सामी-हामी भाषा परिवार (Semitic-Hamitic languages) – सम्पूर्ण जानकारी

सामी-हामी भाषा परिवार (Semitic-Hamitic languages) :-

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सामी-हामी भाषा परिवार [Semitic-Hamitic languages] :-

भाषा विज्ञान और वर्गीकरण के कारण :-

विश्व के प्रमुख भाषा कुलों के भाषाभाषियों की संख्या का पाई-चार्ट आपस में सम्बंधित भाषाओं को भाषा-परिवार कहते हैं। कौन भाषाएँ किस परिवार में आती हैं, इनके लिये वैज्ञानिक आधार हैं, और लगभग इसी वैज्ञानिक आधार पर ही विस्व के सभी भाषाओं का वर्गीकरण किया गया हैं। यह मुख्य रूप से दो प्रकारके हैं :-

इस समय संसार की भाषाओं की तीन मुख्य अवस्थाएँ हैं।

 विभिन्न देशों की प्राचीन भाषाएँ जिनका अध्ययन और वर्गीकरण पर्याप्त सामग्री के अभाव में नहीं हो सका है, पहली अवस्था में है। इनका अस्तित्व इनमें उपलब्ध प्राचीन शिलालेखो, सिक्कों और हस्तलिखित पुस्तकों में अभी सुरक्षित है। मेसोपोटेमिया की पुरानी भाषा ‘सुमेरीय’ तथा इटली की प्राचीन भाषा ‘एत्रस्कन’ इसी तरह की भाषाएँ हैं।

दूसरी अवस्था में ऐसी आधुनिक भाषाएँ हैं, जिनका सम्यक् शोध के अभाव में अध्ययन और विभाजन प्रचुर सामग्री के होते हुए भी नहीं हो सका है। बास्क, बुशमन, जापानी, कोरियाई, अंडमानी आदि भाषाएँ इसी अवस्था में हैं। तीसरी अवस्था की भाषाओं में पर्याप्त सामग्री है और उनका अध्ययन एवं वर्गीकरण हो चुका है। ग्रीक, अरबी, फारसी, संस्कृत, अंग्रेजी आदि अनेक विकसित एवं समृद्ध भाषाएँ इसके अन्तर्गत हैं।

हिन्द-यूरोपीय भाषाओँ (जैसे कि हिन्दी) और सामी भाषाओं में एक बड़ा अंतर यह है कि हिन्द-यूरोपीय भाषाओं में ज़्यादातर हर शब्द की एक जड़ होती है जिसके आगे-पीछे अक्षर जोड़कर उसका अर्थ परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए ‘लिख’ जड़ में अक्षर जोड़कर ‘लिखाई’, ‘लिखो’, ‘लिखना’, ‘लिखा’, इत्यादि बनते हैं।

सामी भाषा (ओं) में जड़े आम तौर पर तीन व्यंजनों का समूह होती हैं जिनके बीच में स्वर भरकर उनका अर्थ परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए अरबी में: किताब (पुस्तक), कुतुब (पुस्तकें), कातिब (लेखक), कुत्ताब (कई लेखक), कतबा (उसने लिखा), याकतुबू (वह लिखता है)।

सामी-हामी भाषा परिवार (Semitic-Hamitic languages) :-

सामी भाषा और हामी भाषा परिवार में सामी भाषा और हामी भाषा परिवार दोनो अंतर्गत हैं। कई विद्वान इन दोनो भाषा शाखाओं को एक ही भाषा परिवार सामी भाषा और हामी भाषा परिवार के अंतर्गत मानते हैं, तो कई विद्वान इन्हे दो अलग अलग भाषा परिवार मानते हैं, पर  ज्यादा दोनो भाषाओं के शाखाओं को एक ही परिवार के अंतर्गत के मानने के सपक्ष में हैं।

वस्तुतः जैसा कि हम आगें देखेंगे दोनों में कुछ समानताएँ होती हैं, जिनके आधार पर यह अनुमान लगता है कि प्राचीन काल में कभी-कभी ये दोनो परिवार की दो शाखाएँ रही होंगी।

सामी-हामी भाषा परिवार
सामी-हामी भाषा परिवार

यह परिवार उत्तरी अफ्रीका तथा पास के पश्चिमी एशिया में फैला है। इंजील की पौराणिक कथा के अनुसार हजरत नूह के पुत्र सेम और हेम इन क्षेत्रों की भाषाओं के आदि पुरूष कहे जाते हैं। अतः उन्हीं के नाम पर इन दोनों शाखाओं के नाम पड़े हैं। जहां सेमेटिक भाषाओं के क्षेत्र- मिस्र, ईराक, अरख, सीरिया, फिलिस्तीन, इथियोपिया, मोरक्को, अलजीरिया तो वहीं हैमेटिक भाषाओं के क्षेत्र -लीविया, सोनालीलैंड, इथियोपिया आदि में मुख्य रूप से पाए जाते हैं।

जहां सेमेटिक भाषा शाखाओं में मुख्य भाषाएँ – हिब्रू, अरवी, अकादियन (इसे असीरियन या बेविलोनियन भी कहते हैं), सुमेरियन तो वहीं हेमैटिक भाषा शाखा में मुख्य भाषाओं में प्राचीन मिसी काप्टिक, सोमाली, गल्ला, वेजा, नामा, फुला आदि शामिल हैं।

सामी भाषा परिवार की भाषाएँ दक्षिण-पश्चिमी एशिया में फैली हुई हैं। हामी भाषा अफ्रीका के लीबिया, सोमालीलैंड और इथियोपिया प्रदेशों में फैली हुई है। इस भाषा के बोलने वाले अफ्रीका के दक्षिणी और मध्य भाग में भी फैले हुए हैं।प्राचीन मिस्री भाषा में 3 हज़ार वर्ष पुराना साहित्य और प्राचीन अभिलेख मिलते हैं। प्राचीन मिस्री ने सामी भाषा और हामी भाषा के बीच पुल का काम किया है।

