुक्त होना, वीणावती के मृदु-मधुर संगीत को सुनना, फल और पुष्प मिलना, यह सारा उस विशालाक्षी देवी की कृपा के अलावा और कुछ नहीं है।

तब से उसके मन में कोई चिंता नहीं रही। उसने मन में धीरज बाँध लिया। आशा हुई थी कि पति जल्दी ही मिलनेवाले हैं। हृदय आनंद से हिलोरियाँ भरने लगा। उठकर फूल एवं फल को आँचल के छोर में गाँठ बाँधकर घोड़े पर चढ़कर पश्चिम दिशा की ओर निकल पड़ी।

तब तक एक पहर दिन का समय बचा था। उसने अँधेरा होने के पहले ही किसी गाँव तक पहुँचने का संकल्प किया।

घोड़े को तेजी से दौड़ाया। वह मार्ग में थोड़ी दूर जाने के बाद दक्षिण की ओर मुड़ गई। शाम तक वह एक अग्रहार की सरहद तक पहुँच गई, वहाँ पर एक बीस वर्ष का ब्रह्मचारी पेड़ की डाली पर फाँसी पर लटकाते हुए दिखाई पड़ा। उसने झट घोड़े से उतरकर उसके हाथ पकड़कर पूछा कि तुम कौन हो, क्यों आत्महत्या करना चाह रहे हो, तुम्हारे लिए कोई नहीं है क्या? यों प्रश्न करने लगी।

अँधेरे के वजह से वह उसे सही ढंग से पहचान नहीं पाने के कारण, पुरुष समझकर, “श्रीमान्! मेरा हाथ छोड़िए, मेरे जीवित रहने का कोई फायदा नहीं है। motivational long story in hindi

परेशानियाँ जो झेलीं, काफी हैं। संसार में दरिद्र और विद्याविहीन के जीवित रहने से बढ़कर और कोई नीच काम नहीं है,” यों कहते हुए उसने मुख नीचा कर लिया। “हे विप्र! उच्च जन्म है तुम्हारा। गरीबी के कारण मरने की कोई आवश्यकता नहीं है। अपना वृत्तांत बताओ। मैं तुम्हें धनवान् बनाऊँगी”

विशालाक्षी ने कहा। उसने अपने पराधीन जीवन का विवरण दिया। विशालाक्षी का मन पिघल गया। “वटुवा! यह फल महिमान्वित फल है। काफी दिन होने पर भी वह जैसा का तैसा रहता है। सूखेगा नहीं। इसे जो खाते हैं, उन्हें भूख और प्यास नहीं लगती। इसे ले जाकर अपने राजा को देना, वह तुम्हें आवश्यक धन देगा। सुख से जिओ।” यों कहकर, भीमशर्मा नामक उस विप्र को अपने पास जो फल था, दे दिया।

उस रात को अग्रहार में गुप्त रूप से एक जगह पर सोई थी। तड़के उठकर फिर सफर करने लगी। वह मार्ग में पूर्व की ओर चली। दोपहर तक सफर किया। तेज धूप होने के कारण थोड़ी देर विश्राम लेने के लिए सोचकर, एक पेड़ के नीचे घोड़े को बाँधकर परिसर में टहलने लगी।

वहाँ की विशिष्टताओं को देखने लगी। इतने में एक बूढ़ा ब्राह्मण आँसू बहाते हुए अपने दस बच्चों को साथ लेकर आते हुए दिखाई दिया। उसका दीन मुख देखकर, ‘श्रीमान!’ आपका नाम क्या है, कहाँ से आ रहे हैं, कहाँ जा रहे हो, यह लड़की कौन है? यों पूछे बिना नहीं रह पाई। motivational long story in hindi

उसने अपनी कहानी यों सुनाई, “अम्मा! हम विदर्भ देश के हैं। मेरा नाम कृष्णशर्मा है। ये बच्चे, मेरे बच्चे ही हैं। मेरी पत्नी प्रसव में व्याधिग्रस्त होकर हाल ही में चल बसी। देखभाल करने के लिए कोई स्त्री नहीं है। इन बच्चों से काफी परेशानी हो रही है। long story in hindi

मैं अत्यंत गरीब हूँ। भिक्षाटन करके जीविका चलाता था। अब हमारे देश में अकाल तांडव नृत्य कर रहा है। भीख भी नहीं मिल रही है। कहीं चले जाने से भीख मिलेगी, इसी आशा से इस देश को छोड़कर निकल पड़ा हूँ। दो दिन से खाना नहीं खाया। ये बच्चे भूख को सहन नहीं कर पा रहे हैं।”

यों कहकर उसने लंबी साँस ली। “इस बोझ को सहन न कर सकने के कारण मर जाना अच्छा समझा। तुम दयामयी-सी लग रही हो। उदात्त महिला सी लग रही हो। मेरी थोड़ी सी सहायता करो माँ?” यों उस दीन ब्राह्मण ने प्रार्थना की।

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वह उसके दुःखपूर्ण वृत्तांत को सुनकर बहुत चिंतित हुई थी। उसका हृदय करुणा से पिघल गया। ऐसे गरीब व्यक्ति की सहायता करने के अलावा और कोई अच्छा काम नहीं होगा, यों सोचकर विशालाक्षी ने महिमामय उस पुष्प को उसे देकर, “ओ ब्राह्मण! यह पारिजात साधारण पुष्प नहीं है।

अत्यंत विशिष्ट पुष्प है। इसे बाहर रखने से इसकी महक आठ मील तक फैल जाती है। इतने दिन होने पर भी यह पुष्प मुरझाया नहीं। तुम्हारे प्रति तरस आकर इसे तुझे दे रही हूँ।” यों कहकर उस विचित्र पुष्प को उसके हाथ में रखा। motivational long story in hindi

“हे माँ इस पुष्प से मैं क्या कर सकता हूँ। मुझे क्या चाहिए? मात्र दो वक्त का खाना।” उस गरीब ब्राह्मण ने कहा। “इसे ले जाकर तुम्हें तुम्हारे कुटुंब का सदा जो पोषण करेगा, उन्हें देना। तुम्हारी समस्या का हल होगा।” उसने कहा। वह उसे नमस्कार कर, कृतज्ञता ज्ञापन कर विदा हो लिया। वह फिर घोड़े पर चढ़कर सफर करने लगी। वह मार्ग में थोड़ी दूर जाकर पूर्व की ओर से उत्तर की ओर मुड़ी।

विशालाक्षी ने इस मार्ग को पहचानकर कहा—ओह, यह मार्ग फिर उत्तर की ओर ही जाएगा! इस तरफ जंगल के अलावा गाँव नहीं है! मेरे पति कहाँ पर हैं? पता नहीं चला। स्वप्न में देवता के कथन पर विश्वास कर इस प्रकार भटक रही हूँ।

पीछे मुड़कर और एक मार्ग पकड़ लूँ या इसी मार्ग पर चलूँ? यों थोड़ी देर सोचकर आखिर में उसी मार्ग पर चलने का निर्णय लेकर आगे बढ़ी।

शाम तक सफर करने पर एक गाँव भी नहीं दिखाई दिया। तब वह दुःखित हो गई। यह जंगल है। यहाँ जरूर हिंसक जानवर होंगे। इसमें रात कैसे काटूँ? फिर वह तो प्राण त्यागने के लिए तैयार है, उसे हिंसक पशुओं से डर क्यों? यह सोच कर अपने को सँभालकर फिर आगे बढ़ी। long story in hindi

वहाँ पर पशुओं का रंभाना सुनाई पड़ा, इसलिए उसने सोचा कि निश्चित ही वहाँ कोई गाँव होगा। विशालाक्षी उधर चल दी। वहाँ जनजाति के लोग रहते थे। वे राक्षस जैसे दिख रहे थे। वे उत्सव मना रहे थे। चौपाल में दीप जलाकर उसे घेरकर, कुछ पीते हुए जंगली वाद्य बजाते हुए नाच-गा रहे थे।

उन्हें देखते ही उसके होश उड़ गए। फिर समझ गई थी कि उन्होंने उसे नहीं देखा। बस घोड़े से उतरकर एक खेत में उसे बाँधकर गाँव की ओर एक कोने में चली गई, वहाँ झोंपड़ियाँ में कोई नहीं था। वह एक झोंपड़ी के चबूतरे पर बैठकर विश्राम करने लगी।

थोड़ी देर बाद एक स्त्री वहाँ पहुँचकर जनजातीय भाषा में उससे कुछ पूछ रही थी। उस भाषा को न जानते हुए भी, जानने के जैसे “मैं तो परदेसी बढ़िया हूँ। रास्ता भटक गई, इधर चली आई। सुबह चली जाऊँगी,” कहा। वह विशालाक्षी की बातें न समझ पाने के कारण, ओह। ओह। वनदेवी यहाँ आकर हमारे चबूतरे पर बैठी हैं, यों चिल्लाते हुए वह जहाँ दीप जल रहा है, उस चौपाल की ओर दौड़ी थी।

वहाँ उस बूढ़ी की चिल्लाहट को सुनकर शराब पीते हुए नाचने-गानेवाले सभी वनवासी उसकी बातें सुनकर चलो-चलो कहते हुए विशालाक्षी, जहाँ पर बैठी थी, उस झोंपड़ी की ओर चल पड़े। उसे देखकर उसने प्राण पखेरू उड़ गए।

