मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन परिचय (Malik Muhammad Jaysi Ka Jivan Parichay)

मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन परिचय (Malik Muhammad Jaysi Ka Jivan Parichay):-

हिंदी में सृफ़ी काव्य परंपरा के श्रेष्ठ कवि मलिक मृहम्मद जायसी हैं। ये अमेठी के निकट जायस के रहने वाले थे, इसालिए इन्हें जायसी कहा जाता है।

कबीरदास जी के तरह मालिक मुहम्मद जायसी ने भी अपने प्रेमामार्गी कविताओं के द्वारा हिंदू और मुसलमानों को एक करने की काफी कोशिश की, पर कबीरदास जी ने इसके लिए भक्ति का सहारा लिया और इन्होंने प्रेम का। आगे हम मालिक मुहम्मद जायसी के वारे मैं विस्तार से आलोचना करेंगे।

मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन परिचय (Malik Mohammad Jayasi Ka Jivan Parichay) :-

नाममलिक मुहम्मद जायसी
अन्यनामजायसी
जन्म1397 ई और 1494 ई के बीच
जन्मभूमिरायबरेली, उत्तर प्रदेश
पितामलिक राजे अशरफ़
भाषाअवधी
छंददोहा-चौपाई
मृत्युसन 1542 ई.
मुख्य रचनाएँपद्मावत, अखरावट, आख़िरी कलाम
मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन परिचय

जन्म:-

मालिक मुहम्मद जैसी का जन्म के वारे मैं कही कोई प्रामाणिक तथ्य नहीं मिलता है। माना जाता है की इनका जन्म सन 1397 से 1494 के बीच उत्तरप्रदेश के रायबरेली जिल्ले मैं हुआ था। जिल्ले के जायस नमक स्थान के निवासी होने के कारण इन्हें जायसी कहा जाता था।

परिवार:-

जायसी के नाम के पहले ‘मलिक’ उपाधि लगी रहने के कारण कहा जाता है कि उनके पूर्वज ईरान से आये थे और वहीं से उनके नामों के साथ यह ज़मींदार सूचक पदवी लगी आ रही थी।

दिल्ली सल्तनत काल में भी इस शब्द का प्रयोग सेना के मुखिया या प्रधानमन्त्री के लिए प्रयुक्त हुआ हैं। ये इसी वंश के अशरफी खानदान के शिष्य थे. जायसी ने अपनी रचनाओं में शेख बुरहान और सैयद अशरफ को अपना आराध्य माना हैं। किन्तु उनके पूर्वपुरुषों के नामों की कोई तालिका अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। Jaysi Ka Jivan Parichay

मलिक मुहम्मद जायसी के पिता का नाम मलिक राजे अशरफ़ था और और कहा जाता है कि वे मामूली ज़मींदार थे और खेती करते थे। इनके नाना का नाम शेख अल-हदाद खाँ था। स्वयं जायसी को भी खेती करके जीविका-निर्वाह करना प्रसिद्ध है।

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कुछ लोगों का अनुमान करना कि ‘मलिक’ शब्द का प्रयोग उनके किसी निकट सम्बन्धी के ‘बारह हज़ार का रिसालदार’ होने के कारण किया जाता होगा अथवा यह कि सम्भवत: स्वयं भी उन्होंने कुछ समय तक किसी सेना में काम किया होगा, प्रमाणों के अभाव में संदिग्ध हो जाता है।

और यह भी कहा जाता था की जायसी अपने आप में ही एक पहुंचे हुए सिद्ध और फकीर माने जाते थे। अमेठी के राज परिवार मैं भी इनका बड़ा ही आदर था।