इन सभी भाषाओं में अरबी भाषा सभी दृष्टियों से बहुत सम्पन्न रही है तथा उसने शब्दों के क्षेत्र में यूरोप और एशिया  की भाषाओं (अंग्रेजी, स्पैनिश, फ्रेंच, हिंदी, मराठी, गुजराती आदि) को प्रभावित किया। फारसी, तुर्की आदि को तो व्याकरणिक दृष्टि से प्रभावित है।

उपर एक तरह से दोनो भाषा परिवारों के लगभग पृष्ठभूमि के बारे में आलोचना करने के बाद क्योंकि इन दोनो भाषाओं के बीच समानताएँ अधिक दिखलाई पड़ती है, इसीलिए इसे एक परिवार में रखा जाता है।

नीचे दोनो भाषाओं के बारे कुछ अधिक विस्तार से आलोचना किया गया हैं :

सेमेटिक भाषाएं (Semitic languages) :-

उत्तरी यूरोप में सामी लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं के लिए, देखें सामी भाषा (एँ) (यूरोप) प्राचीन काल की प्राचीन भाषाओं का विस्तार सामी भाषाएँ या सेमेटिक भाषाएँ 27 मिलियन से ज़्यादा लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं का एक भाषा परिवार है, जो सामी भाषा -हामी भाषा-परिवार की ही एक उप-शाखा है। ये भाषाएँ मध्य पूर्व, उत्तरी अफ़्रीका और हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका के क्षेत्रों में बोली जाती हैं।

सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा अरबी है, जिसे 200 मिलियन से ज़्यादा लोग अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। इसके अलावा, अम्हारिक (2.7 मिलियन), टिग्रीना (67 मिलियन), हिब्रू (50 मिलियन) और अरामी (22 मिलियन) कुछ ज़्यादा लोकप्रिय सामी भाषाएँ हैं।

सेमेटिक भाषाओं को सन् ३००० ईसापूर्व में सुमेर सभ्यता द्वारा विकसित अंकन लिपि (क्यूनीफ़ॉर्म) का प्रयोग एब्लाई और अक्कादी भाषाओँ के लिए आरम्भ हो गया जो सामी भाषाएँ थीं। पश्चिम एशिया में एक बहुत प्रारंभिक ऐतिहासिक तिथि से लिखित रूप में होती हैं। जिसमें पूर्व सेमिटिक अक्कादियन और एब्लाइट ग्रंथ को लें तो यह उस लिपि में लिखी गई जो कि सुमेरियन क्यूनिफॉर्म से लिए गए हैं। सामी भाषाएँ अब इब्रानी, सीरियाई, अरबी और गेएज़ लिपि में लिखी जाती हैं। इनमें अक्सर स्वरों को प्रयोग नहीं किया जाता क्योंकि अधिकतर सामी भाषाओं में अर्थ व्यंजनों से ही आता है।

सेमेटिक भाषाओं को लिखने के लिए उपयोग की जाने वाली अधिकांश लिपियाँ अबजद (abjads) हैं। यह एक प्रकार की वर्णमाला लिपि जो कुछ या सभी स्वरों (vowels) को छोड़ या हटा देती है, जो इन भाषाओं के लिए संभव है क्योंकि सेमेटिक भाषाओं में व्यंजन (consonant) की प्राथमिकता होती है। उदाहरण के लिए फोनीशियन (Phoenician), अरामीक (Aramaic), हिब्रू (Hebrew), सिरिएक (Syriac) एवं अरबी (Arabic) को लिया जा सकता है।

सामी-हामी भाषा परिवार
सामी-हामी भाषा परिवार (Image credit – Pinterest)

सेमेटिक भाषा शाखाओं में से कुछ मुख्य भाषाओंके बारे में नीचे बिबरन दिया गया हैं

अरबी भाषा (Arabic) :-

सामी भाषा (ओं) मैं अरबी भाषा दुनिया की भाषाओं की लीग तालिका में पाँचवें स्थान पर है, दुनिया भर में 200 मिलियन से अधिक मूल अरबी भाषी हैं। यह संयुक्त राष्ट्र की छह भाषाओं में से एक है, कुरान की भाषा है और 22 देशों की आधिकारिक भाषा है।

अरबी भाषा उत्तरी अफ्रीका, अधिकांश अरब प्रायद्वीप और मध्य पूर्व के अन्य हिस्सों सहित एक बड़े क्षेत्र में बोली जाने वाली सेमिटिक भाषा है। अरबी पारंपरिक रूप से अरबी वर्णमाला (या दाएं से बाएं अबजद लिपि) के साथ लिखी जाती है। बोली जाने वाली किस्मों को अक्सर लैटिन में बाएं से दाएं या हिब्रू वर्णों (इज़राइल में) में बिना किसी मानकीकृत शब्दावली के लिखा जाता है।

अरबी भाषा का इतिहास 1,000 साल पहले अरब प्रायद्वीप में पाया जा सकता है। भाषा के बहुत शुरुआती संकेत 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व के हैं। हालाँकि, अरबी भाषा में तीसरी से छठी शताब्दी ई.पू. के दौरान महत्वपूर्ण विकास हुआ। इन वर्षों के दौरान, लिपि में अक्षर और शब्दावली में शब्द जोड़े गए।

आरमेइक भाषा (Aramaic language) :-

सामी भाषा (ओं) मैं आरमेइक (Aramaic language) एक सेमिटिक भाषा है जो मध्यपूर्व और उसके उत्तरी-केन्द्रीय भाग में पिछले 3000 सालों से बोली जा रही है। आरमेइक (भाषा) सेमेटिक अथवा सामी भाषा परिवार के उत्तर पश्चिम भाग की एक प्रसिद्ध भाषा है। यह मूल रूप से फिलस्तीन एवं सीरिया के उन प्रवासियों की भाषा थी और उत्तर में बढ़कर “आरम’ अर्थात्‌ पहाड़ी प्रदेश में जाकर बस गए। आरमेइक की हिब्रू से बहुत अधिक समानता है।