इतने में उसे एक उपाय सूझा। बाल बिखेरकर सिर पर भवानी चढ़ने के जैसे इधर-उधर झूमती हुई नाचने लगी। पहुँचे हुए वनवासी उसके साथ कदम बढ़ाते हुए नाचने लगे। डफला बजाने लगे।

थोड़ी देर बाद वे डफला बजाना और नाचना बंद कर उसकी मनौती करते हुए-देवी! तुझे, बलि देंगे, शरबत पिलाएँगे। शांति से हमारी देखभाल करो। हमारे मंदिर में आना। यों प्रार्थना करने लगे।

लेकिन विशालाक्षी जिधर दीप जल रहे हैं, उस चौपाल की ओर दौड़ी। मंदिर कहाँ पर है, मालूम न होने के कारण ढफला बजाते हुए पद गाते हुए…उसका अनुसरण किया। गाल मारते हुए, नमस्कार करते हुए चौपाल के पास पहुँच गए। उन सभी से नाचना, डफला बजाना रोकने के लिए इशारा किया। औरतें ने बातें करना बंद नहीं किया था। long story in hindi

“इस साल हमारी देवता बढ़िया, बहुत बढ़िया कपड़े पहनकर आई।

हमारी देवी को पति है क्या, औरतों के लिए मर्द नहीं होते क्या? इस देवता के पति का नाम है पोतराजु। हाँ बच्चे तो नहीं हैं। long motivational story in hindi

हम भी तो उसके बच्चे ही हैं न! यहीं देवता ने हमें जन्म दिया है। पता नहीं देवी यहाँ कितना समय रहेगी? सोने की गुड़िया जैसी है। दो दिन रहने से दर्शन कर सकते थे।

हमेशा के जैसा सुबह चली जाएगी, अब क्यों अधिक समय रहती?

विशालाक्षी ने उसकी सारी बातें ध्यान से सुनी थी। तड़के में गद्दी से उठी।

देवी चली जा रही है, यों कहते हुए वे हड़बड़ी करने लगे। चिल्लाते, डफला बजाते हुए विदा की।

वह खेत में आकर घोड़े पर चढ़ी थी। वे थोड़ी दूर तक उसके पीछे चलकर फिर लौट गए।

देवता ने ही इस आपत्ति से पार कराया। यदि मैं वन देवता के रूप में अभिनय नहीं करती तो वे मुझे जरूर मार डालते थे—यों सोचते हुए विशालाक्षी ने घोड़े को उस रास्ते की ओर दौड़ाया, जिस रास्ते से वह आई थी। उस जनजातीय स्त्री की बातों ने ही उसे एक उपाय सुझाया। दैव शक्ति ने ही उस रूप में उस बोली में उसकी रक्षा की।

वह यों घोड़े पर सवार होकर कोटीश्वरम् नामक क्षेत्र पहुँच गई थी। वह दिन शिवरात्रि का दिन होने के कारण वहाँ पर बहुत लोग पहुँच गए। घोड़े को दूर बाँधकर सरोवर में स्नान कर मंदिर में गई। उस मंदिर में उसे एक स्त्री दिखाई पड़ी।

विशालाक्षी को लगा कि उसे कहीं देखा था, नख-शिख देखे थे। वह इसे पहचानकर, “क्या बेटा! क्यों ऐसी देख रही हो। क्यों कहीं देखी हुई सी लग रही हो?” हँसते हुए पूछने लगी। long story in hindi

“हाँ, वही स्मरण करने का प्रयास कर रही हूँ। एक दिन उपवन के मंदिर के मंडप में मैं जब वीणा बजा रही थी, तुम वहाँ आई थी न! गीत गाना समाप्त होने के बाद तुम से बात करना चाह रही थी, लेकिन इतने में तुम नींद में डूब गई थी! फिर आज तक दिखाई नहीं पड़ी।”

क्या अब स्मरण में आया। विशालाक्षी के विस्मय की कोई सीमा नहीं रही। यह काफी अजीब सी लग रहा था। स्वप्न में देखी हुई देवी सच में दिखाई देना विचित्र ही है। यह भी शायद उस अजीब पुष्प एवं फल जैसी माया ही हो। यों सोचकर स्मरण आया, माँ। कहाँ थीं। उस बगीचे में से तुम जो फल और पुष्प को लाई थी! क्या उन्हें सुरक्षित रखा। motivational long story in hindi

“ब्राह्मण की दीन स्थिति को सुनकर मेरा मन पिघल गया है। उन्हें उसे दे दिया। विशालाक्षी ने कहा। तब वह काफी चिंतित होती हुई बोली, “उन्हें देवता ने तुझे दिया। ऐसी चीजों को क्या दूसरों को दे सकते हैं?” ठीक है दैव-कृपा पर विश्वास रखो। वे कहीं नहीं जाएँगे।” उसने कहा।

विशालाक्षी ने उस उपवन के बारे में उससे पूछने के लिए सोचा, “यहीं रहो। अंदर जाकर भगवान् का दर्शन कर आती हूँ।” यों कहकर मंदिर के अंदर गई। काफी समय होने पर भी बाहर नहीं आई। तब विशालाक्षी ने अंदर जाकर ढूँढ़ा, लेकिन वह दिखाई नहीं पड़ी। ओह! मैं उसके बारे में विवरण नहीं ले पाई हूँ। यों काफी चिंतत होती हुई, वहाँ से उसे ढूँढ़ती हुई बाहर आई।

फिर यात्रा शुरू की। धर्मपुरी नामक राजधानी नगर पहुँची। वहाँ पर एक सराय के चबूतरे पर विश्राम कर रही थी। इतने में दो मुसाफिरों का आपस में बातें करना सुनाई पड़ा।

लोग झुंड-के-झुंड में जा रहे थे। कहाँ जा रहे हो, मालूम है?

आज रात को महल में बड़ी सभा संपन्न होने जा रही है। सभा की विशेषता क्या है, सुना है—धर्मांगद महाराजा के दीवाण में एक अद्भुत फल पहुँचा है। उस की जाति के बारे में भी कोई नहीं जानता। उसे खाने से क्या होगा, कोई नहीं जानता। long story in hindi

वैसे ही कहा जा रहा है कि मलजाल देश के राजा चंद्र वर्मा के यहाँ एक विचित्र पुष्प लाया गया है। वह कितने दिन होने पर भी नहीं मुरझाएगा, सुगंध एक योजन दूरी तक फैलेगी। उन दो चीजों के बारे में भाषण होंगे। बाद में मदन मंजरी नामक वेश्या संगीत का गायन करेगी।”

बातें सुनाई पड़ने से विशालाक्षी के मन में उनके बारे में क्या कहेंगे, सुनने का कौतूहल जगा, लेकिन स्त्री वेश में सभा में जाना ठीक नहीं है, समझकर पुरुष वेश में सभा में उपस्थित हुई।

वह सभा सुंदर दीपों से अलंकृत की गई थी। सभा के बीच में उस पुष्प एवं फल को लटकाया गया था। उनकी सुगंध वहाँ के लोगों को आनंदित कर रही थी। वलयाकार में सजाए गए सिंहासनों पर विविध देशों के राजा बैठे हुए थे। इतने में राजा ने सभा में प्रवेश कर कहा, “सम्माननीय आर्य! कोई भी लोकातीत वस्तु मिलने पर उसकी विशिष्टता की जानकारी सभी को देना राजा का कर्तव्य होता है।

यह फल और पुष्प की विशिष्टता आपको अलग रूप से कहने की जरूरत नहीं है। पंद्रह दिनों से ये मुरझाए बिना जैसा का तैसा है। समग्र रूप से उनके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस सभा को बुलाया गया है। इनके बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी वाले कुछ लोग इस सभा में हैं। पहले भीम शर्मा इसके बारे में बोलेंगे।” long motivational story in hindi

तब भीम शर्मा ने उठकर राजा और सभा को नमस्कार किया। “मेरा नाम भीम शर्मा है। मैं विजयपुरी अग्रहारम का रहनेवाला हूँ। मेरे भाई-भाभी के द्वारा किए गए अपमान को सहन न कर पाने के कारण…विद्याविहीन मैं जीवित रहना बेकार समझकर आत्महत्या करने लगा। long story in hindi

अश्वारूढ़ एक संन्यासी ने मेरे वृत्तांत को सुनकर, मेरे प्रति तरस आकर इस फल को मुझे दिया और कहा कि यह महिमान्वित फल है, किसी साधारण मनुष्य को नहीं देना। मैं इसे महाराज को देकर मेरी गरीबी को दूर करनेवाला बढ़िया इनाम प्राप्त करने के उद्देश्य से धर्मपुरी पहुँचा था। कितनी परतों में इसे छुपाने पर भी इसकी सुगंध चारों ओर फैलने लगी। long motivational story in hindi

जब मैं सड़क पर चल रहा था, कुबेरदत्त नामक एक वैश्य ने उस गंध को पहचानकर अपने पास बुलाकर विवरण पूछा। वैसे भोगी से झूठ क्यों बोलू, यों सोचकर मैंने ही उसे फल का विवरण दिया।

उसने मुझे आदर के साथ मंजिल पर ले जाकर फल को दिखाने के लिए पूछा, और प्रश्न किया कि “क्या इसे खाने से संतान होगी?” यह मैं नहीं जानता हूँ, कहा, “दस सिक्के में दोगे,” पूछा था, “मुझे एक गाँव मिलना है”—इसे सामान्य व्यक्ति को न देने के लिए उसने कहा।