जीवन के विषय मैं :-

सैयद अल्ली ने बताया है कि मलिक मुहम्मद जायसी का मलिक कबीर नाम का एक पुत्र भी था। मलिक मुहम्मद जायसी कुरूप और एक आँख से काने थे। कुछ लोग उन्हें बचपन से ही काने मानते हैं जबकि अधिकांश लोगों का मत है कि चेचक के प्रकोप के कारण ये कुरूप हो गये थे और उसी में इनकी एक आँख चली गयी थी। उसी ओर का बायाँ कान भी नाकाम हो गया। अपने काने होने का उल्लेख उन्होंने स्वयं ही किया है :-

एक नयन कवि मुहम्मद गुमी।

सोइ बिमोहो जेइ कवि सुनी।। चांद जइस जग विधि ओतारा। दीन्ह कलंक कीन्ह उजियारा।।

जग सुझा एकह नैनाहां। उवा सूक अस नखतन्ह मांहां।। जो लहिं अंबहिं डाभ न होई। तो लाहि सुगंध बसाई न सोई।।

कीन्ह समुद्र पानि जों खारा। तो अति भएउ असुझ अपारा।। जो सुमेरु तिरसूल बिना सा। भा कंचनगिरि लाग अकास।।

जौं लहि घरी कलंक न परा। कांच होई नहिं कंचन करा।। एक नैन जस दापन, और तेहि निरमल भाऊ। सब रुपवंत पांव जहि, मुख जोबहिं कै चाउ।।

मुहम्मद कवि जो प्रेम या, ना तन रकत न मांस।
जोई मुख देखा तइं हंसा, सुना तो आये आंहु।।

कहीं कहीं कहा जाता है की बचपन से ही इनमें वैराग्य का भाव पैदा हो गया, तथा उस समय के जायस जिसे आजकल रायबरेली कहा जाता हैं. वहां रहने लगे। कहा जाता है कि जब जायसी तीस वर्ष के थे तब इन्होने पद्मावत महाकाव्य को लिखना आरम्भ किया तथा वृद्धावस्था में इन्हें पूर्ण कर पाए थे।

कहीं कहीं यह भी कहा जाता है की जायसी एक सन्त प्रकृति के गृहस्थी थे। इनके सात पुत्र थे लेकिन दीवार गिर जाने के कारण सभी के उसमे मृत्यु हो गया था और तभी से इनमें वैराग्य जाग गया और ये फ़कीर बन गये।

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Jaysi Ka Jivan Parichay

मलिक मुहम्मद जायसी के प्रमुख रचानाएं (Malik Mohammad Jaysi Ke Pramukh Rachanayen):-

पद्मावत (Padmavat) :-

पद्यावत प्रेम की पीर की व्यंजना करने वाला विशद प्रबंध-काव्य है। यह दोहे-चौपाइयों में निबद्ध मसनवी शैली में लिखा गया है. जिसमें कवि ने अल्लाह, हज़रत मुहम्मद, उनके चार मित्रों, शाहेवक्त, शेरशाह सुरी और समसामयिक गुरुओं एवं पीरों की वंदना की है।

पद्मावत की काव्य-भूमिका विशद एवं उदात्त है। कवि ने प्रारंभ में ही प्रकट कर दिया है कि जीवन और जगत को देखनेवाली उसकी दृष्टि व्यापक और परस्पर विरोध को आँकने वाली है। कवि अल्लाह को इस विविधतामयी सृष्टि का कर्ता कहता है, विविध प्राणियों, वस्तुओं, स्थितियों का परिगणन करता है, फिर उनमें परस्पर -विरोध देखता है।

अखरावट(Akhravat):-

अखरावट सृष्टि की रचना को वर्ण्य विषय मैं बनाया गया है। अखरावट के विषय में जायसी ने इसके काल का वर्णन कहीं नहीं किया है पर यह बात कुछ कुछ प्रमाणित होता है की सैय्यद कल्ब मुस्तफा के अनुसार यह जायसी की अंतिम रचना है।