यह कई प्राचीन यहूदी तथा इसाई ग्रंथों की भाषा है और माना जाता है कि ईसा मसीह की मातृभाषा आरामाईक ही थी। यह भाषा मृतप्राय हो गई है। सम्राट अशोक के कई शिलालेखों में अरामाईक लिपि (भाषा नहीं बल्कि केवल लिपि) का प्रयोग हुआ है। आरमेइक (भाषा), सेमेटिक अथवा सामी भाषा परिवार के उत्तर पश्चिम भाग की एक प्रसिद्ध भाषा है। आरमेइक मूल रूप से फिलस्तीन एवं सीरिया के उन प्रवासियों की भाषा थी और उत्तर में बढ़कर “आरम’ अर्थात्‌ पहाड़ी प्रदेश में जाकर बस गए। आरमेइक की हिब्रू से बहुत अधिक समानता है।

आरमेइक के प्राचीनतम अभिलेख ज़र्जीन एवं ज़ेनज़ीरली में प्राप्त कलमू अथवा मिलामूवा के अभिलेख हैं जो ई.पू. नवीं-आठवीं शताब्दी के हैं। आरमेइक लिपि के विकास की विभिन्न अवस्थाओं का पता बाररेकब (ई.पू. आठवीं शताब्दी), तेइमा (ई.पू. पांचवीं-चौथी शताब्दी), मिस्र अथवा ईजिप्ट (ई.पू. पांचवीं-तीसरी शताब्दी), एवं पाप्यरी (ई.पू. पांचवीं शताब्दी) के अभिलेखों से मिलता है। (द्र. आरमेइक लिपि संबंधी चित्र)।

ई.पू. तीसरी शताब्दी तक आरमेइक लिपि का निरंतर प्रयोग होता रहा। इसके पश्चात्‌ यह लिपि विभिन्न शाखाओं में विभाजित हो गई। कालांतर में इस लिपि से अनेक लिपियों का विकास हुआ हैं।

हिब्रू भाषा (Hebrew Language) :-

सामी भाषा (ओं) मैं हिब्रू भाषी क्षेत्र हिब्रू सामी-हामी भाषा-परिवार की सामी शाखा में आने वाली एक भाषा है। ये इस्राइल की मुख्य- और राष्ट्रभाषा है।

यह भाषा उत्तरी मध्य समूह की सेमेटिक भाषा है। यह फोनीशियन और मोआबी से निकटता से संबंधित है। इस भाषा को एक साहित्यिक भाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन इसे 19वीं और 20वीं शताब्दी में बोली जाने वाली भाषा के रूप में पुनर्जीवित किया गया था और यह इज़राइल की आधिकारिक भाषा है।

इसका पुरातन रूप बिब्लिकल हिब्रू यहूदी धर्म की धर्मभाषा है और बाइबिल का पुराना नियम इसी में लिखा गया था। ये हिब्रू लिपि में लिखी जाती है ये दायें से बायें पढ़ी और लिखी जाती है। पश्चिम के विश्वविद्यालयों में आजकल इब्रानी का अध्ययन अपेक्षाकृत लोकप्रिय है। प्रथम महायुद्ध के बाद फिलिस्तीन (यहूदियों का इज़रायल नामक नया राज्य) की राजभाषा आधुनिक इब्रानी है।

हिब्रू भाषा का इतिहास आमतौर पर चार प्रमुख भागों में बांटा गया है: बाइबिल या शास्त्रीय हिब्रू (Biblical or Classical Hebrew), इसमें अधिकांश हिब्रू बाइबिल (यानी कि ओल्ड टेस्टामेंट) लिखा गया है। मिश्नाइक या रब्बीनिक हिब्रू (Mishnaic or Rabbinic Hebrew), यहूदी मौखिक कानूनों का सबसे पुराना आधिकारिक संग्रह) लगभग 200 CE में लिखा गया।

हालांकि हिब्रू का यह रूप लोगों के बीच बोली जाने वाली भाषा के रूप में कभी भी इस्तेमाल नहीं किया गया। मध्यकालीन हिब्रू (Medieval Hebrew), लगभग 6ठी से 13वीं शताब्दी CE तक बोली जाती थी, उस समय ग्रीक, स्पेनिश, अरबी और अन्य भाषाओं से कई शब्द उधार लिए गए थे। और आधुनिक हिब्रू (modern Hebrew), आधुनिक समय में इज़राइल की भाषा है जिसे 19वीं और 20वीं शताब्दी में बोली जाने वाली भाषा के रूप में पुनर्जीवित किया गया था।

फोनीशियन भाषा (Phoenician Language) –

सामी भाषा (ओं) मैं फोनीशियन भाषा उत्तर पश्चिमी समूह की सेमिटिक भाषा है, जो प्राचीन काल में टायर, सिडोन, बायब्लोस और पड़ोसी शहरों में लेवेंट (Levant) के तट पर और फोनीशियन द्वारा उपनिवेशित भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में बोली जाती है।

फोनीशियन हिब्रू और मोआबी के बहुत करीब है, जिसके साथ यह उत्तर-पश्चिमी सेमिटिक भाषाओं के कनानी (Canaanite) उपसमूह का निर्माण करता है। सबसे पहला फोनीशियन शिलालेख शायद 11 वीं शताब्दी ईसा पूर्व का है। फेनिशिया का नवीनतम शिलालेख पहली शताब्दी ईसा पूर्व का है, जिससे पता चला कि यह भाषा पहले से ही अरामीक द्वारा अधिग्रहित की जा रही थी।