आखिर उसने वे मुझे एक लाख में मना लिया। उसे फल देकर पैसे माँगे। वे इसे एक पेटी में छिपाकर कल सबेरे आना। परेशान नहीं होना। पैसा लाने के लिए आदमी को भेज रहा हूँ,” कहा। उसकी बातों पर विश्वास कर मैं, अपने घर चला गया।

उसने दूसरे दिन भी पैसे नहीं दिए तो नहीं दिए, उलटे कल आओ, परसों आओ कहकर मुझे घुमाने लगा। दस दिन घूमने के बाद मैं ऊब गया। शंका भी होने लगी। फल को मुझे वापस देने को कहा। मेरी बात पर वह हँसता हुआ बोला, “ओ पागल ब्राह्मण! क्या सच में आपने विश्वास किया, उस फल के लिए एक लाख रुपए दूँगा? असल में तुम उस फल के लिए एक गाँव ही माँगे थे।

तुम्हारी लालसा को सबक सिखाना चाहा था, इसलिए एक लाख देने के लिए कहा था। ये दस रुपए ले लो। राजा भी तुझे इससे ज्यादा नहीं देता।” कहा था। उसने जो धोखा दिया, उससे निश्चेष्ट होकर, “मेरे फल को मुझे वापस दे दो।” कहा। इस पर उस वैश्य ने उसे खाकर देखा। कोई परिणाम नहीं दिखाई दिया। “चाहे तो ये दस रुपए लेकर निकलो, नहीं तो जा निकल जा,” कहा।

मैंने शोर मचाकर गला फाड़कर लोगो को बुलाया। एक फल के लिए एक लाख रुपए!…यों कहकर वह मुझे अपमानित किया।

धर्मप्रभु होने के कारण मेरी शिकायत को सुनकर, उन्होंने कुबेरदत्त को बुलवाया। पिछली रात ही चोर द्वारा उसके पूरे घर को लूटने की वजह से वह सड़क पर आकर रोने लगा। चोरों ने फल की रखी हुई पेटी की भी चोरी की। long story in hindi

उस समय कुबेरदत्त ने उठकर कहा, “यह ब्राह्मण जो कुछ कह रहा है, सच ही है। ब्राह्मण को धोखा देने के कारण मेरे घर में एक रुपया भी नहीं बचा। मुझे सही दंड मिला।” यों कहकर अपने गालों पर मारने लगा।

बाद में राजा की आज्ञानुसार हाथ बाँधकर सभा में पेश किए गए चोरों का नायक बोला, “हे महान्! कुबेरदत्त के घर को लूटकर यथावत् इस गाँव के निपुणिक को स्वर्णकार के पास ले गए थे। उसने हमारे सामने ही सभी पेटियाँ खोलकर उनमें रखी सारी चीजों को दिखाया।

एक पेटी में यह फल है। इस प्रकार का फल वैश्य ने कहाँ से लाया है? यों सोचकर हम सभी आश्चर्यचकित हुए थे। निपुणिक ने उस फल को माँगा तो उसे हम उस फल को दे दिया। हम यही जानते हैं।” कहकर बात को पूरा किया।

तब निपुणिक उठकर बोला, “हे महोदय! इस फल को दो-तीन दिन अपने पास रखकर बाद में इस प्रकार के फल को मैं खाऊँ तो क्या प्रयोजन होगा, यों सोचकर वेश्या तारावली को प्रेम से दे दिया।” कहकर बैठ गया। तारावली ने इस फल की महिमा से बेहद खुशी से उसे खाए बिना हमारे मकान में गेंद के जैसे लटकाया।

इतने में राजा के सैनिक उस फल को ढूँढ़ रहे थे, खबर मिली। तब उसे यहीं पर रखने से बहुत बुरा हाल होगा, सोचकर उस फल को कहीं फेंकने के लिए, दादी कहने के कारण, मैंने डर के मारे उसे एक पेटी में रखकर किसी कंदरा में फेंककर आने के लिए रात में दादी को दिया। बाद में क्या हुआ, मैं नहीं जानता हूँ।” कहा।

राज सैनिक ने दादी को सभा में प्रवेश कराया। वह थर-थर काँपती हुई “महान्! मैं उस फल को रखी हुई पेटी को सिर पर रखकर गड्ढे की ओर जाते समय मार्ग में रहे, मेरे प्रिय को देखने उसके घर गई तो उसने पूछा था कि उस पेटी में क्या है? long story in hindi

उसने उस अद्भुत फल की काफी प्रशंसा की और मेरे मन में उसके प्रति जो प्रेम था, उसकी प्रशंसा की। मैंने सुबह मेरी स्वामिन तारावली के पास आकर उस फल को गड्ढे में फेंक दिया।” उसने कहा।

प्रिय ने कहा, “मुझे इस विशिष्ट फल को खाने से भी क्या लाभ है? दुकान में ले जाकर बेचने से अधिक मूल्य मिलेगा, यों सोचकर इस फल के पीछे कपट को जाने बिना, ले जाते वक्त उसकी सुगंध चारों ओर महक उठी।

लोग मक्खियों के जैसे इकट्ठा हुए। इतने में राज सैनिक ने आकर मुझे बंदी बना लिया।” उसने कहा। सभी सदस्यों ने तालियाँ बजाकर अपने आश्चर्य को व्यक्त किया। तब महाराज सभा को संबोधित कर बोले, “अब आप लोग अद्भुत पुष्प के बारे में सुनेंगे। उस बात को सुनकर एक ब्राह्मण उठ खड़ा हुआ।

(साभार : प्रो. एस. शेषारत्नम्)

दरख़्त रानी :-

पुराने ज़माने में किसी गाँव में एक बूढ़ा आदमी रहता था। उसकी शादी को 20 साल हो गए थे पर फिर भी वह औलाद की दौलत से वंचित था। भगवान की कृपा से बूढ़े की औरत का पाँव भारी था। नई-नई चीज़ें खाने को उसका जी चाहता था। बूढ़ा भी अपनी आय के मुताबिक़ उसे खाने की चीज़ें ला कर देता था। motivational long story in hindi

एक रोज़ बूढ़े की बीवी को खट्टे-मीठे बेर खाने की बहुत ख़्वाहिश हुई। गरमी के मौसम में बेर कहाँ मिलते हैं। फिर भी बूढ़ा बेरों की तलाश में जंगलों में भटकता रहा। एक दिन जंगलों में इधर-उधर बेर तलाश करते हुए वह एक तालाब के किनारे पहुँचा तो एक बेर की झाड़ी नज़र आई। बूढ़े को बहुत खुशी हुई। वह अपने दोनों हाथों से बेर इकट्ठे करने लगा। long motivational story in hindi

अभी झोली भर बेर ही तोड़े थे कि एक आदमख़ोर मगरमच्छ ने अपना बड़ा सा मुँह पानी से ऊपर निकाला और ज़ोर से साँस खींची। उसके साँस लेने से एक ज़ोरदार आँधी चली और बूढ़ा कमज़ोरी की वजह से अपने को न संभाल पाया और तालाब में आ गिरा।

बूढ़ा अपने को संभालते हुए किनारे तक पहुँचना ही चाहता था कि मगरमच्छ ने इसके पाँव ही पकड़ लिए। बूढ़ा उससे कहने लगा,‘‘भाई खट्टे-मीठे बेरों की तलाश में मेरे पाँव घिस गए और फिर जब बेर मिले तो मेरे रास्ते में तू रोड़ा बनता है।’’ long story in hindi

‘‘तेरी यह मक्कारी मुझपर कोई असर नहीं करेगी। बहुत दिनों से इंसान का गोश्त खाने को नहीं मिला। तेरी करारी ह़ड्डियों को चबाने में मुझे बहुत मज़ा आएगा। आज मैं तुझे खाऊँगा।’’ मगरमच्छ ने लार टपकाते हुए कहा।
‘‘क्यों। मुझे तू क्यों खाएगा’’
‘‘इसलिए क्योंकि तूने मुझसे बगैर इजाज़त लिए मेरे बेर लिए हैं।’’

Long Story In Hindi
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‘‘भाई मैं यह बेर बहुत मजबूरी में ले रहा हूँ। मेरी बीवी की हालत कुछ ऐसी है। मैं और मेरी बीवी अब और ज़्यादा इंतज़ार नहीं कर सकते।’’ बूढ़े की बात सुनकर मगरमच्छ समझ गया।

‘‘ओह’’ अगर यह बात है तो मैं तुझे नहीं खाऊँगा। तू अपनी राह ले लेकिन मेरी एक शर्त है। ‘‘क्या शर्त’’ है। बूढे़ ने पूछा।
‘‘अगर लड़का होगा तो तेरा और लड़की हुई तो मेरी।’’

‘‘मंजूर’’ कहकर वह बेरों की झोली संभालते हुए चल दिया। वह अपने दिल में सोचने लगा कि मगरमच्छ उसे फिर कहाँ मिलेगा और अगर उसके यहाँ लड़का पैदा हुआ तो फिर तो परेशानी की कोई बात ही नहीं। motivational long story in hindi

बूढ़ा अपनी बीवी की आव भगत में कोई कमी नहीं करता था। दिन पर लगा कर उड़ते रहे और एक दिन बूढ़े के घर एक खूबसूरत और बहुत तंदरूस्त लड़की पैदा हुई। बच्ची को देखकर उसे मगरमच्छ की बात याद आई तो वह काँप उठा।