आख़िरी कलाम (Aakhiri Kalam):-

‘आख़िरी कलाम’ ग्रन्थ में इस्लामी मान्यता के अनुसार प्रलय का वर्णन किया गया है। जायसी रचित इस महान् ग्रंथ का सर्वप्रथम प्रकाशन फ़ारसी लिपि में हुआ था। इस काव्य में जायसी ने मसनवी- शैली में ईश्वर- स्तुति की है।

चित्ररेखा (Chitrarekha):-

यह भी एक प्रेमकथा है परंतु ‘पद्मावत’ की तुलना में यह एक द्वितीय श्रेणी की रचना जान पड़ता है। मलिक मुहम्मद जायसी ने पद्मावत की ही भांति “चित्ररेखा’ की शुरुआत भी संसार के सृजनकर्ता की प्रार्थना के साथ किया है।

इसमें जायसी ने सृष्टि की आरंभ की कहानी कहते हुए भगवान की प्रशंसा में बहुत सारे पंक्तियों का उल्लेख किया है। इसके अलावा इसमें उन्होंने पैगम्बर मुहम्मद साहब और उनके चार मित्रों का वर्णन भी बड़े ही सुंदरता के साथ किया है। इस प्रशंसा के बाद जायसी ने इस काव्य की असल कथा प्रारंभ किया है।

कहरानामा (Kaharanama):-

कहरानामा का रचना काल 947 हिजरी माना जाता है। यह काव्य ग्रंथ कहरवा या कहार गीत उत्तर प्रदेश की एक लोक- गीत पर आधारित में कवि ने कहरानाम के द्वारा संसार से सदा के लिए जाने की बात की है। Jaysi Ka Jivan Parichay

मलिक मुहम्मद जायसी की काव्यगत विशेषता (Malik Mohammad Jaysi Ki Kavyagat Visheshata) :-

  1. मलिक मोहम्मद जायसी जी ने सिद्धांतो का प्रतिपादन करने वाली काफी रचनाएं लिखी है, जिसका उल्लेख उनके रचनाओं में काफी मिलता है।
  2. मलिक मोहम्मद जायसी जी ने सूफी सिद्धांतो को प्रतिपादित करने वाली रचनाएं लिखी है।
  3. मलिक मोहम्मद जायसी जी ने अपने काव्य में प्रौढ़ और गंभीर काव्य शैली का प्रयोग भी किया है।
  4. मलिक जी की रचनाओं में ठेठ अवधि भाषा से उत्कृष्ठ साहित्य का उपयोग किया है।
  5. मलिक मोहम्मद जी ने अपने काव्यों में दोहा चौपाई छंद का प्रयोग किया है।
  6. मलिक मोहम्मद जायसी जी ने लौकिक प्रेम के माध्यम एवं अलौकिक प्रेम की और अग्रसर होने वाली आध्यात्मिक रचनाएं काफी लिखी है।
  7. मलिक मोहम्मद जी की रचनाएं प्रेमाख्यान काव्य में लेखन की परंपराओं को रखते हुए उल्लेखनीय वर्णन प्रदान किया है।
  8. मलिक मोहम्मद जायसी जी ने अपने काव्यों में मसनवी शैली का प्रयोग काफी किया है।

मलिक मोहम्मद जायसी की भाषा शैली (Malik Muhammad Jayasi Ki Bhasha Shaili):-

मलिक मोहम्मद जायसी जी की भाषा का रूप ठेठ अवधी मैं है और काफी पूर्वी हिंदी के अंतर्गत है। लेकिन कहीं कहीं उसमे अपभ्रंश तथा अरबी, और फारसी के शब्द भी मिलते है। ब्रजभाषा और खड़ी बोली दोनो में विभिन्नता देखते हुए इसमें बोलचाल की लोकभाषा का उत्कृष्ठ उपयोग तथा भाव का रूप देखने को मिलता है।

मलिक मुहम्मद जायसी जी की रचनाओं को समझने के लिए अवधी भाषा की मुख्य विशेषताओं को जान लेना अति आवश्यक है, क्योंकी इसके बिना उनके काव्यों को समझ पाना आती कठिन हो जाता है। जायसी जी ने अपनी रचनाओं में लोकोत्तियो के प्रयोग से इनकी रचनाओं में उनके प्राणप्रतिष्ठा का स्वरूप मिलता है।