एक सेमिटिक भाषा थी, जो अधिक सटीक रूप से कैनानाइट भाषाओं के समूह से संबंधित थी जिसमें हिब्रू, फोनीशियन, फिलिस्तीन, मोआबाइट आदि शामिल हैं। यह फोनीशियन, हिब्रू और अरामी में “कैनान” नामक क्षेत्र में बोली जाती थी, ग्रीक और लैटिन में “फोनीशिया”, पुराने मिस्र में “पुट”।

फोनीशियन और पुराने हिब्रू का मूल एक ही था, और इतिहास के दौरान अलग-अलग हो गए, हालांकि बहुत करीब रहे। पड़ोसी देशों के साथ व्यापार ने फोनीशियन भाषा में कुछ सीरियाई, मिस्र और अन्य शब्द आदि लाए। इसके विपरीत, फोनीशियन नाविकों की भाषा ने उन देशों को प्रभावित किया जिनके साथ वे संपर्क में आए, और निश्चित रूप से उनके उपनिवेशों में फैल गए।

फोनीशियन के स्थानीय रूप थे, जैसे गिब्लाइट, जो बाइब्लोस क्षेत्र में बोली जाती थी – हिब्रू के सबसे निकट की बोली – और सिदोनियन, जो अधिक आम है और इसलिए सबसे विशिष्ट मानी जाती है।

फोनीशियन उपनिवेश के रूप में, कार्थेज ने फोनीशियन भाषा का उपयोग किया, जिसे आसपास के देशों द्वारा बदल दिया गया था, उदाहरण के लिए लीबियाई बोलियाँ। कार्थेजियन भाषा, पुनिक, उत्तरी अफ्रीकी तट पर बोली जाती थी। 146 ईसा पूर्व में कार्थेज के पतन के बाद, यह भाषा जल्दी से गायब हो गई, नई बोलियों में विलीन हो गई। अन्य बोलियों में फोनीशियन के निशान थे, जैसे कि रोमन गणराज्य के अंत के बारे में बोली जाने वाली नियो-पुनिक, और दक्षिणी स्पेन की कम ज्ञात लीबी-फोनीशियन।

सिरिएक भाषा (Syriac Language) :–

सामी भाषा (ओं) मैं सिरिएक, जिसके स्व-नाम सूर्यया , अरामया और उरहाया हैं, अरामी भाषा शाखा की एक बोली है , जो स्वयं बड़े सेमिटिक भाषा परिवार का सदस्य है। सिरिएक भाषा उत्तरी मध्य, या उत्तर-पश्चिमी समूह से संबंधित सेमिटिक भाषा है, जो तीसरी से 7वीं शताब्दी तक एक महत्वपूर्ण ईसाई साहित्यिक और साहित्यिक भाषा थी। यह भाषा को आम तौर पर देर से अरामी काल (लगभग 200-1200) में वर्गीकृत किया जाता है, इस तथ्य के बावजूद कि इसे पहली शताब्दी ईस्वी से वर्तमान तक प्रमाणित किया गया है।

हालाँकि पहले इसे पूर्वी-अरामी बोली माना जाता था, लेकिन कुछ सबूत बताते हैं कि सिरिएक को देर से अरामी की एक अलग शाखा के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए जो कि पूर्वी-अरामी से अलग है, जिसमें मांडिक और यहूदी बेबीलोनियन अरामी शामिल हैं, और पश्चिम-अरामी से, जिसमें ईसाई फ़िलिस्तीनी अरामी , सामरी अरामी और यहूदी फ़िलिस्तीनी अरामी शामिल हैं।

अन्य देर से अरामी बोलियों की तुलना में, सिरिएक ने पहले के ‘मानक साहित्यिक अरामी’ की कई विशेषताओं को संरक्षित किया है। सिरिएक एडेसा की पूर्वी अरामी बोली पर आधारित था, जो दूसरी शताब्दी के अंत में मध्य पूर्व में ईसाई धर्म के प्रमुख केंद्रों में से एक बन गया।सबसे पहले सिरिएक शिलालेख पहली शताब्दी के पूर्वार्ध से मिलते हैं।

हाउसा भाषा (Hausa language) :-

हाउसा भाषा पश्चिमी अफ़्रीका में बोली जाने वाली एक भाषा है। यह अफ़्रो-एशियाई भाषा-परिवार की चाडी शाखा की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसे 3.5 करोड़ लोग मातृभाषा के रूप में और करोड़ों अन्य द्वितीय भाषा के रूप में बोलते हैं। शुरु में यह दक्षिणी नाइजर और उत्तरी नाइजीरिया के हाउसा समुदाय की भाषा हुआ करती थी लेकिन समय के साथ-साथ फैलकर पूरे पश्चिमी अफ़्रीका के एक बड़े भूभाग की सम्पर्क भाषा बन गई।

यह एक सुरभेदी भाषा है और सुरों के अंतर के आधार पर इसे कई पारम्परिक उपभाषाओं में बांटा जाता है। आरम्भ में हाउसा भाषा को “अजमी” कहलाने वाले अरबी लिपि के एक परिवर्तित रूप में लिखा जाता था लेकिन अब इसे “बोको” कहलाने वाले रोमन लिपि के एक रूप में लिखा जाता है। .

अक्कादी भाषा (Akkadian Language) :-

अक्कादी भाषा या Accadian या Assyro-Babylonian एक मृत सामी भाषा है। यह प्राचीन मेसोपोटामिया में बोली जाती थी। यह अंकन लिपि (cuneiform writing system) में लिखी जाती थी। अक्कादी का यह नाम उस अक्काद नगर से पड़ा जो ईसा पूर्व 24वीं सदी में प्रसिद्ध सम्राट् शर्रूकीन की राजधानी था।

तभी अक्कादी को राजभाषा का पद मिला। कालांतर में अक्कादी, प्रदेश और काल के अनुसार, असूरी (Assyrian) और बाबुली (Babylonian) नामक जनबोलियों में विकसित होकर बँट गई। असूरी दजला नदी (इराक) की उपरली घाटी में और बाबुली दजला-फरात के सागरवर्ती दोआब में बोली जाती थी।