लड़की का रंग गुलाब के फूल की तरह था। उसकी आँखे हीरों की तरह चमकदार थीं। वह परियों की तरह हसीन और मासूम थी। ऐसी मन्नतों और मुरादों की लड़की मगरमच्छ के पेट में जाए यह सोचकर बूढ़ा दुख से काँपने लगा। उसने सोचा कि अब वह कभी तालाब के किनारे नहीं जाएगा। long motivational story in hindi

बारिश का मौसम आया और नदी में बाढ़ आ गई। मगरमच्छ पानी में बह कर तालाब से निकल कर खेत में आ गया। अब उसे आसानी से शिकार मिलने लगा। एक दिन बूढ़ा खेत से सब्ज़ी तोड़कर ला रहा था तो रास्ते में मगरमच्छ ने उसे रोककर सवाल किया।

‘‘क्यों बे बुडढ़े! मुझसे छुपता क्यों है? तू मुझसे छुप कर कहाँ भागेगा। सीधी तरह बता तेरे यहाँ लड़की हुई या लड़का।’’
‘‘लड़की हुई है।’’ बूढ़े ने सहमी हुई आवाज़ में कहा।
‘‘तो फिर वह मेरी है। मेरी अमानत को अब तक तूने अपने पास क्यों रखा है। क्या तू अमानत में ख़्यानत करना चाहता है।’’
‘‘इतनी छोटी बच्ची को तुझे कैसे दे दूँ?’’ बूढ़े ने कहा।

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‘‘चौदह साल पहले तूने मुझसे वादा किया था। क्या वह अब भी बच्ची है। तू बाप की नज़र से देखता है वह अगर बूढ़ी भी हो जाएगी तब भी वह बच्ची ही रहेगी। तू मुझे अब और बेवकूफ़ नहीं बना सकता। मैं तुझे चैन से रहने नहीं दूंगा। देख! अगर तूने लड़की को कल ही लाकर मुझे नहीं दिया तो मैं तुम तीनों को एक-एक कर ख़्तम कर दूँगा।’’ मगरमच्छ ने कहा।

‘‘वह मेरी बेटी है। अपना खून तुझे मैं कैसे दे दूँ? लोग क्या कहेंगे?’’ बूढ़े ने सवाल किया।

‘‘लोग क्या कहेंगे वह मैं नहीं जानता। तू क्या कहता है? वादा ख़िलाफ़ी करना चाहता है?’’ मगरमच्छ ने गुस्से से चिल्लाकर कहा।

‘‘नहीं नहीं! यह बात नहीं है। मै चाहता हूँ कि मेरी बेटी को इस बात का पता न चले। और।।।’’ बूढ़ा कहते-कहते रुक गया। ‘‘तू क्या चाहता है बोल।’’ मगरमच्छ ने कहा।

‘‘मेरी लड़की को कमल का फूल बहुत पसंद है। तू अपनी पीठ पर एक कमल का फूल रखकर तालाब के अंदर पानी के नीचे बैठे रहना। जब लड़की खुशी से इसे लेने जाएगी तो इसे तू ले जाना।’’ मगरमच्छ को यह तरकीब पसंद आई। long story in hindi

दूसरे दिन जब बूढ़े ने अपनी बीवी को बताया तो लड़की की माँ परेशान हो गई। वह अपने आपको कोस रही थी कि क्यों उसने बेर खाने की ख़्वाहिश की। आज उसकी बेटी मौत के मुँह में जा रही थी। भगवान उसे मौत क्यों नहीं देता। उसका दिल रो रहा था लेकिन वह लड़की से कह रही थी, ‘‘बेटी! कितने दिन हुए नानी के घर तू नहीं गई। वह तुझे याद कर रही है। तू आज अपने बाप के साथ नानी के घर जाएगी। दो दिन रहकर वापस आ जाना।’’ long motivational story in hindi

बूढ़े की बेटी मगरमच्छ को सामने देखकर घबरा गई और चीख़ने लगी लेकिन उसकी चीख़ जंगल में गूंज कर रह गई पर उसका बाप वापस नहीं आया। मगरमच्छ उसको अपने बड़े-बड़े पंजों में पकड़ कर तालाब के दूसरे किनारे एक गुफा के अंदर ले गया और वहाँ लड़की को छोड़कर वापस आ गया

ननिहाल जाने की बात सुनकर बेटी को खुशी हुई। उसके लिए मामू का घर जन्नत से कुछ कम नहीं था। वहाँ की हर चीज़ उसे पसंद थी। वहाँ का चाँद खूबसूरत था। वहाँ के फूल खूबसूरत और फल रसीले थे। नानी के घर जाने की ख़बर सुनकर वह खुशी से नए कपड़े पहन कर तैयार हो गई थी।

बूढ़ा उसे लेकर जंगल और नाले पार करता हुआ उस तालाब के किनारे पहुँचा और बेटी को तालाब के किनारे बैठा कर बोला, ‘‘बेटी तू यहाँ बैठी रह। मैं अभी आया।’’ बूढ़ा चला गया लेकिन वापस नहीं आया।

उधर बेटी को एक बेहद खूबसूरत कमल का फूल नज़र आया। वह सोचने लगी कि इतना खूबसूरत कमल तालाब के बिल्कुल किनारे खिला है लेकिन उसे अभी तक किसी ने हाथ नहीं लगाया! हो सकता है किसी की नज़र उस पर न पड़ी हो। बूढे की बेटी धीरे से पानी के अंदर गई। कमल के फूल की तरफ हाथ बढ़ाते ही कमल थोड़ा आगे खिसक गया। लड़की डर कर अपने बाप को पुकारने लगी।

घुटने पानी हुआ है बाबा
कमल खिसकता जाता है

वह फिर आगे बढ़ने लगी। कमल फिर से खिसक गया। लड़की चीख़ कर अपने बाप को पुकारने लगी।

छाती पानी हुआ है बाबा
कमल खिसकता जाता है

बाप वहाँ होता तो जवाब देता। उसे डर लग रहा था वह सोच रही थी कि वापस चली जाए। उसी वक़्त बड़ी-बड़ी लाल आँखों वाला मगरमच्छ मुँह खोले पानी की सतह पर दिखाई दिया। बूढ़े की बेटी मगरमच्छ को सामने देखकर घबरा गई और चीख़ने लगी लेकिन उसकी चीख़ जंगल में गूंज कर रह गई पर उसका बाप वापस नहीं आया। मगरमच्छ उसको अपने बड़े-बड़े पंजों में पकड़ कर तालाब के दूसरे किनारे एक गुफा के अंदर ले गया और वहाँ लड़की को छोड़कर वापस आ गया।

लड़की की मासूमियत और खूबसूरती को देखकर उसे खाने का इरादा इस वक़्त उसने छोड़ दिया। राहगीर जो तालाब में नहाने या पानी पीने आते थे, उन्हें वह पेट भरकर खाता और उस आदमी के पास खाने का जो सामान होता उसे लाकर इस लड़की को देता। लड़की इस गुफा में पड़ी रहती। पर मगरमच्छ के डर से वह कुछ बोलती नहीं थी। long motivational story in hindi

इस तरह दिन गुज़रते गए। चारों तरफ इस तालाब का मगरमच्छ आदमखोर के नाम से मशहूर हो गया था। डर के मारे कोई राहगीर इस तालाब की तरफ़ नहीं आता था। मगरमच्छ भूख से बेक़रार होने लगा। उसने तालाब की बड़ी-बड़ी मच्छलियों को खाकर ख़त्म कर दिया। long story in hindi

अब वह भूख के मारे मरने लगा। जंगल की गाय-बकरी भेड़ भी वह भूख की शिद्दत में खा गया। अब उसके डर से वहाँ कोई जानवर भी पानी पीने नहीं आता था। जब उसे ज़ोर की भूख सताने लगी तो वह बूढ़े की बेटी के क़रीब आकर उसे अपनी लाल और ललचाई आँखों से घूरने लगा। बूढ़े की बेटी समझ गई कि अब उसकी बारी थी। motivational long story in hindi

लेकिन मगरमच्छ ने उसे उस दिन नहीं खाया। सोचने लगा कि अब उसके दाँतों में धार नहीं थी। उन्हें लुहार से तेज़ कराने के बाद उस लड़की को खाएगा। यह सोचकर वह लुहार के पास चला गया।

इधर बूढ़े की बेटी अपनी जान बचाने की तरकीब सोचने लगी। गुफा में जितने सोने-चाँदी के ज़ेवरात मगरमच्छ ने लाकर रखे थे। उसने सबको इकट्ठा किया और एक टोकरी में रखकर सूखे पत्ते और छोटी-छोटी लकड़ियों से उसे ढँक लिया और अपने जिस्म पर कीचड़ लेप कर अपनी सूरत एक अंधी बुढ़िया जैसी बना ली और टोकरी कमर पर लादकर लाठी टेकते-टेकते जाने लगी।

जैसे ही गुफा से बाहर निकली उसी वक़्त मगरमच्छ आ गया और दहाड़ कर पूछने लगा।।।‘‘तू कौन है?’’ बूढ़े की बेटी डर से काँपने लगी लेकिन बाद में ख़ुद को संभालते हुए कहने लगी।

मैं अँधी बूढ़ी हूँ
हड्डियो की लड़ी हूँ

‘‘मेरे बदन में क्या है जो तू खाएगा? तू अपनी गुफा को जा। वहाँ तेरे लिए एक तंदरूस्त लड़की मौजूद है। उसकी हड्डियाँ चबाने में तुझे मज़ा आएगा।’’