यह नहीं की केवल चमत्कारिक पूर्ण कथन की प्रवृति ही जायसी जी के काव्यों में पाए जाते है, बल्कि मसनवी शैली पर लिखित पद्मावत में प्रबंध काव्योचित सोष्ठव भी इसमें विद्यमान है।

पद्मावत को जायसी जी ने सिर्फ दोहा और चौपाई तथा छंदों के द्वारा ही रचना की है, जो की एक महान उपलब्धियों से कुछ कम नही है। मलिक मोहम्मद जायसी जी हिंदी साहित्य के प्रथम महाकाव्यकारक है। साथ ही प्रेम के आख्यान का काव्य परंपरा का भी ये सर्वोत्तम स्थान रखते है।

इससे जान पड़ता है कि वह उस नगर को ‘धर्म का स्थान‘ समझता था और वहाँ रहकर उसने अपने काव्य ‘पद्मावत’ की रचना की थी। यहाँ पर नगर का ‘धर्म स्थान’ होना कदाचित यह भी सूचित करता है कि जनश्रुति के अनुसार वहाँ उपनिषदकालीन उद्दालक मुनि का कोई आश्रम था।

गार्सां द तासी नामक फ़्रेंच लेखक का तो यह भी कहना है कि जायसी को प्राय: ‘जायसीदास’ के नाम से अभिहित किया जाता रहा है।

मलिक मुहम्मद जायसी के अन्य प्रसिद्ध रचानाएं:-

इनकी रचनाओं की संख्या 21 बताई जाती है, पर ज्यादातर प्रामाणिकता के अभाव से उपलब्ध नही है। उनके रकहनए कुछ इसस प्रकार का है:-

  • पद्मावत
  • अखरावट
  • पोस्तीनामा
  • होलीनामा
  • आखिरी कलाम
  • धनावत
  • सोरठ
  • जपजी
  • सखरावत
  • चंपावत
  • इतरावत
  • मटकावत
  • चित्रावत
  • सुर्वानामा
  • मोराईनामा
  • मुकहरानामा
  • मुखरानामा
  • मैनावत
  • मेखरावटनामा
  • कहारनामा
  • स्फुट कवितायें
  • लहतावत
  • सकरानामा
  • मसला या मसलानामा

अक्सर पूछे जानेआले सवाल (FAQs):-

मलिक मुहम्मद जायसी ने कितने ग्रंथों की रचना की थी?

मलिक मुहम्मद जायसी की 21 रचनाओं के उल्लेख मिलते हैं पर इसमे से सिर्फ पद्मावत, अखरावट, आखऱिी कलाम, कहरानामा, चित्ररेखा आदि प्रमुख हैं।

मलिक मुहम्मद जायसी कहाँ के निवासी थे?

मलिक मुहम्मद जायसी अमेठी (उत्तर प्रदेश) के निकट जायस के रहने वाले थे। इसी कारण वे जायसी कहलाए।

मलिक मुहम्मद जायसी की काव्य भाषा क्या है?

मलिक मुहम्मद जायसी जी की काव्य भाषा अवधी है ।

मलिक मुहम्मद जायसी का सबसे प्रसिद्ध महाकाव्य कौन सा है?

पद्मावत हिन्दी साहित्य के अन्तर्गत सूफी परम्परा का प्रसिद्ध महाकाव्य है।

मलिक मुहम्मद जायसी कौन से संप्रदाय के थे?

हिंदी के प्रमुख सूफी कवि मलिक मोहम्मद जायसी का संबंध इसी मेहदवी सम्प्रदाय से था और वे शेख बुरहान के शिष्य थे।

अंतिम कुछ शब्द :-

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Wikipedia Page :- मलिक मुहम्मद जायसी

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