सामी-हामी भाषा परिवार (Semitic Language And Hamitic languages)

हामी भाषाएँ (Hamitic languages) :-

हैमिटिक भाषा परिवार उत्तरी अफ्रीका और हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका के कुछ हिस्सों में स्वदेशी संबंधित भाषाओं के समूह को संदर्भित करता है। इन भाषाओं को वर्गीकृत करने के लिए ऐतिहासिक रूप से “हैमिटिक” शब्द का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन हैमिटिक सिद्धांत की वैधता की आधुनिक भाषाविदों द्वारा व्यापक रूप से आलोचना की गई और इसे अस्वीकार कर दिया गया।

हैमिटिक सिद्धांत की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी में हुई थी और यह नूह के बेटों के बाइबिल के वृत्तांत पर आधारित था, जिनमें से एक का नाम हाम था। इसने प्रस्तावित किया कि उत्तरी अफ्रीका और हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका की भाषाएँ हाम के वंशजों द्वारा बोली जाने वाली एक सामान्य पैतृक भाषा से निकली हैं। इस सिद्धांत का उपयोग नस्लवादी विचारधाराओं का समर्थन करने के लिए किया गया था, जो हैमिटिक लोगों को अन्य अफ़्रीकी लोगों से श्रेष्ठ बताते थे।

आधुनिक भाषाविदों ने प्रदर्शित किया है कि हैमिटिक भाषाएँ वास्तव में एक सुसंगत भाषा परिवार नहीं बनाती हैं। हैमिटिक के रूप में वर्गीकृत भाषाओं को अब कई अलग-अलग भाषा परिवारों से संबंधित माना जाता है, जिनमें अफ़्रोएशियाटिक, निलो-सहारन और खोइखोई शामिल हैं। हैमिटिक लेबल के तहत इन भाषाओं का वर्गीकरण एक पुराना, अवैज्ञानिक और मौलिक रूप से दोषपूर्ण दृष्टिकोण माना जाता है।

भाषाविद अब अधिक कठोर तुलनात्मक और ऐतिहासिक तरीकों का उपयोग करके उत्तरी अफ्रीका और हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका की मूल भाषाओं के वास्तविक ऐतिहासिक संबंधों और विकास का अध्ययन करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हैमिटिक सिद्धांत अब इन क्षेत्रों की भाषाई विविधता को समझने के लिए एक वैध ढांचे के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है।

सामी-हामी भाषा परिवार
सामी-हामी भाषा परिवार (Image credit – WIKIPEDIA)

हामी भाषा शाखा में से कुछ मुख्य भाषाओं के बारे में नीचे दिया गया हैं :-

मिस्री भाषा (Egyptian language) :-

हामी भाषा (ओं) मैं मिस्री भाषा मिस्र की सबसे प्राचीन ज्ञात भाषा है और सामी-हामी भाषा-परिवार (अफ़्रो-एशियाई भाषा-परिवार) की एक शाखा है। इसकी लिखाईयाँ लगभग ३४०० ईसापूर्व से ज्ञात हैं जिस आधार पर इसे विश्व की सबसे पुरानी लिखित भाषाओं में गिना जाता है। प्राचीन मिस्री भाषा एक विलुप्त एफ्रो-एशियाई भाषा है जो प्राचीन मिस्र में बोली जाती थी।

मिस्री सबसे शुरुआती लिखित भाषाओं में से एक है, जिसे पहली बार 4 वीं सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत में चित्रलिपि लिपि में दर्ज किया गया था। यह सबसे लंबे समय तक प्रमाणित मानव भाषा भी है, जिसका लिखित रिकॉर्ड 4000 वर्षों से अधिक पुराना है।

यह प्राचीन मिस्र की सभ्यता की भाषा हुआ करती थी लेकिन मिस्र पर मुस्लिम क़ब्ज़ा होने के बाद धीरे-धीरे अरबी भाषा ने इसका स्थान लेना आरम्भ कर दिया। इसकी वंशज कोप्ती भाषा १७वीं सदी तक कुछ समुदायों में दैनिक प्रयोग की भाषा थी लेकिन वह भी अब अरबी द्वारा हटाई जा चुकी है, हालांकि कोप्ती ईसाई धर्म में यह अभी भी धार्मिक कार्यों के लिए प्रयोग होती है। इसे सहजता से बोलने वाले अब कुछ ही वक्ता बचे हैं।

चाडी भाषाएँ (Chadic languages) :-

हामी भाषा (ओं) मैं अफ़्रीका के सहेल क्षेत्र में बोला जाने वाला एक भाषा-परिवार है। यह अफ़्रो-एशियाई भाषा-परिवार (सामी-हामी भाषा-परिवार) की एक शाखा है। चाडी भाषा-परिवार में लगभग 150 भाषाएँ आती हैं जो उत्तरी नाइजीरिया, दक्षिणी नाइजर, दक्षिणी चाड, मध्य अफ़्रीकी गणतंत्र और उत्तरी कैमरून में बोली जाती है। हाउसा भाषा सर्वाधिक बोली जाने वाली चाडी भाषा है और पश्चिमी अफ़्रीका के समुद्र से दूर वाले अधिकांश भागों में बोली जाती है।

कुशिटिक भाषा (Cushitic language) –

हामी भाषा (ओं) मैं कुशिटिक भाषाएं एफ्रो-एशियाटिक संघ का एक प्रभाग हैं, जिसमें मुख्य रूप से इथियोपिया, इरिट्रिया, जिबूती, सोमालिया और उत्तर-पश्चिमी केन्या में बोली जाने वाली लगभग 40 भाषाएँ शामिल हैं।

सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषाएँ ओरोमो (लगभग 20 मिलियन वक्ता), सिदामो (लगभग 3 मिलियन वक्ता), और हदिया (1 मिलियन से अधिक वक्ता) हैं। सोमालिया की आधिकारिक भाषा सोमाली, लगभग 15 मिलियन लोगों द्वारा, और साहो-अफ़ार, जिबूती और आस-पास के क्षेत्रों में 1 मिलियन से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है।