मगरमच्छ उसे पहचान न सका उसके मुँह में इंसानी गोश्त के मज़े को सोचकर पानी आ गया और वह तेज़ी से गुफा के अंदर चला गया। बूढ़े की बेटी उससे छुटका मिलते ही घबरा कर दौड़ने लगी और घने जंगल में गुम हो गई। long story in hindi

वह सोच रही थी कि जिस माँ-बाप ने उसे धोखा देकर मगरमच्छ के हवाले कर दिया। वह उनके पास नहीं जाएगी। वह यही कुछ सोचते हुए घने जंगल में चली जा रही थी कि उसे शेर की गरज सुनाई दी। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।

वह ख़ौफ़ के मारे इधर-उधर छुपने की जगह ढूंढने लगी। इतनी देर में एक हाथी के बराबर ऊँचा और बड़ा शेर उसके सामने आ गया। डर के मारे वह सामने एक बड़े बरगद के दरख़त के तने से चिपट गई और रो-रो कर मजबूरन दरख़्त से दरख्वास्त करने लगी। motivational long story in hindi

‘‘ऐ दरख़्त तू फट जा मैं तुझमें समा जाऊँ और तू बंद हो जा।’’ यह सुनते ही दरख़्त सचमुच फट गया और वह उसके अंदर चली गई और दरख़्त बंद हो गया।

एक दिन एक राजकुमार शिकार करने के लिए उसी जंगल में आया। वह दातुन के लिए एक शाख़ काटने लगा कि उसके कानों में ये आवाज़ आई।।।

राजकुमार धीरे काट कहीं
मेरी आँख फूट न जाए
मेरी नाक काट न जाए
मेरा हाथ टूट न जाए

यह सुरीली आवाज़ सनकर राजकुमार को हैरत हुई। और वह दातुन लिए बग़ैर राजमहल वापिस चला आया। वह रात भर उसी जादुई दरख़्त के बारे में सोचता रहा। राजमहल में राजकुमार की शादी की तैयारियाँ हो रही थीं।

ज्योतिषी और पुरोहित राजकुमार को समझा रहे थे लेकिन राजकुमार की बस एक ही ज़िद थी कि वह उसी दरख़्त से शादी करेगा। अगर उसकी शादी उस दरख़्त से नहीं हुई तो वह अपनी जान दे देगा। राजकुमार राजा की इकलौती औलाद था। उसकी नज़र में शादी की अहमियत बेटे की ज़िंदगी से कम ही थी। इसलिए राजकुमार की ख़्वाहिश पूरी की गई। उसी दरख़्त के साथ उसकी शादी की रस्म अदा की गई।

राजकुमार ने उस दरख़्त को वहाँ से उखाड़कर अपने महल के पास बाग़ में लगवा लिया। बूढ़े की बेटी रात गए दरख़्त से निकलती और महल के अंदर जाकर सब काम पूरे करती और सुबह होते ही वापस दरख़्त के अंदर चली जाती। motivational long story in hindi

एक रोज़ राजकुमार ने छुपकर बूढ़े की बेटी के ये सब काम देखे। दूसरे दिन जब बूढ़े की बेटी दरख़्त से निकल कर महल के अंदर गई तो राजकुमार ने उस दरख़्त को आग लगाकर भस्म कर दिया।

बूढ़े की बेटी दौड़ती हुई आई और बोली,‘‘आह। तुमने यह क्या किया?’’

इस पर राजकुमार ने कहा, ‘‘इतना बड़ा महल है तुम इसमें रह सकती हो। इस खूबसूरत बाग़ में घूम सकती हो। बेवजह इस दरख़्त के अंधेरे में क्यों सड़ती रहती हो। और फिर मैं तुमसे बेइंतेहा मोहब्बत करता हूँ मैंने तुम्हें अपनी रानी बना लिया है। मैं तुम्हारे बिना जी न सकूंगा।!’’

लड़की तो सिर्फ़ मोहब्बत की भूखी थी। लड़की को लगा कि जैसे सारे जहाँ की खुशी उसे मिल गई हो। उस दिन के बाद दोनों राजमहल में हँसी खुशी रहने लगे।

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कमल का फूल (long motivational story in hindi):-

(कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प एवं उड़ीसा, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा का राज्य पुष्प है)

कमल के सम्बन्ध में अनेक विश्वास, मिथक एवं किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं। इनमें कहीं इसे एक प्रेमी युवक बताया गया है और कहीं इसे स्वर्ग का देवता कहा गया है। एक रोचक किंवदन्ती के अनुसार कमल एक अभिशप्त प्रेमी है।

बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक नवयुवक रहता था। वह बहुत हृष्ट-पुष्ट और सुन्दर था। उसके माता-पिता दोनों मर चुके थे। बस एक बड़ा भाई था। युवक के पास माता-पिता की दी हुई थोड़ी-सी जमीन थी।

उसी पर वह अपने भाई के साथ खेती करता था। युवक और उसका बड़ा भाई दोनों बहुत मेहनत करते थे। वे खेती किसानी के साथ ही मेहनत-मजदूरी भी करते थे । लेकिन इतना सब करने के बाद भी दोनों का गुजर-बसर बहुत कठिनाई से होता था।

Long Story In Hindi
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एक बार युवक गाँव के जमींदार के खेतों में पानी दे रहा था। सुबह का समय था। जमींदार के खेत गाँव के बाहर थे और खेतों के पास एक बड़ा-सा मैदान था। मेलों और त्योहारों के समय गाँव के लोग इसी मैदान में एकत्रित होते थे। कभी-कभी इस मैदान में बंजारे भी आ जाते थे और अपने डेरे लगा लेते थे। बंजारे कुछ दिन गाँव में रुकते और फिर आगे बढ़ जाते थे। long story in hindi

जमींदार के खेतों में एक बड़ा कुआँ था। युवक कुएँ से पानी खींचता और पास की नाली में डाल देता। नाली खेतों के बीच से होकर गुजरती थी। अतः पानी खेतों में पहुँच जाता था। युवक पूरे तन-मन से काम कर रहा था। अचानक उसे लगा कि कोई उसके पास खड़ा है।

युवक ने पीछे मुड़कर देखा। उसके सामने एक बंजारन हाथ में मटका लिए खड़ी थी। युवक ने बंजारन को देखा तो, देखता ही रह गया। बंजारन पन्द्रह-सोलह वर्ष की थी और बहुत सुन्दर थी। युवक ने आज तक कभी इतनी सुन्दर लड़की नहीं देखी थी।

बंजारन युवक को बड़ी देर से देख रही थी। उसने अपने जीवन में इतना हृष्ट-पुष्ट और सुन्दर युवक कभी नहीं देखा था। बंजारन युवक के पास पानी लेने आई थी, लेकिन वह उस पर इतनी मुग्ध हो गई कि पानी माँगना भूल गई थी और उसे एकटक देखे जा रही थी।

युवक ने बंजारन को अपनी ओर प्यार भरी नजरों से एकटक घूरते हुए देखा तो घबरा गया। उसके हाथ से रस्सी छूट गई और बाल्टी सहित कुएँ में जा गिरी।

बंजारन ने युवक की यह स्थिति देखी तो खिलखिलाकर हँस पड़ी। उसने युवक से कोई बात नहीं की और दौड़ती हुई अपने डेरे में आ गई। उसने डेरे से एक पतली रस्सी और काँटा उठाया और युवक के पास वापस आ गई।

युवक अब अपने पर पूरी तरह नियन्त्रण कर चुका था। वह मुस्करा रहा था और बंजारन को बड़े प्यार से देख रहा था।
बंजारन ने काँटा कुएँ के भीतर डाला और कुछ ही क्षणों में रस्सी और बाल्टी बाहर निकाल दी।
युवक बंजारन की आँखों की भाषा समझ चुका था। उसने बंजारन का घड़ा भरा और बिना कोई बात किए रस्सी-बाल्टी लेकर अपने घर आ गया।

युवक को रातभर नींद नहीं आई। वह सारी रात आँखें बन्द किए बंजारन के बारे में सोचता रहा। बंजारन बहुत सुन्दर थी। long story in hindi

अगले दिन प्रातःकाल युवक पुनः जमींदार के खेतों में पानी देने के लिए कुएँ पर आ पहुँचा। उसकी आँखें अलसाई हुई थीं और आज उनमें पहले जैसी ताजगी नहीं थी।

युवक ने कुएँ पर पहुँचकर अभी एक बाल्टी पानी भरा था कि बंजारन पुनः आ गई। ऐसा लगता था कि वह अपने डेरे के पास खड़ी उसी की राह देख रही थी।
दोनों ने एक-दूसरे को देखा और आँखों ही आँखों में बहुत-सी बातें हो गईं।
युवक के मन की बात जानने के बाद बंजारन उसे अपने डेरे में ले आई और उसे अपने बापू से मिलाया।

बंजारन का बापू बहुत लालची आदमी था। उसे जब यह मालूम हुआ कि युवक एक गरीब किसान है, तो उसने उसके साथ बंजारन का विवाह करने से साफ मना कर दिया। लेकिन बंजारन की माँ के बहुत समझाने पर वह इस शर्त पर अपनी बेटी का विवाह करने के लिए तैयार हुआ कि ग्रामीण युवक उसे पाँच सौ चाँदी के सिक्के लाकर देगा। motivational long story in hindi

बंजारन के बापू ने युवक से साफ-साफ कह दिया कि पाँच माह बाद नवदुर्गा की अष्टमी के दिन कामाख्या मन्दिर में वह बकरे की बलि चढ़ाएगा। इस दिन तक यदि उसे चाँदी के सिक्के मिल जाएँगे तो वह कामाख्या मन्दिर में ही अपनी बेटी का विवाह कर देगा और यदि युवक चाँदी के सिक्के नहीं ला सका तो वह अपनी बेटी किसी और को सौंप देगा।

युवक ने बंजारन के बापू की शर्त मान ली। वह शरीर से हृष्ट-पुष्ट और मजबूत होने के साथ ही बड़ा साहसी भी था। उसे विश्वास था कि वह किसी तरह मेहनत-मजदूरी करके चाँदी के पाँच सौ सिक्के इकट्ठे कर लेगा। long story in hindi

बंजारे तीन दिन गाँव में रुककर चले गए। उनके साथ बंजारन भी चली गई। ग्रामीण युवक अपनी बंजारन को जाते हुए देखता रहा। बंजारन भी उसे बार-बार मुड़-मुड़कर देख रही थी।

बंजारन के जाने के बाद युवक अपने घर आ गया। उसे पाँच महीने में पाँच सौ चाँदी के सिक्के कमाने थे। युवक ने बहुत सोच-विचार किया। इतना धन उसे केवल जमींदार ही दे सकता था।

अगले दिन युवक जमींदार की हवेली पहुँचा और उसने जमींदार को अपनी समस्या बताई। जमींदार ने उसकी बात बड़े ध्यान से सुनी। वह युवक को सौ सिक्के प्रतिमाह इस शर्त पर देने के लिए तैयार हो गया कि वह दिन-रात जमींदार का काम करेगा और सभी तरह के काम करेगा।

युवक ने जमींदार की बात मान ली और जमींदार की सेवा में लग गया | युवक बहुत मेहनती था | वह दिनभर जमींदार के खेतों में काम करता और रात को जमींदार की हवेली में आ जाता। और जमींदार उसे जो भी काम देता, वह करता। दिन-रात मेहनत करने के बाद युवक बीमार भी पड़ा, किन्तु उसने बीमारी में भी जमींदार के सभी कार्य किए।

धीरे-धीरे एक महीना हो गया।

युवक अपने चाँदी के सौ सिक्के लेने जमींदार के पास पहुँचा, लेकिन जमींदार ने चौँदी के सिक्के देने से इनकार कर दिया। उसने युवक से साफ कह दिया कि उसकी इस तरह की कोई बात उसके साथ नहीं हुई थी। long story in hindi

युवक को क्रोध आ गया। उसने जमींदार को बहुत बुरा-भल्ना कहा और उसे उठाकर पत्थर की एक चट्टान पर पटक दिया । इससे जमींदार का सिर फट गया और वह मर गया।

इसी समय जमींदार के घरवाले और उसके नौकर-चाकर आ गए। लेकिन इसके पहले कि वह युवक को पकड़ पाते, वह भाग निकला। जमींदार के नौकरों ने उसका पीछा किया, किन्तु वे युवक को पकड़ नहीं सके और खाली हाथ वापस आ गए। motivational long story in hindi

युवक भागता रहा, भागता रहा और भागते-भागते बंगाल आ पहुँचा । यह एक नया स्थान था। युवक को लगा कि वह यहाँ सरलता से चाँदी के पाँच सौ सिक्के कमा लेगा और अपनी बंजारन को ले आएगा और यहीं बस जाएगा। उसके लिए अब गाँव वापस लौटना खतरे से खाली नहीं था।

युवक को काम की खोज करते-करते तीन दिन हो गए। लेकिन उसे कहीं कोई काम नहीं मिला। इस बीच उसने कुछ भी खाया-पिया नहीं था, अतः भूख से उसकी हालत खराब हो रही थी।

चौथे दिन प्रातः युवक एक बगीचे में बैठा हुआ कुछ सोच रहा था। इसी समय उसके पास एक सुन्दर युवती आकर खड़ी हो गई और उसे देखकर मुस्कराने लगी। long motivational story in hindi

युवक को लगा कि वह स्त्री उसकी कुछ सहायता करना चाहती है। उसने उसे अपने पास बैठाया और सारी बातें बता दीं। long story in hindi

सुन्दर स्त्री ने युवक की बातें बड़े ध्यान से सुनीं। उसने उसे सभी प्रकार से सहायता करने का विश्वास दिलाया और अपने महल में ले आई। सुन्दर स्त्री का महल बड़ा आलीशान था।
सुन्दर स्त्री ने युवक को भोजन कराया और आराम करने के लिए एक शानदार बिस्तर दिया।
युवक बहुत थका था। अतः भोजन करने के बाद उसे नींद आ गई।

युवक कब तक सोता रहा, इसका उसे पता ही नहीं चला, लेकिन जब उसकी आँख खुली तो आधी रात हो चुकी थी। चन्द्रमा का हल्का प्रकाश एक खिड़की से कमरे के भीतर आ रहा था।
युवक उठकर खड़ा हो गया। उसने इधर-उधर देखा। सुन्दर स्त्री का कहीं पता नहीं था। युवक को बड़ा आश्चर्य हुआ। motivational long story in hindi

अचानक युवक के कानों से सुन्दर स्त्री के गाने की आवाज टकराई । इस आवाज में गजब का आकर्षण था। युवक को ऐसा लगा कि मस्ती भरा गीत गाकर वह उसे बुला रही है।

युवक अपने पर नियन्त्रण नहीं रख सका और आवाज की ओर बढ़ा। कुछ कदम चलने के बाद युवक ने देखा कि भरपूर श्रृंगार किए सुन्दर स्त्री आईने के सामने खड़ी अपना रूप निहार रही है।

सुन्दर स्त्री ने आईने में युवक को देख लिया। वह उसकी ओर मुस्कराते हुए बढ़ी और उससे लिपट गई तथा उसे अपने पलंग पर ले आई।

युवक की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। फिर भी वह यह तो समझ ही गया था कि सुन्दर युवती उससे क्‍या चाहती है। motivational long story in hindi

इसी समय सुन्दर युवती ने उससे कहा कि यदि वह उसका साथ दे तो वह उसे अगले दिन ही चाँदी के पाँच सौ सिक्के देगी।

युवक के हृदय में बंजारन बसी थी। वह किसी स्त्री के साथ सोना नहीं चाहता था। लेकिन अपनी बंजारन को पाने के लिए उसने सुन्दर युवती की बात मान ली। long story in hindi

अगले दिन फिर यही हुआ। युवक दिन भर सोया और आधी रात के बाद उठा। उसे सुन्दर युवती सोलह श्रृंगार किए प्रतीक्षा करती मिली। उसने उससे कहा कि बस वह एक रात का सुख उसे और दे दे। इसके बाद वह उसे चाँदी के पाँच सौ सिक्‍के दे देगी।

धीरे-धीरे चार महीने हो गए। सुन्दर स्त्री युवक को रोज आधी रात के बाद छलती और उससे अगले दिन चाँदी के पाँच सौ सिक्के देने का झूठा वादा कर देती।

युवक के लिए अब और प्रतीक्षा करना कठिन हो रहा था। एक रात उसने सुन्दर स्त्री का साथ देने से मना कर दिया। सुन्दर युवती ने उसे बहुत समझाया। उसके समझाने का जब युवक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो उसने तरह-तरह की धमकियाँ दीं । जब धमकियों का भी युवक पर असर नहीं हुआ तो वह क्रोध में आ गई और उसने रौद्र रूप धारण कर लिया। long story in hindi

वास्तव में सुन्दर युवती एक जादूगरनी थी। उसे जब लगा कि युवक उसकी बात किसी कीमत पर नहीं मानेगा तो उसने अपनी जादुई शक्ति से उसे एक फूल बना दिया और अपने बगीचे के तालाब में लगा दिया।

इधर बंजारन ने युवक की पाँच माह तक प्रतीक्षा की, लेकिन जब युवक नहीं आया तो वह उसकी खोज में निकल पड़ी।

एक दिन अचानक बंजारन जादूगरनी के महल में आ पहुँची | प्रातःकाल का समय था। जादूगरनी अलसाई-सी महल के एक कमरे से बाहर देख रही थी। उसने एक बंजारन को अपने महल के सामने देखा तो उसे शक हुआ कि कहीं यह वही बंजारन तो नहीं है?long story in hindi

बंजारन को देखते-देखते जादूगरनी के मन में यह विचार आया कि बंजारन को बहला-फुसलाकर महल में रोक लिया जाए और उसकी सहायता से युवक के साथ मनमानी की जाए।

यह विचार आते ही जादूगरनी महल के द्वार पर आई और बंजारन को महल के भीतर ले गई। उसने बंजारन को युवक की पूरी कहानी बताई। motivational long story in hindi

उसने बंजारन को यह भी विश्वास दिलाया कि वह आज की रात ही उसे उसके प्रेमी से मिलवा देगी। लेकिन उसने उसे यह नहीं बताया कि उसने युवक को कमल का फूल बनाकर बगीचे के तालाब में लगा दिया है। long motivational story in hindi

बंजारन खुश हो गई। उसे लगा कि सामने खड़ी स्त्री एक देवी है और वह उसकी इच्छा अवश्य पूरी कर देगी। long motivational story in hindi