अगाउ भाषाएं उत्तरी और मध्य इथियोपिया में बिखरे हुए परिक्षेत्रों में कुछ हज़ार लोगों द्वारा बोली जाती हैं। दक्षिण कुशिटिक भाषाएँ मुख्य रूप से मध्य तंजानिया में बोली जाती हैं।

बर्बर भाषाएं (barbarian language) :-

हामी भाषा (ओं) मैं बर्बर भाषाएँ, (जिन्हें अमाज़ी भाषाएँ भी कहा जाता है) एफ्रो-एशियाटिक भाषा संघ में भाषाओं का परिवार है। बर्बर भाषाएँ आज लगभग 14 मिलियन लोगों द्वारा बोली जाती हैं, ज्यादातर मिस्र के सिवा ओएसिस और मॉरिटानिया के बीच उत्तरी अफ्रीका के एक बड़े क्षेत्र मगरिब में पाए जाने वाले बिखरे हुए परिक्षेत्रों में। बर्बर वक्ताओं की सबसे भारी सांद्रता मोरक्को में पाई जाती है।

अल्जीरिया के तीज़ी ऊज़ू विश्वविद्यालय में अरबी, बर्बरी और फ़्रांसिसी में लिखे त्रिभाषीय चिन्ह उत्तर अफ़्रीका के बर्बरी उपभाषाएँ बोलने वाले क्षेत्र – शिल्हा (हल्का नीला), कबाइली (लाल), मध्य तैमैज़िग़्त (गुलाबी), तरीफ़ित (पीला), शाविया (हरा), तुआरग (गाढ़ा नीला), नख़लिस्तान क्षेत्र (ओएसिस के क्षेत्र – नारंगी) अरबी और बर्बरी में लिखा एक द्विभाषीय सड़क चिन्ह – अरबी लिपि में ‘कफ़’ और तिफ़िनग़ लिपि में ‘बॅद’ लिखा है, जिनका अर्थ है ‘रुको!’।

सहारा रेगिस्तान के उत्तरपूर्वी भाग में चट्टानों पर बर्बरी की ऐसी प्राचीन लिखईयाँ अक्सर मिल जाती हैं यूबा उर्फ़ मूसा हब्बूब एक मशहूर बर्बरीभाषीय गायक हैं – यहाँ मई 2010 में इटली में गाते हुए – उनके पीछे बर्बर लोगों का ध्वज लगा हुआ है बर्बर भाषाएँ उत्तर अफ़्रीका के बर्बर लोगों की मूल भाषाएँ हैं।

सामी भाषा और हामी भाषा के मिलते-जुलते लक्षण :-

  • दोनों ही श्लिष्ट-योगात्मक और अन्तर्मुखी हैं। इनमें पूर्व, मध्य और पर विभव्त्तियों लगती हैं, किन्तु अधिकक सम्बन्धतत्व भीतर होने वाले स्वर-परिवर्तन से ही सूचित हो जाता है। जैसे सेमेटिक की अरबी भाषा में क-त-ल से कितल, कित्ल, कुतिल, यकतुलु, कातिल, तथा कतल अश अनेक शब्द बनते हैं, जिसमें साधारण स्वर-परिवर्तन से ही अर्थ-परिवर्तन हो गया।
  • दोनों ही परिवारों में अफ्रीका की कुछ भाषाओं की भाँति क्रिया में काल का गीय स्थान है, और पूर्णता और अपूर्णता का प्रमुख ।
  • बहुवचन बनाने के लिए दोनों ही कुलों में प्रत्यय लगाते हैं और दोनों के प्रत्ययों का मूल भी लगभग एक ही है।
  • “त” ध्वनि दोनों कुलों में स्त्रीलिंग का चिन्ह है। दोनों ही में लिंगभेद नर-मादा पर अर्थात प्राकृतिक लिंग पर आधारित न होकर कुछ अन्य बातों पर आधारित है।
  • दोनो परिवारों के सर्वनामों का मूल भी प्रायः एक ही है।
  • दोनों में स्त्रीलिंग-बोधक प्रत्यय ‘त’ है।
  • दोनों में लिंग-भेद स्त्री-पुरुष पर आधारित न होकर अन्य कारणों पर निर्भर है।
  • दोनों में सर्वनाम शब्दों का आधार निश्चितरूप से एक है।

सामी भाषा परिवार की मुख्य विशेषताएँ

  • सामी धातुएँ (अर्थतत्व/Root) तीन व्यंजनों वाली है, जैसे कि क, त, ब,  स, ल, म आदि (यहाँ हलंत लगानी है)
  • शब्द उपसर्ग या प्रत्यय जोड़कर नहीं बनाए जाते हैं बल्कि धातुओं के बीच में स्वर जोड़कर शब्द बनाए जाते हैं। जैसे – क त ब से किताब, कुतुब, एवं कातिब जैसे शब्द बनते हैं।
  • अर्थो को प्रकट करने के लिए आदि और अंत में भी प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे कि क त ब से मकतब (स्कूल), स ल म से सलामती (सुरक्षा) इत्यादि।
  • शब्दों का लिंग व्याकरण पर निर्भर करता है। स्त्रीलिंग प्रत्यय ‘त’ है।
  • इसमें तीन कारक है – कर्ता, कर्म और संबंध। इसी से अन्य कारकों का भी काम लिया जाता है।
  • संबंध-वाचक सर्वनाम शब्द के अंत में ही जोड़ दिए जाते हैं। जैसे कि क त ब में इ (यानी कि मेरा) जोड़ देने से हो जाता है कतब-इ (यानी कि मेरी किताब)।
  • सामी में समास का अभाव है।
  • प्राचीन सामी संयोगात्मक थी, यानी कि कारक आदि के प्रत्यय जुड़े होते थे। लेकिन अब ये वियोगात्मक हो गई है। कारक चिन्ह का काम अब निपात करते हैं और ये स्वतंत्र रहते हैं, वियोगात्मक में वर्तमान हिब्रू मुख्य है।