जादूगरनी ने बंजारन से दिनभर अच्छी-अच्छी बातें कीं और उसके प्रेमी युवक की बहुत प्रशंसा की। उसे जब लगा कि बंजारन उसके जाल में पूरी तरह फँस चुकी है तो उसने बंजारन से कहा कि वह भी उस युवक को बहुत प्यार करती है, अतः दोनों को उसका प्यार बराबर-बराबर मिलना चाहिए।

बंजारन को जादूगरनी से ऐसी आशा नहीं थी। वह सब कुछ बाँट सकती थी, लेकिन अपना प्यार नहीं बाँट सकती थी। वह अपना प्यार पाने के लिए ही अपना घर-बार छोड़कर आई थी।

जादूगरनी ने बंजारन को समझाने का बहुत प्रयास किया, किन्तु बंजारन नहीं मानी और भड़क उठी।
जादूगरनी को भी क्रोध आ गया। उसने अपने जादू से बंजारन को एक कीड़ा बना दिया।

बंजारन को सब समझते देर नहीं लगी। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। फिर भी वह खिड़की के रास्ते महल के बाहर आ गई।long story in hindi

इसी समय कीड़ा बनी बंजारन के कानों से उसके प्रेमी युवक की आवाज टकराई। यह आवाज उसे अपने पास बुला रही थी। बंजारन ने इधर-उधर देखा। यह आवाज महल के तालाब में खिल रहे एक कमल से आ रही थी।

बंजारन की समझ में सब आ गया। जादूगरनी ने उसके प्रेमी को कमल बना दिया था। वह तेजी से कमल के पास पहुँची और उसमें समा गई। इसी समय खिला हुआ कमल बन्द हो गया।

जादूगरनी बहुत क्रोध में थी। वह कीड़ा बनी बंजारन को ढूँढ़ते-दूँढ़ते बगीचे के तालाब तक आ गई, लेकिन उसे वह नहीं मिली।

इसी समय कमल मुरझाया और अपने भीतर कीड़ा बनी बंजारन को लिए हुए पानी में समा गया।

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एक फैसला (long story in hindi) :-

कई वर्ष पहले, एक घने जंगल में चार चोर रहते थे। चुराया हुआ धन वे एक साधारण से बर्तन में रखते थे लेकिन उसकी हिफाजत जान से भी ज्यादा करते थे। कुछ अरसे बाद उनका मन चोरी – चकारी से ऊब गया। motivational long story in hindi

“मै तो ऐसी जिंदगी से तंग आ गया हूँ। हमे हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता है, वरना हम पकड़े भी जा सकते हैं।” एक ने अपना दुखड़ा रोया।

“हाँ, मै भी चाहता हूँ कि हम लोग एक शांत – सच्ची जिंदगी जिएं!” दुसरे चोर ने हाँ में हाँ मिलाई।

“बहुत अच्छा!” हम जंगल छोड़कर किसी ऐसे शहर चलते हैं, जहाँ हमे कोई जानता न हो। शायद कोई साफ़ – सुथरा काम – धंधा ही हाथ लग जाए,” तीसरा बोला।

तीन चोरों को तो यह सुझाव पसंद आया और उन्होंने तय कर लिया कि वे जंगल छोड़ देंगे। लेकिन चौथे चोर को अपनी जीविका के लिए कोई खरा धंधा करने की योजना पसंद नही आई।

उस समय तो वह चुप रहा लेकिन उसने बर्तन में रखे पैसे चुराकर भाग जाने का इरादा कर लिया। वह सही मौके का इन्तजार करने लगा। long story in hindi

चारों चोर एक शहर पहुंचे और वहां एक धर्मशाला ‘छत्रम्’ में रुक गए। उनमें से दो शहर के बारे कुछ जानकारी हासिल करने निकल पड़े। long motivational story in hindi

जल्दी ही उन्होंने एक वृद्ध औरत का घर देखा, जो आरामदेह तो लगता ही था, उनके लिए ठीक भी था। दोनों ने छत्रम् लौटकर अपने साथियों से वृद्धा के घर जाकर जिक्र किया। वे भी सहमत हो गए और चारों चोर उस घर के लिए निकल पड़े। motivational long story in hindi

“हम चारों व्यापारी हैं,” एक चोर बोला, “और इस शहर में कुछ काम – धंधा शुरू करना चाहते हैं। हमे आपका घर पसंद आया और इसके कुछ कमरे किराए पर लेना चाहते हैं।”

“हम जब तक यहाँ रहेंगे, आपको अच्छा किराया देते रहेंगे,” दूसरा बोला। बुढ़िया बहुत खुश थी और उसने अपने मेहमानों की खूब खातिरदारी की। “आप यहाँ जब तक चाहें रह सकते हैं,” वह मुस्कराई। वह प्रसन्न हुई कि उसे अच्छे किराएदार मिल गए हैं। long story in hindi

चारों चोर पता लगा चुके थे कि वह बहुत नेक और सच्ची औरत है, जिसे पराई दौलत का लालच नही है। इसलिए उन्होंने अपना पैसों ने भरा बर्तन बुढ़िया को संभालने के लिए दे दिया।

“कृपया इस बर्तन को ध्यान से रखिएगा। एक ही शर्त है : इसे देना तभी जब हम चारों साथ में इसे मांगने आएं।” motivational long story in hindi

“ठीक है!” बुढ़िया ने बर्तन लेते हुए कहा।

वह अपने घर के पिछवाड़े गई और देखने लगी कि कोई देख तो नही रहा। जब उसे तसल्ली हो गई तो उसने जमीन खोदकर उसमें बर्तन डाला और उसे वापस मिटटी से ढक दिया।

चारों ओर कुछ काम – धंधे की तलाश में शहर चले गए। जल्दी ही वे काफी थक गए और बुढ़िया के घर से कुछ ही दूरी पर खड़े वटवृक्ष के नीचे बैठकर सुस्ताने लगे। long story in hindi

तभी एक औरत लस्सी बेचती हुई वहां से निकली। चारों ने थोड़ी लस्सी खरीदने का निश्चय किया। लस्सी बहुत स्वादिष्ट थी। उन्होंने सोचा कि दोपहर के भोजन के साथ पीने के लिए थोड़ी लस्सी भी ले ली जाए।

पर तीन चोर तो बहुत थक गए थे। लस्सी डालने के लिए बुढ़िया के घर से बर्तन लाने की हिम्मत किसी में नही थी। चौथा चोर, जो किसी ऐसी ही घड़ी की प्रतीक्षा में था, झट से जाने के लिए तैयार हो गया।

वह बुढ़िया के घर पहुंचकर बोला, “मुझे मेरे साथियोंं ने बर्तन लाने के लिए भेजा है।”

“लेकिन मै तो यह बर्तन तभी दूँगी, जब तुम चारों इकट्ठे आओगे,” वह मना करती हुई बोली।

उस चोर के दिमाग में एक विचार आया।

“मेरे साथी यहाँ से कुछ ही दूर केले के पेड़ तले बैठे हैं। आप खुद ही पूछ ले,” उसने राय दी।

बुढ़िया घर से बाहर निकली। उसने तीनों को पेड़ के नीचे बैठे हुए देखा। “क्या आपने अपने दोस्त को बर्तन लाने भेजा है?” वह चिल्लाई। motivational long story in hindi

“जी! कृपया उसे दे दीजिये!” तीनों चोरों ने जवाब दिया।

बुढ़िया ने सोचा कि उन्हें अपना बर्तन किसी कार्य हेतु चाहिए होगा, जो उन्होंने अपना विश्वसनीय साथी भेजा है। उस चोर को फावड़ा देती हुई वह बोली कि पिछवाड़े से खोदकर बर्तन निकाल ले। इतना कहकर वह अपने घर के कामों में उलझ गई। long story in hindi

चोर ने बर्तन निकाला और चुपके – से पिछले दरवाजे भाग खड़ा हुआ। इस बीच उसके दोस्त चिंतित हो रहे थे। काफी वक्त बीत चूका था और उनके साथी का कुछ पता नही था। तीनों बुढ़िया के घर गए।

“हमने अपना साथी एक बर्तन लाने भेजा था। वह कहाँ है?” उन्होंने पुछा। “मैंने तो बहुत पहले ही उसे बर्तन खोदने के लिए कुदाली दी थी। उसने आपको बर्तन नही दिया?” बुढ़िया हैरान थी।

तीनों चोर समझ गए कि उनके साथी ने उन्हें धोका दिया है।

“हमने आपको कहा था कि बर्तन तभी देना जब हम चारों आपके पास आएं। आपने हमारी बात नही मानी। हमे लगता कि हमारे साथी ने आपके साथ मिलकर हमारा पैसा हथियाने का षडयंत्र रचा है!” वे बोले।

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बुढ़िया बहुत दुखी हुई।

वे तीनों उसे शहर के न्यायाधीश के पास ले गए और उसकी शिकायत की। न्यायाधीश ने फैसला दिया कि बुढ़िया की लापरवाही की वजह से तीनों को नुक्सान हुआ है, इसलिए सारा हर्जाना बुढ़िया को ही भरना होगा। बुढ़िया रोती हुई घर लौट आई।

इस बीच राजा और उसका मंत्री वेश बदलकर अपनी प्रजा की परेशानियां जानने शहर के दौरे पर थे। इस बात का किसी को भी पता नही था। बुढ़िया को देखकर वे रुक गए और उसके रोने का कारण पूछने लगे। long story in hindi

उसी समय आसपास ही कुछ लड़के खेल रहे थे और उनका अगुआ था रामन। बुढ़िया की दुखभरी कहानी उसने भी सुनी।

“भगवान करे, उन तीनों को तुम्हारे साथ ऐसा सुलूक करने की सजा मिले,” रामन बोला।

यह सुनकर राजा और उसका मंत्री बहुत हैरान हुए। उन्होंने रामन से पुछा कि क्या वह इस मामले का फैसला कर सकता है? motivational long story in hindi

रामन ने आत्मविश्वास के साथ सिर हिलाया और कहा कि वह अपना फैसला राजा के दरबार में ही सुनाएगा।

अगले दिन महल में दरबार लगा। रामन न्यायाधीश के आसन पर बैठा था। उसने चोरों की कहानी सुनी।

“तुम्हारी शर्त यही थी न कि बुढ़िया वह बर्तन तुम्हे तभी दे, जब तुम चारों उसे लेने आओ?” रामन के प्रश्न पर तीनों ने हामी भर दी। long motivational story in hindi

“बहुत अच्छा! वह शर्त पूरी करने के लिए तैयार है। पर यहाँ तो तुम सिर्फ तीन हो। जाओ, अपना चौथा साथी लेकर आओ जिससे शर्त पूरी की जा सके!” रामन ने आदेश दिया।

“शाबाश! क्या फैसला दिया है!” राजा ने रामन की भूरि – भूरि प्रशंसा की। “तुम छोटे हो, पर हो समझदार! आज से तुम ‘मर्यादा रामन’ के नाम से जाने जाओगे और हमारे दरबार में ऐसे मुकदमों के फैसले किया करोगे।” long story in hindi

चतुरता :-

एक ग़रीब आदमी था। एक दिन वह राजा के पास गया और बोला- ‘महाराज, मैं आपसे कर्ज़ मांगने आया हूं। कृपा कर आप मुझे पांच हजार रुपये दें। मैं पांच वर्ष के अंदर आपके रुपये वापस कर दूंगा।’ राजा ने उसकी बात पर विश्‍वास कर उसे पांच हजार रुपये दे दिए। motivational long story in hindi

पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी जब उस व्‍यक्ति ने राजा के पांच हजार रुपये नहीं लौटाये तब राजा को मजबूरन उसके घर जाना पड़ा। लेकिन वहां वह व्‍यक्ति नहीं मिला। जब भी राजा वहां जाता बहाना बना कर उसे वापस भेज दिया जाता। एक दिन फिर राजा उस व्‍यक्ति के घर गया। वहां और कोई तो नहीं दिखा, एक छोटी लड़की बैठी थी। राजा ने उसी से पूछा- ‘तुम्‍हारे पिता जी कहा हैं ?’

लड़की बोली- ‘पि‍ताजी स्‍वर्ग का पानी रोकने गये हैं।’

राजा ने फिर पूछा- ‘तुम्‍हारा भाई कहां है ?’

लड़की बोली- ‘बिना झगड़ा के झगड़ा करने गये हैं।’

राजा के समझ में एक भी बात नहीं आ रही थी। इसलिए वह फिर पूछता है- ‘तुम्‍हारी माँ कहां है ?’

लड़की बोली- ‘मां एक से दो करने गई है।’

राजा उसके इन ऊल-जुलूल जवाब से खीझ गया। वह गुस्‍से में पूछता है- ‘और तुम यहां बैठी क्‍या कर रही हो ?’

लड़की हंसकर बोली- ‘मैं घर बैठी संसार देख रही हूं।’

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राजा समझ गया कि लड़की उसकी किसी भी बात का सीधा जवाब नहीं देगी। इसलिए उसे अब इससे इन बातों का मतलब जानने के लिए प्‍यार से बतियाना पड़ेगा। राजा ने चेहरे पर प्‍यार से मुस्‍कान लाकर पूछा- ‘बेटी, तुमने जो अभी-अभी मेरे सवालों के जवाब दिये, उनका मतलब क्‍या है ? मैं तुम्‍हारी एक भी बात का मतलब नहीं समझ सका। तुम मुझे सीधे-सीधे उनका मतलब समझाओ।’

लड़की ने भी मुस्‍करा कर पूछा – ‘अगर मैं सभी बातों का मतलब समझा दूं तो आप मुझे क्‍या देंगे ?’
राजा के मन में सारी बातों को जानने की तीव्र उत्‍कंठा थी। वह बोला- ‘जो मांगोगी, वही दूंगा।’
तब लड़की बोली- ‘आप मेरे पिताजी का सारा कर्ज माफ कर देंगे तो मैं आपको सारी बातों का अर्थ बता दूंगी।’
राजा ने कहा- ‘ठीक है, मैं तुम्‍हारे पिताजी का सारा कर्ज माफ कर दूंगा। अब तो सारी बातों का अर्थ समझा दो।’
लड़की बोली- ‘महाराज, आज मैं आपको सारी बातों का अर्थ नहीं समझा सकती। कृपा कर आप कल आयें। कल मैं ज़रूर बता दूंगी।’ long story in hindi

राजा अगले दिन फिर उस व्‍यक्ति के घर गया। आज वहां सभी लोग मौजूद थे। वह आदमी, उसकी पत्‍नी, बेटा और उसकी बेटी भी। राजा को देखते ही लड़की पूछी- ‘महाराज, आपको अपना वचन याद है ना ? ‘

राजा बोला- ‘हां मुझे याद है। तुम अगर सारी बातों का अर्थ बता दो तो मैं तुम्‍हारे पिताजी का सारा कर्ज माफ कर दूंगा।’ motivational long story in hindi

लड़की बोली- ‘सबसे पहले मैंने यह कहा था कि पिताजी स्‍वर्ग का पानी रोकने गये हैं, इसका मतलब था कि वर्षा हो रही थी और हमारे घर की छत से पानी टपक रहा था। पिताजी पानी रोकने के लिए छत को छा (बना) रहे थे। यानि वर्षा का पानी आसमान से ही गिरता है और हमलोग तो यही मानते हैं कि आसमान में ही स्‍वर्ग है। long story in hindi

बस, पहली बात का अर्थ यही है। दूसरी बात मैंने कही थी कि भैया बिना झगडा़ के झगड़ा करने गये है। इसका मतलब था कि वे रेंगनी के कांटे को काटने गये थे। अगर कोई भी रेंगनी के कांटे को काटेगा तो उसके शरीर में जहां-तहां कांटा गड़ ही जायेगा, यानि झगड़ा नहीं करने पर भी झगड़ा होगा और शरीर पर खरोंचें आयेंगी। ‘ motivational long story in hindi

राजा उसकी बातों से सहमत हो गया। वह मन-ही-मन उसकी चतुराई की प्रशंसा करने लगा। उसने उत्‍सुकता के साथ पूछा- ‘और तीसरी-चौथी बात का मतलब बेटी ? ‘

लड़की बोली- ‘महाराज, तीसरी बात मैंने कही थी कि माँ एक से दो करने गई है। इसका मतलब था कि माँ अरहर दाल को पीसने यानि उसे एक का दो करने गई है। अगर साबुत दाल को पीसा जाय तो एक दाना का दो भाग हो जाता है।

यानि यही था एक का दो करना। रही चौथी बात तो उस समय मैं भात बना रही थी और उसमे से एक चावल निकाल कर देख रही थी कि भात पूरी तरह पका है कि न‍ही। इसका मतलब है कि मैं एक चावल देखकर ही जान जाती कि पूरा चावल पका है कि नहीं । अर्थात् चावल के संसार को मैं घर बैठी देख रही थी।’ यह कहकर लड़की चुप हो गई। motivational long story in hindi

राजा सारी बातों का अर्थ जान चुका था। उसे लड़की की बुद्धिमानी भरी बातों ने आश्‍चर्य में डाल दिया था। फिर राजा ने कहा- ‘बेटी, तुम तो बहुत चतुर हो। पर एक बात समझ में नही आई कि यह सारी बातें तो तुम मुझे कल भी बता सकती थी, फिर तुमने मुझे आज क्‍यों बुलाया ?’

लड़की हंसकर बोली- ‘ मैं तो बता ही चुकी हूं कि कल जब आप आये थे तो मैं भात बना रही थी। अगर मैं आपको अपनी बातों का मतलब समझाने लगती तो भात गीला हो जाता या जल जाता, तो माँ मुझे ज़रूर पीटती। फिर घर में कल कोई भी नही था।

अगर मैं इनको बताती कि आपने कर्ज़ माफ कर दिया है तो ये मेरी बात का विश्‍वास नहीं करते। आज स्‍वयं आपके मुंह से सुनकर कि आपने कर्ज़ माफ कर दिया है, जहां इन्‍हें इसका विश्‍वास हो जायेगा, वहीं खुशी भी होगी। ‘ motivational long story in hindi

राजा लड़की की बात सुनकर बहुत ही प्रसन्‍न हुआ। उसने अपने गले से मोतियों की माला निकाल उसे देते हुए कहा- ‘बेटी, यह लो अपनी चतुराई का पुरस्‍कार! तुम्‍हारे पिताजी का कर्ज़ तो मैं माफ कर ही चुका हूं। अब तुम्‍हें या तुम्‍हारे घरवालों को मुझसे बहाना नहीं बनाना पड़ेगा। अब तुम लोग निश्चिंत होकर रहो। अगर फिर कभी किसी चीज की ज़रूरत हो तो बेझिझक होकर मुझसे कहना।’

इतना कहकर राजा लड़की को आशीर्वाद देकर चला गया। लड़की के परिवारवालों ने उसे खुशी से गले लगा लिया।

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