हामी भाषा परिवार की मुख्य विशेषताएँ :-

  • संबंधतत्व का योग आदि और अंत दोनों जगह होता है। संज्ञा शब्दों में प्रत्यय प्राय: अंत में लगते हैं और क्रियारूपों में आदि अंत दोनों स्थानों पर। इसमें प्रेरणार्थक, पुनः अर्थवाले और आत्मनेपद के समकक्ष भी रूप हैं। सोमाली भाषा में द्वित्व से पुनः पुनः अर्थ का बोध होता है। जैसे – लब (मोड़ना), लब-लब (बारबार मोड़ना)। कभी कुछ स्वरभेद भी हो जाता है। जैसे- गल (जाना), गेलि (अंदर रखना)।
  • काल का विचार महत्वपूर्ण नहीं है। क्रिया-पद, क्रिया की पूर्णतया या अपूर्णता बताते हैं। काल का सूक्ष्म बोध सहायक क्रियाएँ कराती हैं।
  • लिङ्ग सबलता, निर्बलता, बड़ा-छोटा आदि पर निर्भर है। पुरुषत्व और स्त्रीत्व पर नहीं। उदाहरण – पुलिग – तलवार, शिला, हाथी । स्त्रीलिंग – चाकू, पत्थर, खरगोश। यहाँ पर चाकू (स्त्री), पत्थर (पुलिंग), खरगोश (स्त्री), आकार में छोटे हैं, इसीलिए स्त्रीलिंग हैं। शिला, हाथी आकार में बड़े हैं, इसलिए पुलिंग हैं।
  • वचन प्रायः एकवचन और बहुवचन हैं। बहुवचन भी दो प्रकार का है- 1. सामान्य बहुवचन, 2. समूहात्मक बहुवचन। रूप भी अलग है। जैसे लिसा (आँसू, बहुवचन), लिसने (आँसू की धारा) बिला (पतिंगा, एक), बलि (पतिंगे), बिल्ले (पतिंगों का समूह)।
  • वचन-भेद से लिंगभेद, इस परिवार की विशेषता है। सोमाली भाषा में बहुवचन होते ही पुंलिंग शब्द स्त्रीलिंग हो जाएगा और स्त्रीलिंग शब्द पुलिंग। इस नियम को ध्रुवीकरण नियम (law of polarity) कहते हैं। जैसे एकवचन – होयो-दि (माता, स्त्री), लिबह-हि (शेर, पुलिंग) बहुवचन – होयिन-कि (माताएँ, पुलिंग), बिह-ह्यो-दि (कई शेर, स्त्री)।

सेमिटिक और हैमिटिक भाषाएँ एक ही श्रेणी में कैसे हो सकती हैं ?

“हैमिटिक” भाषाओं (हामी भाषा) की अवधारणा अप्रचलित है: अतीत में, इसका उपयोग बर्बर, मिस्र (और कुछ लेखकों द्वारा यहां तक ​​कि कुशिटिक और/या चाडिक) सहित भाषाओं के एक (काल्पनिक) परिवार के लिए किया जाता था, लेकिन भाषाई दृष्टिकोण से वहां ऐसी कोई इकाई नहीं है. यदि ये भाषाएँ वास्तव में आनुवंशिक रूप से संबंधित हैं, तो वे तथाकथित अफ़्रो-एशियाई परिवार की स्वतंत्र शाखाएँ हैं, जिसमें सेमेटिक भाषाएं भी शामिल है।

हालाँकि, अफ़्रो-एशियाटिक भाषा परिवार अपने आप में कुछ हद तक विवादास्पद अवधारणा है, पर अब के समय मैं ऐसा लगता है कि इसे अधिकांश भाषाविदों ने स्वीकार कर लिया है। दरअसल, सेमिटिक और मिस्र के बीच आनुवंशिक संबंध स्पष्ट है, और बर्बर के साथ कम से कम संभावना है, पर कुशिटिक/ओमोटिक और सबसे ऊपर चाडिक को शामिल करना, ठोस मूल शब्दावली की कमी के कारण इस प्रक्रिया मैं काफी समस्याग्रस्त है।

यदि अफ़्रीकी-एशियाई कभी अस्तित्व में था, तो इसकी शाखाएँ कम से कम 10,000 से 12,000 साल पहले अलग हो गई होंगी – जो कि इंडो-यूरोपीय भाषाओं के समय से दोगुने से भी अधिक है। इतने पुराने समय में किए गए पुनर्निर्माण अपेक्षाकृत असंबद्ध हैं, चाहे वह प्रति सहस्र वर्षों के औसत परिवर्तन दर परिवर्तन के कारण ही क्यों न हुआ हो।

सामी-हामी भाषा परिवार
सामी-हामी भाषा परिवार (Image credit – Quora)

शब्द “सेमिटिक” और “हैमिटिक” पुराने और विवादास्पद भाषाई और जातीय वर्गीकरण हैं जिनका उपयोग एक बार अफ्रीकी-एशियाई भाषा परिवार की भाषाओं और लोगों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता था। ये वर्गीकरण 19वीं शताब्दी में विकसित किए गए थे और कई विवादस्पद ऐतिहासिक आख्यानों पर आधारित थे, जिसमें सेमेटिक लोगों को हैमिटिक लोगों से श्रेष्ठ दर्शाया गया था।

आज, अधिकांश भाषाविद् और विद्वान इन शब्दों के उपयोग को अस्वीकार करते हैं और इसके बजाय अफ़्रो-एशियाई भाषा परिवार को संदर्भित करते हैं, जिसमें सेमिटिक और हैमिटिक भाषाएँ एक एकल इकाई के रूप में शामिल हैं। इस परिवार की विशेषता एक साझा भाषाई और सांस्कृतिक विरासत है, जिसमें एक सामान्य शब्दावली और व्याकरण, साथ ही साझा सांस्कृतिक प्रथाएं और मान्यताएं शामिल हैं।

संक्षेप में, सेमिटिक और हैमिटिक भाषाओं का अलग-अलग श्रेणियों के रूप में वर्गीकरण अब आधुनिक भाषाई और सांस्कृतिक अध्ययनों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है, और समकालीन प्रवचन में इन शब्दों से बचना सबसे अच्छा है।

अकसार पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) :-

सामी भाषा किस भाषा परिवार से संबंधित है?

सामी भाषा, यूरालिक भाषा परिवार के फिनो-उग्रिक समूह के तीन सदस्यों में से कोई एक है, जो उत्तरी फिनलैंड, स्वीडन और नॉर्वे में और रूस में कोला प्रायद्वीप में सामी (लैप) लोगों द्वारा बोली जाती है।

सामी भाषा व सामी का इतिहास क्या है?

उनकी खानाबदोश जीवनशैली, आर्कटिक क्षेत्र की कठोर जलवायु और स्कैंडिनेवियाई लोगों के प्रभाव ने सामी संस्कृति को आकार दिया है। अपने इतिहास के अधिकांश समय में, सामी लोग मुख्य रूप से खानाबदोश जीवनशैली जीते थे, जो मुख्य रूप से अपनी आजीविका के लिए हिरन चराने और मछली पकड़ने पर निर्भर थे।

सेमेटिक भाषा कौन बोलता है?

इनमें अरबी, अम्हारिक, अरामी, हिब्रू और कई अन्य प्राचीन और आधुनिक भाषाएँ शामिल हैं। ये पश्चिमी एशिया, उत्तरी अफ्रीका, हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका, माल्टा और उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में बड़े पैमाने पर अप्रवासी और प्रवासी समुदायों में 330 मिलियन से ज़्यादा लोगों द्वारा बोली जाती हैं।

सेमेटिक किसे माना जाता है?

सेमिटिक लोग या सेमिट्स एक जातीय, सांस्कृतिक या नस्लीय समूह के लिए एक अप्रचलित शब्द है जो अरब, यहूदी, अक्कादियन और फोनीशियन सहित मध्य पूर्व के लोगों से जुड़ा हुआ है। भाषाविज्ञान में “सेमिटिक भाषाओं” के समूह के बाहर अब इस शब्दावली का बड़े पैमाने पर उपयोग नहीं किया जाता है।

प्रथम सेमेटिक भाषा कौन सी थी?

अक्कादियन , जो संभवतः सेमिटिक भाषाओं में सबसे पुरानी है, ने एक महान प्राचीन साहित्य रचा। हिब्रू और अरबी क्रमशः यहूदी धर्म और इस्लाम की भाषाएँ रही हैं।

सेमेटिक लोगों की उत्पत्ति कहां से हुई?

हालाँकि, आम तौर पर, ‘सेमिटिक’ समूह मेसोपोटामिया में एक सामान्य केंद्र के रूप में उत्पन्न हुए, जो (संभवतः) उत्तर भारत (शायद) से कनान (इज़राइल, लेबनान) तक पूर्व में फैल गए। उस क्षेत्र में पारंपरिक ‘बाढ़’ की कहानी एक प्रागैतिहासिक कथा या मिथक के रूप में थी, और वे खुद को ‘शेम’ के वंशज मानते थे ।

विश्व की समस्त भाषाओं को कितने भाषा परिवार में बांटा?

आपस में सम्बंधित भाषाओं को भाषा-परिवार कहते हैं। कौन भाषाएँ किस परिवार में आती हैं, इनके लिये वैज्ञानिक आधार हैं। इस समय संसार की भाषाओं की तीन अवस्थाएँ हैं।

कुल कितने भाषा परिवार हैं?

भारत में कितने प्रकार की भाषा बोली जाती है? भाषाशास्त्र के अनुसार भारत में 4 भाषा परिवार की भाषाएं बोली जाती हैं । उर्दू , असमिया, गुजराती, डोगरी, उड़िया,पंजाबी, मैथिली,भोजपुरी ,मगही ,गढ़वाली, कोंकणी आदि शामिल हैं । इसके बोलने वालों की संख्या 73 % है।

भाषा परिवार से आप क्या समझते हैं?

भाषा परिवार उन भाषाओं का समूह है जो सभी एक ही पूर्वज से उत्पन्न हुई हैं। एक भाषा परिवार के भीतर की भाषाएँ शब्दावली और व्याकरण में कई समानताएँ साझा करती हैं। एक भाषा परिवार के भीतर कुछ निकट-संबंधित भाषाएँ परस्पर समझने योग्य भी होती हैं।

भारत में सबसे बड़ा भाषाई परिवार कौन सा है?

भारत में सबसे बड़ा भाषाई परिवार हिन्द आर्य भाषा परिवार हैं।

अंतिम कुछ शब्द :-

दोस्तों मै आशा करता हूँ आपको “सामी-हामी भाषा परिवार (Semitic-Hamitic languages)” Blog पसंद आया होगा अगर आपको मेरा ये Blog पसंद आया हो तो अपने दोस्तों और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करे अन्य लोगो को भी इसकी जानकारी दे। यह Blog Post मुख्य रूप से अध्यायनकारों के लिए तैयार किया गया है, हालांकि सभी लोग इसे पढ़कर ज्ञान आरोहण कर सकते है।

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इसस ब्लॉग पोस्ट के बीबरण का स्रोत :-

1. भाषा विज्ञान (डॉ भोलानाथ तिवारी)
2. Wonderhindi के ब्लॉगपोस्ट्स
3. भाषा विज्ञान DDE MD University [Text Book]
4. Reference of Wikipedia page
5. Reference of Unionpedia page
6. Reference of Quora posts
7. Reference of Pinterest images

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